ट्विटर की हैकिंग के पीछे चीन की करामात, साइबर एजेंसियों को मिली जानकारी

देश | 4 साल पहले | Rakesh Tyagi

Google Images | China behind the Twitter account hacking



बुधवार को अमेरिका में दिग्गज नेताओं, उद्योगपतियों, सेलिब्रिटी और कंपनियों को निशाना बनाते हुए हैकर्स ने उनके ट्विटर हैंडल हैक कर लिए हैं। इस घटना के बाद पूरी दुनिया में सोशल मीडिया पर हड़कंप मचा हुआ है। दुनिया भर की साइबर एजेंसियां जांच पड़ताल में जुट गई हैं। शुरुआती जांच में सामने आ रहा है कि इस हैकिंग के पीछे चीनी हैकर्स का हाथ है। दरअसल भारत समेत अमेरिका और यूरोप में चीनी सोशल मीडिया एप्स के खिलाफ बने माहौल से चिढ़कर इस हैकिंग को अंजाम दिया गया है।

पिछले महीने इस तरह के साइबर हमलों की चेतावनी एजेंसियों ने जारी भी की थी। जिसमें कहा गया था कि चीनी हैकर्स यूरोप, अमेरिका और एशिया में भारत जैसे प्रतिद्वंदी देशों के इंटरनेट यूजर और सोशल मीडिया एप्स में अव्यवस्था फैला सकते हैं। अब बुधवार को टि्वटर पर हैकर्स ने बड़ा हमला किया है। दुनिया भर के दिग्गज नेताओं, सेलिब्रिटी, कंपनियों और दूसरी हस्तियों के ट्विटर अकाउंट हैक कर लिए गए हैं। हैकर अपनी मनमर्जी से ट्वीट कर रहे हैं। अकाउंट मुक्त करने के एवज में बिटकॉइन के जरिए पैसे की मांग की जा रही है। ट्विटर भी असमंजस में है।

हैकरों ने माइक्रोसॉफ्ट के सह संस्थापक बिल गेट्स, टेस्ला के सीईओ इलॉन मस्क, अमेरिकी रैपर कान्ये वेस्ट, अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, दुनिया के टॉप फाइव  अरबपतियों में शामिल कारोबारी वॉरेन बफेट के ट्विटर हैंडल हैक किए हैं। साथ ही एप्पल और उबर जैसी तमाम दिग्गज कंपनियों के ट्विटर अकाउंट भी हैक कर लिए गए हैं।

इन सारे नामों को देखकर सहज रूप से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हैकर्स ने अमेरिकी हस्तियों और कंपनियों को निशाना बनाया है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में चीन के साथ इस वक्त ट्रेड वॉर चरम पर है। हालात शीत युद्ध जैसे बने हुए हैं। भारत के साथ लद्दाख वैली में खराब हुए रिश्तो को लेकर भी चीन लगातार अमेरिका पर निशाना साध रहा है। लद्दाख मुद्दे के बाद भारत ने चीन के खिलाफ काफी सख्ती दिखाई। सरकार ने करीब 80 चीनी सोशल मीडिया एप भारत में प्रतिबंधित कर दिए हैं। जिसमें टिकटोक जैसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी शामिल हैं। 

इस पाबंदी से चीन के सोशल मीडिया एप्स की छवि पूरी दुनिया में खराब हुई है। इन कंपनियों को अरबों रुपए के घाटे का सामना करना पड़ा है। दूसरी ओर अमेरिका ने भारत की इस कार्रवाई का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरा समर्थन किया है। साइबर एजेंसियों का मानना है कि इन्हीं सब कारणों के चलते ट्विटर पर यह हमला किया गया है। दरअसल ट्विटर अमेरिकी कंपनी है। ट्विटर में अब सबसे बड़ा निवेश सऊदी अरब का है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कम्पनी में ट्विटर के संस्थापक जैक डोर्सी से ज्यादा हिस्सेदारी सऊदी अरब के प्रिंस अलवलीद बिन तलाल के पास है।

इस वक्त पूरी दुनिया में संचार उद्योग में निवेश के 2 सबसे बड़े हब हैं। एक तरफ सऊदी अरब के निवेशक हैं और दूसरी ओर चीनी निवेशक हैं। गल्फ के निवेशकों का झुकाव हमेशा से यूरोप और अमेरिकी कंपनियों की तरफ रहा है। चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और संचार उद्योग को नुकसान का सबसे बड़ा फायदा अमेरिकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ही होने की उम्मीद है। इन सब कारणों को ध्यान में रखते हुए साइबर एजेंसियों का शुरुआती पड़ताल में मानना है कि बुधवार को ट्विटर पर हुए हमले के पीछे चीनी हैकर से शामिल हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि गुरुवार की देर शाम तक स्थिति साफ हो जाएगी।

हैकिंग के तुरंत बाद ट्विटर ने इन सभी अकाउंट पर ट्वीट और रिट्वीट फंक्शन को डिसेबल कर दिया है। ट्विटर ने कहा है, "हम इस मामले की समीक्षा कर रहे हैं। जिसके चलते यूजर अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट नहीं कर पा रहे होंगे। अभी यह सारे यूजर अपने पासवर्ड भी रिसेट नहीं कर पा रहे होंगे।" ट्विटर ने कहा है कि इस मामले का पता लगाने के बाद पूरी जानकारी दी जाएगी। ट्विटर ने छानबीन शुरू कर दी है कि आखिर किस तरह हैकर्स ने इतने सिक्योर अकाउंट्स को हैक किया है।

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