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अमेरिकी निवेशक भरतीय बाजार में छोटे-छोटे स्टार्टअप प्लांट करके गति पकड़ चुके भारतीय स्टार्टअप और बड़ी कंपनियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके लिए कंपनी में जिम्मेदार पदों पर बैठे कर्मचारियों को लालच देकर तोड़ा जा रहा है। उसके बाद डाटा चोरी करके अच्छा काम कर रही स्टार्टअप कंपनियों को आर्थिक, तकनीकी और सुरक्षा में सेंधमारी करके नुकसान पहुंचाया जा रहा है। डाटा चोरी होने की वजह से कंजूमर का भरोसा भी कंपनियों से उठ जाता है। ऐसे ही एक मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने बीते 24 सितंबर को एक आदेश जारी किया है। जिसमें डाटा चोरी के आरोपों में घिरे एको इंश्योरेंस कंपनी के दो पुराने कर्मचारियों को राहत देने से इंकार कर दिया है।
ट्राइसिटी टुडे की पड़ताल में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। आपको सबसे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट के मामले की जानकारी देते हैं। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 24 सितंबर को एक याचिका खारिज कर दी। यह याचिका ऑनश्योरिटी के संस्थापकों योगेश अग्रवाल और कुलीन शाह की ओर से दायर की गई थी। इन दोनों लोगों ने उनके खिलाफ एको जनरल इंश्योरेंस की ओर से दर्ज आपराधिक मामला खारिज करने और एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। दोनों के कानूनी वकील ने तर्क दिया कि प्राथमिकी में आरोप अस्पष्ट थे और एक दीवानी मामले में आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया है।
लेकिन अपने आदेश में अदालत ने कहा कि प्रारम्भिक रूप से यह बौद्धिक संपदा की चोरी करने के लिए ऑनश्योरिटी और उसके संस्थापकों के खिलाफ मामला है। इस तरह के आपराधिक मामले को खारिज करने के लिए कोई पर्याप्त आधार नहीं हैं। अदालत ने कहा, "याचिकाकर्ताओं ने बौद्धिक संपदा की चोरी की है और उसी का उपयोग उनकी कंपनी ऑनश्योरिटी टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड करके बाजार में काम कर रही है, तो इस संबंध में एक निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।" अदालत ने आगे कहा, यह आरोपों के लिए पर्याप्त उपलब्ध साक्ष्य हैं। जिससे एक अपराध का गठन होता है। लिहाजा, ऐसी आपराधिक घटनाओं को सहन करने का कोई कारण नहीं है।
इस साल मई में अमेज़ॅन-समर्थित बीमा तकनीक स्टार्टअप एको ने आरोप लगाया कि उसके पूर्व कर्मचारी कुलीन शाह और पूर्व सलाहकार योगेश अग्रवाल ने प्रतिस्पर्धात्मक व्यवसाय बनाने के लिए एको के गोपनीय डेटा का इस्तेमाल किया है। डाटा का उपयोग करके क्रमशः कोलकाता और बेंगलुरु में ऑनश्योरिटी सर्विसेज और ओनसुरिटी टेक्नोलॉजीज कम्पनी का पंजीकरण करवाया है।
इसके बाद एको ने एक प्राथमिकी दर्ज करवाई। जिसके बाद कुलीन शाह और योगेश अग्रवाल ने के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई। बीमा टेक कंपनी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक सिविल सूट भी दायर किया। जहां उसने शाह और अग्रवाल से 20 करोड़ रूपये के नुकसान की मांग की है। इस मुकदमे के खिलाफ ये दोनों आरोपी कर्नाटक हाईकोर्ट में राहत मांगने गए थे।
अब कर्नाटक उच्च न्यायालय के हालिया आदेश पर ऑनश्योरिटी के संस्थापक योगेश अग्रवाल और कुलीन शाह से हमने बात करने की कोशिश की, उनसे सम्पर्क नहीं हो सका है। हालांकि उन्होंने विभिन्न समाचार माध्यमों से बात की है। जिसमें योगेश अग्रवाल ने कहा, “हम दो अलग-अलग अदालतों में दो मामलों का सामना कर रहे हैं। इस दोहरी कार्रवाई का दबाव कम करने की कोशिश कर रहे थे। अलग-अलग शहरों में चल रही कार्रवाई के कारण व्यवसाय से हमारा ध्यान और ऊर्जा को विभाजित हो रही है। हमें अपनी न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है और टिप्पणी करने से पहले अदालत के फैसले को अच्छी तरह पढ़ने का इंतजार करेंगे।” अग्रवाल ने आगे आरोप लगाया कि बंबई और कर्नाटक उच्च न्यायालयों में एको ने कई तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया है। मिडिया में गलत बयानी करके ऑनश्योरिटी को बदनाम करने की कोशिश है।
कोलकाता, मुंबई और बेंगलुरु में जांच के दौरान बड़ा खुलासा
मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने तीन शहरों कोलकाता, मुंबई और बेंगलुरु में ऑनश्योरिटी के कार्यस्थलों की जाँच का आदेश दिया। अधिवक्ता आयुक्तों की नियुक्ति की। ट्राइसिटी टुडे को विश्वसनीय स्रोतों से मिली जानकारी के मुताबिक 27 जून को बेंगलुरु में ऑनश्योरिटी के कार्यालय के निरीक्षण के दौरान कमिश्नर को लैपटॉप में 'एको' नामक फाइलों का फ़ोल्डर मिला। इनमें से कुछ फाइलें, दस्तावेज प्रतिवादियों में से एक के नाम से सम्बोधित करते हैं।
एडवोकेट कमिश्नर को लालच देने की कोशिश की गई
जानकारी मिली है कि जांचकर्ताओं ने लैपटॉप की खोज की, उसके बाद आरोपियों ने लैपटॉप की बारे में जानकारी को छिपाने की मांग की। आयुक्त से लैपटॉप को नजरअंदाज करने और इसे अदालत में प्रस्तुत नहीं करने का आग्रह किया गया। इसके लिए आयुक्त को लालच देने की कोशिश की गई। ऐसा आयुक्त ने कोर्ट को दी रिपोर्ट में लिखा है। छापेमारी से लैपटॉप और अन्य मीडिया उपकरण जब्त किए हैं।
ऑनश्योरिटी के कार्यालय के निरीक्षण के दौरान जो कुछ हुआ उसका एक संदर्भ भी कर्नाटक उच्च न्यायालय में अपने तर्कों में एको के कानूनी वकील द्वारा किया गया था। वकील ने बताया कि आयुक्त द्वारा निरीक्षण बड़ी मुश्किल से किया गया था और निरीक्षण के दौरान सह-अभियुक्त के व्यवहार पर सवाल उठाया गया था।
आपको बता दें कि ऑनश्योरिटी में अमेरिकी फर्म नेक्सस वेंचर्स ने इसी साल मार्च महीने में करीब ढाई मिलियन डॉलर का निवेश किया है। इस निवेश को लेकर नेक्सस वेंचर्स ने कोई प्रचार नहीं किया। जबकि सामान्य रूप से जब भी नेक्सस वेंचर्स इस तरह का निवेश करता है तो उसकी पूरी पब्लिसिटी करता है। ऑनश्योरिटी ने निवेश हासिल करने के लिए जो टेक प्रेजेंटेशन की, उसका ड्यू-डिलिजेंस कैसा हुआ, यह सवाल भी बाजार में उठ रहा है। इस बारे में बात करने के लिए ट्राइसिटी टुडे की ओर से नेक्सस वेंचर्स से सम्पर्क किया गया है।
निवेश के नाम पर चल रहा है डाटा चोरी का खेल
जानकारों का कहना है कि ऐसे कुछ निवेशक हैं, जो भारतीय बाजार से कंज्यूमर का डाटा चोरी करवा रहे हैं। लिहाजा, सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इस तरह की घटनाएं कोई पहली बार नहीं हुई हैं। देश के तमाम शहरों में बड़ी और स्टार्टअप कंपनियों का डाटा उनके कर्मचारियों ने चोरी किया है। दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, बंगलूरू और हैदराबाद में ऐसे तमाम मामले सामने आए हैं।