सुदीक्षा को न्याय दिलाने के लिए कैंडल मार्च निकाला गया

Tricity Today | सुदीक्षा को न्याय दिलाने के लिए कैंडल मार्च निकाला गया



सुदीक्षा भाटी को न्याय दिलाने के लिए गुरुवार को डेरी स्केनर गांव में कैंडल मार्च निकाला गया है। मार्च में ग्रामीणों के साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता शामिल हुए। सभी ने सुदीक्षा को न्याय दिलाने का संकल्प लिया है। होनहार सुदीक्षा भाटी की मौत से इलाके के लोग स्तब्ध हैं। सांत्वना देने के लिए उनके घर पर लोगों को तांता लगा हुआ है। 

सुदीक्षा को न्याय दिलाने के लिए हर कोई आगे आ रहा है। गुरुवार को डेरी स्केनर गांव में कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मनोज चौधरी की अगुवाई में कैंडल मार्च निकाला गया। कैंडल मार्च में शामिल लोगों ने कहा कि जब तक सुदीक्षा को न्याय नहीं मिल जाता तब तक वह चुप नहीं बैठेंगे। एक होनहार छात्रा चली गई। यह सबके लिए दुखद है। उसकी इच्छा शक्ति का कोई सानी नहीं था।

गौतलब है कि डेरी स्किनर गांव के रहने वाले जितेंद्र भाटी की बेटी सुदीक्षा भाटी ने एचसीएल फाउंडेशन के स्कूल विद्या ज्ञान से पढ़ाई की थी। वर्ष 2018 की सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में सुदीक्षा ने 98 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। अच्छे अंक आने के बाद सुदीक्षा को अमेरिका के बाॅबसन कॉलेज में दाखिला मिल गया। जिसके बाद उसे 3.83 करोड़ रुपये की स्काॅलरशिप दी गई थी। जून माह में वह कोरोना संक्रमण में लाॅकडाउन के कारण गांव आई हुई थी। आगामी 20 अगस्त को उसे वापस अमेरिका लौटना था। सोमवार को उसकी मौत हो गई थी।

सुदीक्षा भाटी ने सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में  98 फीसदी अंकों के साथ टॉप किया था। सिकंदराबाद के दुल्हेरा गांव के विद्या ज्ञान स्कूल की छात्रा सुदीक्षा भाटी ने 12वीं कक्षा में अंग्रेजी विषय में 95, इतिहास में 100, राजनीति विज्ञान में 96, भूगोल में 99, अर्थशास्त्र में 100 अंक हासिल किए थे। 

सुदीक्षा का चयन साल 2011 में विद्याज्ञान लीडरशिप एकेडमी स्कूल में हुआ। वहीं से उनकी जिंदगी में बदलाव आया था। अब सुदीक्षा बॉबसन कॉलेज से आंत्रेप्रेन्यॉरशिप में ग्रैजुएशन कर रही थीं। सुदीक्षा भाटी बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थीं। आपको बता दें कि स्कूल की ओर से स्कॉलरशिप के लिए अमेरिका में आवेदन किया था। सुदीक्षा का कहना था कि उसका सपना सच हो गया। सुदीक्षा अगस्त 2018 में अमेरिका गई थीं। सुदीक्षा की कामयाबी इसलिए और ज्यादा बड़ी थी क्योंकि वह एक गरीब परिवार से आई थीं। उनके पिता चाय बेचने का काम करते हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी इस बात को सुदीक्षा की पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया था।

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