एक कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद 9000 लोगों की करनी पड़ी जांच

देश | 5 साल पहले | Rakesh Tyagi

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो



कोरोना वायरस के एक पॉजिटिव मरीज मिलने के कारण करीब 9 हजार से अधिक लोगों की जांच करनी पड़ रही है। इसमें स्वास्थ्य विभाग के औसतन 150 से अधिक कर्मियों को एक सप्ताह का समय लग रहा है। ऐसे में कोरोना वायरस स्वास्थ्य के साथ ही संसाधनों को भी बड़ी क्षति पहुंचा रहा है।

नैनीताल जिले में अब तक कोरोना के दस पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं। इन पॉजिटिव मरीजों के सामने आने के साथ ही जिले की 93 हजार 236 लोगों की स्क्रीनिंग व जांच स्वास्थ्य विभाग कर चुका है। एक मरीज के संक्रमित होने के कारण 9 हजार 300 लोगों की जांच करनी पड़ रही है। इस जांच में विभिन्न क्षेत्रों में चल रही स्क्रीनिंग के साथ क्वारंटाइन, होम क्वारंटाइन हुए लोगों की भी संख्या शामिल है। क्योंकि हर होम क्वारंटाइन व्यक्ति की जांच के लिए कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय की गई है। हल्द्वानी के वनभूलपुरा, कालाढूंगी, रामनगर के बाद अब लालकुआं में भी पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद स्क्रीनिंग का दायरा इन क्षेत्रों पर फोकस है। स्क्रीनिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के साथ आयुष, यूनानी के साथ ही प्रशासनिक टीम भी जुटी हुई है। ऐसे में एक पॉजिटिव मरीज एक बार  में 150 स्वास्थ्य कर्मियों के साथ करीब सौ अन्य लोगों को व्यस्त कर रहा है।

डॉ. भारती राणा, सीएमओ नैनीताल कहते हैं कि पॉजिटिव मरीज आने के बाद जिले में बड़े स्तर पर रोजाना स्क्रीनिंग का काम चल रहा है। 93 हजार से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है। हर पॉजिटिव मरीज के कारण दबाव भी बढ़ रहा है। पर हमारे स्वास्थ्य कर्मी व डॉक्टर बिना डर के लोगों के बीच जाकर काम कर रहे हैं।

कोरोना पॉजिटिव मरीजों की स्क्रीनिंग में स्वास्थ्य विभाग करीब 45 दिन खर्च कर चुका है। डोर टू डोर स्कीनिंग शुरू होने से पहले बाहरी राज्यों से आ रहे हर व्यक्ति की जांच की गई। स्क्रीनिंग व जांच का दायरा होम क्वारंटाइन से लेकर संस्थागत क्वारंटाइन व शेल्टर होम तक चल रहा है। इसमें स्वास्थ्य विभाग की फील्ड स्क्रीनिंग टीमों के साथ कंट्रोल रूम, दफ्तरों के डेटा एंट्री व लिपिक स्टाफ तक जुटा है। इसके अलावा प्रशासन को भी जोड़ दिया जाए तो 600 से अधिक लोग प्रत्यक्ष रूप से रोजाना कोरोना से जूझ रहे हैं।

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