Arati Saha special - आरती साहा की 80वीं जयंती पर खास, Google ने Doodle के जरिए उन्हें याद किया, English Channel को तैर कर पार करने का है कीर्तिमान

देश | 4 साल पहले | Harish Rai

Google Image | Arati Saha Gupta



Arati Saha special - Google आज दुनिया की सबसे शानदार तैराक पद्मश्री आरती साहा गुप्ता की 80वीं जयंती पर Doodle बनाकर उन्हें सम्मानित कर रहा है। आरती साहा पहली एशियन महिला थी, जिन्होंने तैरकर English Channel को पार किया था। आज उनकी 80वीं जयंती है। आरती साहा तैराकी में इतनी माहिर थीं कि उन्हें भारत की जलपरी भी कहा जाता है। उनकी आंखों में हमेशा एक चमक दिखी जो उन्हें इंग्लिश चैनल को तैरकर पार करने के लिए प्रेरित करती रही। आखिरकार उन्होंने यह मुकाम हासिल किया।


Google समय-समय पर अपने home page पर doodle के जरिए दुनिया की महान हस्तियों को याद करता है। उन्हें सम्मानित करता है। गुरुवार 24 सितंबर को जब Google के home page पर देखा गया तो वहां दुनिया के मानचित्र के बीच बनी लहरों में एक चमकता हुआ चेहरा दिखाई दिया। इस चेहरे से हर भारतवासी परिचित है और इसे गर्व से याद करता है। जी हां, यह चेहरा है आरती साहा का। इन्होंने तैराकी की दुनिया में संपूर्ण संसार को स्तब्ध कर नया कीर्तिमान रचा था। ये चेहरा है भारत की जलपरी का।


सिर्फ 14 घंटे 20 मिनट में 42 मील की दूरी तय की


आरती साहा बचपन से ही तैराकी की दुनिया में अपना नाम रोशन करना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। एक मिसाल के तौर पर हम देख सकते हैं कि उन्होंने तैर कर सिर्फ 14 घंटे 20 मिनट में 42 मील की दूरी तय कर ली थी। 29 सितंबर 1959 को तैर कर इंग्लिश चैनल पार करने वाली वो एशिया की प्रथम महिला तैराक बन गईं। उनकी अद्वितीय प्रतिभा के लिए उन्हें 1960 में देश के सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। पद्मश्री हासिल करने वाली वो देश की पहली महिला स्पोर्ट्सवूमेन थीं।


डाक टिकट भी जारी किया गया था


भारत सरकार देश के महत्वपूर्ण लोगों और असाधारण उपलब्धियों को हासिल करने वाली हस्तियों की स्मृति में डाक टिकट जारी करती है। 1998 में भारतीय डाक विभाग ने आरती साहा गुप्ता के नाम पर भी डाक टिकट जारी किया था और उन्हें देश की महान हस्तियों में शामिल किया था। 


आरती साहा का जन्म 24 सितंबर 1940 को कोलकाता के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। पद्मश्री हासिल करने वाली आरती ने सिर्फ 2 साल की छोटी उम्र में अपनी मां को खो दिया था। बचपन के दिन उनकी दादी के साथ गुजरे। दादी ने ही उनकी परवरिश की। आरती साहा का घर उत्तरी कोलकाता में था और चंपाताला घाटों के बिल्कुल करीब था। आरती ने बचपन में ही तैराकी सीख ली थी। अपनी बेटी  की रुचि और क्षमता को देखते हुए उनके पिता ने उनका दाखिला हातखोला स्विमिंग क्लब में करा दिया था। 


एशियन गेम्स में देश को पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले सचिन नाग ने हातखोला स्विमिंग क्लब में आरती  की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया। इस तरह सिर्फ 5 साल की उम्र में ही आरती का स्विमिंग करियर आरंभ हो गया था। इसके बाद साल दर साल आरती अपनी तैराकी क्षमता का लोहा मनवाती रहीं और स्वर्ण पदक के साथ दूसरी तमाम उपलब्धियां अपने नाम दर्ज कराती रहीं। आरती पीलिया से पीडित थीं। 23 अगस्त 1994 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

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