खुशखबरी : कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज होम्योपैथी से भी हो सकेगा, सरकार को दिए यह प्रस्ताव

देश | 5 साल पहले | Tricity Reporter

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो



कोरोना से संक्रमित मरीजों का इलाज होम्योपैथी से भी करने की तैयारी शुरू हो गई है। भारत सरकार के रांची स्थित होम्योपैथी क्लिनिकल रिसर्च यूनिट ने इसकी अनुमति मांगी है। इससे संबंधित चार शोध प्रस्ताव राज्य के स्वास्थ्य विभाग को सौंपे हैं। अगर अनुमति मिली तो जल्द कोरोना मरीजों पर होम्योपैथी दवाओं का ट्रायल शुरू हो सकता है।

रांची स्थित होम्योपैथी क्लिनिकल रिसर्च यूनिट केंद्र सरकार के नियामक निकाय सेंट्रल काउंसिल ऑफ रिसर्च फॉर होम्योपैथी का हिस्सा है। यह यूनिट किसी खास बीमारी के निदान के लिए होम्योपैथी दवा का परीक्षण कर प्रमाणित करती है होम्योपैथी क्लिनिकल रिसर्च यूनिट ने कोरंटाइन, संदिग्ध, संक्रमित और क्रिटिकल मरीजों पर दवाओं को अलग-अलग आजमाने के प्रस्ताव दिए हैं। इसके तहत क्रिटिकल और संक्रमित मरीजों पर एलोपैथी दवाओं के साथ ही होम्योपैथी दवाओं का भी परीक्षण किया जाएगा। रैंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल विधि से इसके असर को परखा जाएगा। मरीजों को तीन समूहों में बांटकर होम्योपैथी दवा खाने, होम्योपैथी दवा बताकर सामान्य पदार्थ की गोली देने और बिना दवा दिए समूहों पर असर को अलग-अलग परखा जाएगा। एक्सरे के माध्यम से उनके गले, फेफड़े या श्वासनली में बनी नई संरचना का भी अध्ययन किया जाएगा। इसके लिए ब्रानिया, कैंफर और आर्सेनिकम एलबम-30 नामक दवाओं की अलग-अलग मात्रा के जरिए बार-बार परीक्षण किया जाएगा। इसके जरिए कारगर निदान साबित होने पर उसे समग्रता में लागू किया जाएगा। दो मेडिसीन सिस्टम को मिलाकर कोरोना का अचूक समाधान भी बड़ी कामयाबी होगी।

संदिग्ध मरीजों को देंगे केवल होम्योपैथी की गोली
प्रदेश में 80 फीसदी बिना लक्षण वाले मरीजों के होने के कारण संक्रमितों के संपर्क में आने वालों के लिए निरोधक उपाय को आजमाना भी शोध प्रस्ताव में शामिल है। इसके तहत संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों के एक्सरे या दूसरी जांच के बाद उन्हें केवल होम्योपैथी की दवा खिलाई जाएगी। एक सप्ताह तक दवा खिलाने के बाद उनकी दोबारा जांच की जाएगी। दोनों बार के परिणामों में अंतर का अध्ययन किया जाएगा। कोरंटाइन किए गए लोगों पर भी इसी तरह से परीक्षण किया जाएगा। कोरोना निरोधक के रूप में दवा की क्षमता आजमाने की कोशिश की जाएगी।

2 महीने में ट्रायल पूरा होने की उम्मीद
होम्योपैथी क्लिनिकल रिसर्च यूनिट ने राज्य सरकार से दो महीने का समय मांगा है। इस बीच दवाएं अलग-अलग आनुवंशिक गुणों वाले समुदायों पर अलग-अलग स्थानों पर आजमाई जाएंगी। संक्रमितों या क्रिटिकल मरीजों पर परीक्षण के लिए रिम्स जैसे संस्थानों में वहां के डॉक्टरों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत होगी। रैंडमली चुने गए नमूनों पर परीक्षण के परिणाम दिखाकर इसे प्रमाणित करना होगा।

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