लोकसभा चुनाव 2024 :  INDIA के साथ रिश्तों की पिघल रही बर्फ, दूरियां सिमटने के संकेत

देश | 1 साल पहले | Deepak Sharma

Google Image | Mayawati (Demo Photo)



New Delhi : दो दिल मिल रहे हैं..., मगर चुपके चुपके। हां, सबको हो रही है, खबर चुपके चुपके...। साल 1997 में आई बॉलीवुड फिल्म परदेस का यह गाना इन दिनों एक बार भी हिट हो चला है, किन्तु युवाओं के बीच नहीं। आजकल यह गीत राजनैतिक गलियारों में गूंज रहा है। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में अभी वक्त है, किन्तु जैसे-जैसे एक एक दिन घटते जा रहे हैं, वैसे वैसे नित नए समीकरण भी बनते बिगड़ते नजर आने लगे हैं। अब एक चौंकाने वाली खबर आ रही देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से। खबर है कि अब तक एकला चलो का रूख अख्तियार करे बैठीं बसपा सुप्रीमो मायावती विपक्षी गठबंधन INDIA नरमी का संकेत दे रही हैं। सूत्रों का दावा है कि मायावती ने गठबंधन का हिस्सा बनने में दिलचस्पी दिखाते हुए इसके नेताओं के सामने एक बड़ी शर्त रख दी है। इस पर मुंबई में प्रस्तावित गठबंधन की बैठक में चर्चा होने की संभावनाएं प्रबल हो चली है।

बसपा के लिए फायदेमंद रहा है गठबंधन
बेशक मायावती यह कहती रहीं हैं कि गठबंधन से उनकी पार्टी को राजनैतिक लाभ नहीं मिला है। किन्तु, सच्चाई तो यह है कि बसपा को गठबंधन की सियासत में हमेशा ही राजनीतिक लाभ मिला है। 2019 में गठबंधन के चलते बसपा जीरो से 10 सांसदों पर पहुंच गई थी। 2022 में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने के चलते बसपा यूपी में एक सीट पर सिमट गई थी। साल, 2014 में तो बसपा का खाता तक नहीं खुला था। यही वजह है कि बसपा के नेता भी गठबंधन के पक्ष में खड़े हैं। पिछले दिनों बसपा सांसद मलूक नागर ने भी गठबंधन के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि बसपा के पास यूपी में 13 फीसदी वोट बैंक है, जो किसी भी दल के साथ जुड़ने पर हार को जीत में बदल सकता है।

लखनऊ में भी वही राग
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर मायावती ने बीते बुधवार को लखनऊ में एक बड़ी बैठक की थी। उसमें उन्होंने गठबंधन से इंकार किया था। बसपा सुप्रीमो मायावती ने साफ शब्दों में कहा था कि गठबंधन करने पर उनका वोट ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन सहयोगी दल के वोट उन्हें नहीं मिलते हैं। इसी बात का तर्क देकर वो बार-बार कह रही हैं कि बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी, लेकिन पिछले दिनों उन्होंने यह बात जरूर कही थी कि चुनाव के बाद गठबंधन कर सकती हैं।

अभी मोलभाव की स्थिति में नहीं
बता दें कि मायावती अकेले चुनाव लड़ने की बात इसलिए कर रही हैं, क्योंकि बसपा की सियासी हैसियत फिलहाल ऐसी नहीं है, जिसके दम पर गठबंधन में मोलभाव कर सकें। बसपा के पास यूपी में एक विधायक है। इस आधार पर कैसे सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर बात कर सकेंगी। मायावती दूसरे दलों के नेता की तरह नहीं है कि वो गठबंधन में शामिल होकर सिर्फ सीट लेकर चुनाव लड़ जाएं। मायावती किसी भी गठबंधन का हिस्सा तभी बनेंगी, जब उन्हें अहम रोल में रखा जाए।

कांग्रेस को चार राज्यों में होगा फायदा
विपक्षी गठबंधन INDIA को देखें तो यूपी में सपा, आरएलडी और कांग्रेस शामिल हैं। ऐसे में कांग्रेस का एक धड़ा शुरू से ही बसपा के साथ गठबंधन करने की पैरवी करता रहा है। सूत्रों की मानें तो दलित वोटों को जोड़ने के लिए कांग्रेस के कुछ नेता पर्दे के पीछे से मायावती से गठबंधन के लिए बातचीत कर रहे हैं, क्योंकि बसपा के साथ आने का सियासी फायदा सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भी हो सकता है।

इस शर्त पर होंगी गठबंधन का हिस्सा
सूत्रों का दावा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने विपक्षी गठबंधन INDIA में शामिल होने के लिए संपर्क साधा है, लेकिन मायावती ने इसके लिए यूपी की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 40 सीटों की मांग रखी है। सूबे की आधी सीटें बसपा मांग रही है, जिसे लेकर विचार-विमर्श के बाद ही उनकी मांगों पर फैसला किया जाएगा। विपक्षी गठबंधन INDIA की मुंबई में होने वाली 31 अगस्त और एक सितंबर की बैठक में मायावती के साथ गठबंधन करने की शर्तों को रखा जाएगा। इस पर आम सहमति बनने के बाद बसपा विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बन सकती है।

मुंबई की बैठक महत्वपूर्ण
मायावती भी इस बात को बखूबी समझ रही हैं, जिसके चलते ही उन्होंने यूपी की आधी संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ने का अपना दावा कर दिया है। विपक्षी गठबंधन में सपा भी शामिल है। अखिलेश यादव इसके पक्ष में नहीं है कि मायावती गठबंधन में शामिल हों, लेकिन कांग्रेस नेता बसपा को लेने के पक्ष में है। मुंबई में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस यह बात रखेगी, ताकि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की राय ली जा सके। सपा और आरएलडी तैयार हो जाती है तो फिर बसपा विपक्षी गठबंधन का हिस्सा हो सकती है।

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