गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट पर बोले डॉ हरिवंश चतुर्वेदी, शहर की शिक्षण संस्थाओं ने राहत की सांस ली है

Tricity Today | गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट पर बोले डॉ हरिवंश चतुर्वेदी



गौतम बुध नगर में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम के परिणामों पर चर्चा करने की कड़ी में ट्राइसिटी टुडे ने शिक्षाविदों से भी विचार विमर्श किया है। एजुकेशन प्रमोशन सोसाइटी ऑफ इंडिया (ईपीएसआई) के वैकल्पिक अध्यक्ष और बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (बिमटेक) के डायरेक्टर डॉ हरिवंश चतुर्वेदी से भी पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम पर बातचीत की गई है। हम उनसे की गई बातचीत के महत्वपूर्ण अंश यहां प्रकाशित कर रहे हैं।

करोड़ों अरबों रुपए निवेश करने वाले को सुरक्षा की सबसे पहले जरूरत है

डॉ हरिवंश चतुर्वेदी ने कहा, "उत्तर प्रदेश में 75 जिले हैं। हम लोग बहुत लंबे अरसे से लगातार सेमिनार जैसे आयोजन करके मांग करते रहे हैं कि इस जिले की प्रकृति बाकी जिलों के से अलग है। यहां बेस्ट गवर्नेंस की जरूरत है। उत्तर प्रदेश के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा गौतम बुध नगर से पैदा होता है। यहां बड़ी बड़ी आईटी कंपनियां हैं। यहां लाखों आईटी वर्कर्स हैं। बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री हैं। जिन्होंने बहुत बड़ा निवेश यहां किया है। अब यमुना एक्सप्रेस वे के इर्द-गिर्द बहुत सारी एक्टिविटी शुरू हो गई हैं। जेवर एयरपोर्ट बन रहा है। गौतम बुध नगर में ब्रिटिश गवर्नमेंट के समय का गवर्नेंस कामयाब नहीं है। जैसे बाकी जिलों में जिला प्रशासन होता है और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक काम करता है, उसके जरिए यहां आगे काम नहीं किया जा सकता है।"

अपहरण जैसी घटनाएं हुई जिनसे शहर का नाम ग्लोबल लेवल पर खराब हुआ था

डॉ हरिवंश चतुर्वेदी आगे कहते हैं, "आईटी प्रोफेशनल्स लगातार शिकायत करते रहते थे। उनके साथ लूटपाट की घटनाएं होती थीं। जिसका पूरी दुनिया में गलत मैसेज जाता था। एडोबी इंडिया के सीईओ के बेटे का नोएडा में अपहरण कर लिया गया था। यहां वाकई जरूरत थी कि पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो। दिल्ली की तरह यहां कानून-व्यवस्था अच्छी बने। जिले की जनसंख्या भी ज्यादा है। यह संवेदनशील जिला है। यहां मीडिया है। इसलिए सरकार का फैसला बिल्कुल सही है। पिछले 6 महीने में कानून व्यवस्था में अच्छा इंप्रूवमेंट दिखाई दिया है। कोरोना वायरस के दौरान पुलिस ने शानदार ड्यूटी को अंजाम दिया है। मैं यह नहीं कहूंगा कि पुलिस का चेहरा और रवैया सौ फीसदी बदल गया है, लेकिन पिछले दिनों में पुलिस की बॉडी लैंग्वेज और उसके आचरण में रेडिकल चेंज दिखाई दिया है। यह बदलाव नजर आ रहा है।"

पहले के मुकाबले आपराधिक घटनाएं बहुत कम हो रही हैं

डॉक्टर चतुर्वेदी बताते हैं, "मैं 15 वर्षों से ग्रेटर नोएडा में रह रहा हूं। कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने से पहले ज्यादा आपराधिक घटनाएं होती थीं। अब कम आपराधिक घटनाएं हो रही हैं। यह कोविड-19 काल तो तीन महीने का है। उससे पहले तीन महीने में कानून-व्यवस्था देखने को मिली, उसमें बदलाव वाकई आया है। कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद ज्यादा अधिकारी मिले। जिले को ज्यादा रिसोर्सेज मिले। एफिशिएंट ऑफिसर भेजे गए हैं। जिससे अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं।" 

पुलिस कमिश्नरेट लागू होने के बाद शिक्षण संस्थानों ने राहत महसूस की

डॉक्टर चतुर्वेदी आगे कहते हैं, "हम चाहते हैं कि कमिश्नर सिस्टम लागू रहना चाहिए। इसमें कोई बदलाव करने की जरूरत नहीं है। कोविड-19 से लड़ाई में प्रशासन नेतृत्व कर रहा है, लेकिन उसमें पुलिस का सहयोग कमतर नहीं आंका जा सकता है। पुलिस ने बहुत शानदार ढंग से इस लड़ाई में प्रशासनिक अधिकारियों को सहयोग दिया है। कमिश्नर सिस्टम को आए हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ है। इसे स्थायित्व की जरूरत है। स्टेबिलिटी आएगी तो परिणाम और बेहतर आएंगे। नेता क्या कह रहे हैं, मैं उस पर कोई तर्क या पक्ष रखना नहीं चाहता हूं। मैं एक आम नागरिक और शिक्षाविद होने के नाते यह स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि शिक्षण संस्थाओं ने पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद राहत महसूस की है।"

डॉ चतुर्वेदी ने कहा, "ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क में आए दिन लूटमार की घटनाएं होती थीं। जिनमें वाकई बहुत ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है। पिछले कुछ महीनों में नॉलेज पार्क में पब्लिक मूवमेंट कम रहा है, लेकिन पुलिस के स्तर पर किसी भी तरह की लापरवाही नजर नहीं आई है। जैसा दूसरे जिलों में देखने और सुनने के लिए मिलता है कि दिनदहाड़े मर्डर हो रहे हैं, गोलियां चल रही हैं, क्रिमिनल्स घूम रहे हैं। ऐसा गौतम बुध नगर में तो कुछ दिखाई और सुनाई नहीं पड़ता है। अगर ऐसा कुछ रहा होता तो हम लोगों के संज्ञान में तो जरूर आता।"

पुलिस कर्मियों को भी राहत चाहिए और उन्हें आराम मिलना चाहिए

वह आगे कहते हैं कि पिछले काफी अरसे से गौतम बुध नगर में गैंगवार जैसी घटनाएं भी नहीं हुई हैं। यह सब सकारात्मक परिणाम हैं। गौतम बुध नगर में पुलिस की ओर से बर्बरता पूर्ण कोई एक्शन भी नहीं लिया गया है। अभी आप तमिलनाडु को देख सकते हैं, वहां पुलिस के खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा हो गया। तो कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि जहां ब्रिटिश रूल के अकॉर्डिंग पुलिसिंग चल रही है, वहां इतनी अच्छी कानून-व्यवस्था नहीं है। पुराने सिस्टम में एक पुलिस वाले को 16-18 घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है। उसे महीने छुट्टी नहीं दी जाती है तो उसके मानसिक स्तर का अंदाजा आप लगा सकते हैं। वह कितना परेशान होता होगा और उस परेशानी के दौर में उसके पास आने वाले परेशान लोगों को वह किस तरह से डील करता होगा।" 

डॉ हरिवंश चतुर्वेदी ने जोर दिया कि पुलिस के वेलफेयर पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्हें पर्याप्त आराम मिलना चाहिए। उन्हें छुट्टी मिलनी चाहिए। उन्हें अच्छे घर मिलने चाहिए। उनके परिवार के सदस्यों को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। पुलिस को मशीन समझ लेना उचित नहीं है। हमने सोच लिया कि पुलिस एक मशीन है और उसे कहीं भी ले जाकर खड़ा कर दो और वह 24 घंटे में खड़ा रहेगा। ऐसा नहीं हो सकता है और यह सारे सकारात्मक बदलाव पुरानी पुलिस व्यवस्था में संभव नहीं हैं। पुलिस कमिश्नरेट आने से निसंदेह पुलिसकर्मियों को भी राहत मिली होगी।

पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम योगी आदित्यनाथ की शानदार पहल है

डॉ हरिवंश चतुर्वेदी कहते हैं कि पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक शानदार पहल है। "आजाद भारत में हमें पुलिसिंग का एक अच्छा और नया मॉडल चाहिए। मेरी नजर में गौतम बुध नगर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करना और शानदार पहल है। अगर हम इस सिस्टम को 100 फीसदी अच्छा नहीं भी मानें तो भी पुराने पुलिसिंग सिस्टम के मुकाबले इसने व्यापक और सकारात्मक बदलाव गौतम बुध नगर में दिखाएं हैं। मैं इस व्यवस्था का पुरजोर समर्थन करता हूं।"

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