Tricity Today | अमर पाल का परिवार
बुधवार को दो श्रमिक स्पेशल ट्रैन से कस्बे के रेलवे स्टेशन से बिहार के लिए रवाना हो गईं। ज्यादातर लोगों को अपने गांव लौटने की आशा से चेहरे पर संतुष्टी थी। परिवार से मिलने की उत्सुकता थी तो एक परिवार छपरा गई ट्रैन में ऐसा भी सवार था, जो मकान मालिक से दूर हो जाने से मायूस था। उदासी मुंह पर लिए कहा कि काम बंद है। सरकार ने भेजने की व्यवस्था की, इसलिए जा रहे हैं। पर, मकान मालिक को छोड़कर जाने का मन नहीं है। वह इतना अच्छा आदमी है हमारा बहुत ख्याल रखा।
बोगी संख्या बारह में सवार अमर पाल का परिवार जनपद छपरा के लिए रवाना हो गया। साथ में पत्नी सीमा देवी और दो बेटे थे। अमर सिंह का कहना था कि नोएडा में प्लंबर का काम करता था। कुलेसरा में राजवीर सिंह के मकान में रहता था। काम दो महीने से बंद है। जो कुछ जोड़ा था वो खर्च हो गया। मकान मालिक ने अपने बच्चे की तरह छह साल तक रखा। अभी भी गांव जाने के लिए काफी मना किया। इसी दौरान बगल में बैठी पत्नी सीमा देवी बोली, मकान मालिकन अंटी का दो महीने का किराया भी नहीं दिया है। बिजली बिल बकाया है। अभी अंटी ने कई बार कहा कि कहीं मत जाओ। कुछ दिन में सब ठीक हो जायेगा।
दीदी के शादी से पहले जरूर आएंगे
अमर पाल ने बताया कि सर्दियों में मकान मालिक की बेटी की शादी है। तब तक हम सब जरूर जा जाएंगे। दोनों बेटे अंटी के पास ही खेलते रहते थे। जब घर से निकले तो दोनों काफी देर तक रोये।
ट्रेन में बैठने के बारे में फोन पर पूछा
सीमा ने बताया कि आंटी का दो बार फोन आया कि ट्रैन में बैठ चुके हो या नहीं। बच्चों के बारे में भी पूछा। घर पहुंचकर फोन करने को कहा है। सीमा बोली, इस बीमारी ने बहुत कुछ चीन लिया है। गांव जाकर भी मकान मालिक अंकल और आंटी की बहुत याद आएगी। उन्होंने कभी किराएदार नहीं समझा। हमेशा अपनी बहू की तरह समझाया और धमकाया।