संसद : मायावती ने राष्ट्रपति के अभिभाषण को बताया निराशाजनक, 19 दलों ने किया बहिष्कार, जानें किसने क्या कहा

देश | 4 साल पहले | Harish Rai

Google Image | मायावती ने राष्ट्रपति के भाषण को निराशाजनक बताया



बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण को किसानों और गरीबों के लिए निराशाजनक बताया है। हालांकि बसपा और अन्य 18 दलों ने राष्ट्रपति के संबोधन का बहिष्कार करने का ऐलान किया था। मायवती ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी ने केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों का संसद में और संसद के बाहर हमेशा विरोध किया है। देश के गरीबों, दलितों व पिछड़ों आदि की तरह किसानों के शोषण व अन्याय के विरूद्ध व इनके हक के लिए भी बीएसपी हमेशा आवाज उठाती रहेगी। 16 विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान जारी कर राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार की घोषणा की थी। 

राष्ट्रपति के भाषण पर ट्वीट करते हुए मायावती ने लिखा कि, “संसद के संयुक्त अधिवेशन में मा राष्ट्रपति का अभिभाषण खासकर किसानों व गरीबों आदि के लिए घोर निराशाजनक। कृषि के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने वाला किसान तीन कृषि कानूनों की वापसी को लेकर काफी आन्दोलित है व सरकारी प्रताड़ना झेल रहा है जिसपर सरकारी चुप्पी दुःखद। पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे लिखा, “बीएसपी ने केन्द्र सरकार द्वारा काफी अपरिपक्व तरीके से लाए गए नए कृषि कानूनों का संसद में व संसद के बाहर हमेशा विरोध किया है। देश के गरीबों, दलितों व पिछड़ों आदि की तरह किसानों के शोषण व अन्याय के विरूद्ध व इनके हक के लिए भी बीएसपी हमेशा आवाज उठाती रहेगी।“

मायावती का कहना था कि केंद्र सरकार ने कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने के मामले में गंभीरता नहीं दिखाई। सरकार इन कानूनों के संबंध में किसानों की संवेदना के प्रति भी निष्ठुर बनी हुई है तथा जनहित के मामलों में ढुलमुल रवैया अपनाए हुए है। इसलिए बसपा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आज संसद के दोनों सदनों में होने वाले अभिभाषण का बहिष्कार किया। बताते चलें कि 18 अन्य विपक्षी दलों ने भी राष्ट्रपति के भाषण का बहिष्कार करने की घोषणा की थी। बसपा को मिलाकर कुल 19 पार्टियों ने उनके भाषण का बहिष्कार किया।

बजट सत्र के शुरू होने के एक दिन पहले गुरुवार को कांग्रेस, राकांपा, शिवसेना और तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व में 18 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का ऐलान किया था। इन दलों ने कहा था कि वह नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ हैं, और संसद में उनकी आवाज बनेंगे। मायावती ने इस बारे में शुक्रवार को ट्वीट करते हुए लिखा, ''बसपा ने तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की देश के आन्दोलनकारी किसानों की मांग केंद्र द्वारा नहीं माने जाने एवं जनहित मामलों में भी लगातार ढुलमुल रवैया अपनाए जाने के विरोध में आज संसद में होने वाले राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला किया है।“  
     
उन्होंने आगे लिखा, ''मैं केन्द्र से कृषि कानूनों को वापस लेकर दिल्ली में स्थिति को सामान्य करने का अनुरोध करती हूं। केंद्र गणतंत्र दिवस के दिन हुए दंगे की आड़ में निर्दोष किसान नेताओं को बलि का बकरा न बनाए। इस मामले में उत्तर प्रदेश के बीकेयू एवं अन्य नेताओं की आपत्ति में भी काफी सच्चाई नजर आती है। सरकार इन पर ध्यान दे।” बताते चलें कि 16 विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान जारी कर राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार की घोषणा की थी। इनके अलावा आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल ने भी अभिभाषण का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज संसद के दोनों सदनों को संबोधित कर संसद के इस सत्र की शुरुआत की। 

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