लॉकडाउन में हाथियों का शिकार ज्यादा हुआ, नोएडा के वकील की आरटीआई से खुलासा

नोएडा | 4 साल पहले | Anika Gupta

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो



लॉकडाउन के दौरान देशभर में हाथियों का शिकार सामान्य दिनों के मुकाबले ज्यादा हुआ है। तस्करों और शिकारियों ने लॉकडाउन का हाथियों की हत्या करने के लिए भरपूर फायदा उठाया है। केंद्र सरकार के वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने यह जानकारी दी है। नोएडा के समाजसेवी और वकील रंजन तोमर ने इस बारे में सूचना का अधिकार के तहत आरटीआई फाइल करके जानकारी मांगी थी।

नोएडा के समाजसेवी और अधिवक्ता रंजन तोमर ने वन्यजीव अपराध नियन्त्र ब्यूरो में एक आरटीआई लगाई थी। केरल में हुई गर्भवती हथिनी की हत्या के बाद देशभर में उठे उबाल के चलते उन्हें यह विचार आया था। आरटीआई से मिले जवाब के मुताबिक इस वर्ष अब तक 11 हाथियों का शिकार किया गया है। जिनमें सबसे पहले फरवरी में उत्तर प्रदेश में एक हाथी का शिकार किया गया। उसी दिन गोवा में भी एक हाथी को मार दिया गया था। लॉकडाउन से पहले तीन माह में मात्र 2 हाथियों का शिकार हुआ था।  

मार्च से अब तक मारे गए 9 हाथी, सबसे ज्यादा 4 ओडिशा में मारे गए 

आरटीआई से मिले जवाब कर मुताबिक लॉकडाउन घोषित होने के बाद मार्च से अब तक 9 हाथियों को जान से मार दिया गया है। जिसमें सबसे ज़्यादा 4 हाथी ओडिशा में मारे गए हैं। जिनमें से तीन का शिकार तो महज आठ दिनों के अंतराल में ही किया गया है। इसके बाद छत्तीसगढ़ में 3 हाथियों का शिकार हुआ है। जिनमें से 2 को तो एक ही दिन 9 जून 2020 को मार दिया गया। एक को दो दिन बाद 11 जून को मौत के घाट उतार दिया गया। देशभर को झकझोर देने वाली केरल की घटना में 27 मई को हथिनी के मुंह में विस्फोटक रखकर बड़ी क्रूरता से मारा गया था। जबकि एक हाथी का शिकार मेघालय में 12 जून को किया गया है।

रंजन तोमर ने बताया कि पिछले वर्ष लगाई गई आरटीआई से यह जानकारी आई थी कि भारत में प्रत्येक वर्ष औसतन 43 हाथियों की हत्या कर दी जाती है। हालांकि, अभी पिछले वर्षों के मुकाबले मारे गए हाथियों की संख्या कम है, लेकिन अभी साल में 6 महीने बाकी हैं। सरकार को हाथियों के शिकार पर पाबंदी लगाने के लिए कारगर कदम उठाने चाहिए।

अन्य खबरें