राजस्थान के राजनीतिक घमासान में गौतमबुद्ध नगर के चार चेहरे, सबकी बड़ी भूमिकाएं

देश | 4 साल पहले | Mayank Tawer

Tricity Today | Kalraj Mishra, Mayawati, Ashok Gehlot Sachin Pilot and Joginder Awana



राजस्थान के राजनीतिक घमासान में गौतमबुद्ध नगर के चार चेहरे महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। राजस्थान में चल रहा पूरा राजनीतिक घटनाक्रम कहीं ना कहीं इन लोगों के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है। इनमें राजस्थान के गवर्नर कलराज मिश्रा हैं। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती भी इस राजनीतिक घमासान के केंद्र में आ गई हैं। तीसरे राजस्थान के पूर्व डिप्टी चीफ मिनिस्टर और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट हैं। चौथे नोएडा के जोगिंदर अवाना हैं। जोगिंदर अवाना बहुजन समाज पार्टी के विधायक हैं।

सबसे पहले राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा की बात करते हैं। कलराज मिश्रा नोएडा के सेक्टर-51 में रहते हैं। भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे हैं। कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्त और राजनाथ सिंह की सरकारों में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रह चुके हैं। केंद्र सरकार में भी कई मंत्री पद कलराज मिश्रा संभाल चुके हैं। फिलहाल राजस्थान जैसे महत्वपूर्ण राज्य में गवर्नर हैं। 

कलराज मिश्रा के खिलाफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की है। दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते हैं कि विधानसभा का विशेष सत्र तत्काल बुलाया जाए। वह बहुमत साबित करने के लिए तैयार हैं। दूसरी ओर कलराज मिश्रा इस पूरे मामले पर कानूनी राय मशवरा कर रहे हैं। उनकी ओर से मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में कुछ जानकारियां मांगी गई हैं। कलराज मिश्रा ने मुख्यमंत्री से पूछा है कि क्या वह अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं? 

दरअसल, मुख्यमंत्री मीडिया के सामने तो बहुमत साबित करने की बात कह रहे हैं, लेकिन गवर्नर को भेजे गए चिट्ठी में उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया है। कुल मिलाकर साफ है कि राजनीतिक अस्थिरता के बीच राज्यपाल की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में राजस्थान में बतौर गवर्नर कलराज मिश्रा आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते नजर आएंगे।

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती इस पूरे मामले में रविवार को सक्रिय हुई हैं। मायावती ने अपने राजस्थान में 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय को असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दिया है। इतना ही नहीं बहुजन समाज पार्टी की ओर से 6 विधायकों को व्हिप जारी कर दिया गया है। इसमें पार्टी ने स्पष्ट आदेश दिया है कि अगर विधानसभा में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आता है तो उन्हें सरकार के खिलाफ वोटिंग करनी होगी। इतना ही नहीं मायावती की ओर से यह भी कहा गया है कि अगर विधायकों ने व्हिप का पालन नहीं किया तो उनके खिलाफ अयोग्यता प्रक्रिया शुरू की जाएगी। 

बहुजन समाज पार्टी की ओर से 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय की प्रक्रिया को गैर कानूनी करार देते हुए हाईकोर्ट में चुनौती देने का फैसला भी लिया गया है। इसके लिए सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक दिलावर ने विधानसभा सचिवालय में धरना दिया है। विधायक विधानसभा सचिवालय से स्पीकर के आदेश की प्रति लेना चाहते हैं। इस आदेश के जरिए बसपा विधायकों के विलय को कांग्रेस में मंजूरी दी गई थी।

आपको बता दें कि मायावती भी गौतमबुद्ध नगर के निवासी हैं। वह दादरी क्षेत्र के बादलपुर गांव की रहने वाली हैं। ऐसे में गौतमबुद्ध नगर समेत पूरे उत्तर प्रदेश के लोगों की निगाह राजस्थान में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम पर टिक गई है। मायावती बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के मुद्दे को लगातार उठा रही हैं। उन्होंने इसे कांग्रेस की गद्दारी और राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया है। मायावती ने यहां तक कहा था कि कांग्रेस ही सेक्यूलर पार्टियों को कमजोर कर रही है और भाजपा की ओर झुकाव रखने के लिए मजबूर कर रही है।

अब बात करते हैं राजस्थान के पूर्व डिप्टी चीफ मिनिस्टर और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सचिन पायलट की। सचिन पायलट ग्रेटर नोएडा में वैदपुरा गांव के मूल निवासी हैं और उनके हर कदम पर गौतमबुद्ध नगर के लोगों की नजर है। सचिन पायलट के पक्ष में जिले के लोग लगातार धरना प्रदर्शन भी कर रहे हैं। सचिन पायलट फिलहाल बागी हैं और खुलकर अशोक गहलोत का विरोध कर रहे हैं। सचिन पायलट के साथ राज्य सरकार के दो मंत्री और 20 विधायक बताए जा रहे हैं। 

सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के खिलाफ अशोक गहलोत अयोग्यता का प्रस्ताव विधानसभा में लाना चाहते हैं। जिसके खिलाफ सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक जयपुर हाईकोर्ट में मुकदमा लड़ रहे हैं। अब राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट आर-पार की स्थिति में आमने-सामने आकर खड़े हो गए हैं। हालांकि, शुरू से ही अशोक गहलोत सचिन पायलट पर उनकी सरकार को गिराने के लिए षडयंत्र रचने का आरोप लगा रहे हैं। अशोक गहलोत ने साफ कहा है कि सचिन पायलट भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर यह सब कुछ कर रहे हैं।

चौथा नाम जोगिंदर अवाना का है। जोगिंदर अवाना मूल रूप से नोएडा के झुंडपुरा गांव के रहने वाले हैं। अभी नोएडा के सेक्टर-50 में रहते हैं। जोगिंदर सिंह अवाना ने राजस्थान को बतौर राजनीतिक कार्य क्षेत्र के रूप में चुना। इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्हें नदबई विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया। जोगिंदर अवाना ने जीत हासिल की। इस बार के राजस्थान विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के 6 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। उनमें जोगिंदर सिंह अवाना भी शामिल थे।

बाद में जोगिंदर अवाना समेत बहुजन समाज पार्टी के सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। इस विलय में जोगिंदर सिंह अवाना की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जा रही थी। शुरुआत में कहा जा रहा था कि जोगिंदर सिंह अवाना ने सचिन पायलट के कहने पर बहुजन समाज पार्टी के विधायकों का विलय करवाया है, लेकिन कुछ दिन बाद ही स्थिति साफ हो गई कि जोगिंदर अवाना और सचिन पायलट के बीच ताल्लुक बेहतर नहीं हैं। 

जोगिंदर अवाना अशोक गहलोत को समर्थन कर रहे हैं। अब जब सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया तो जोगिंदर अवाना ने साफ कर दिया था कि वह अशोक गहलोत के साथ हैं। सचिन पायलट के पास बहुत कम संख्या में विधायक हैं और वह राजस्थान सरकार को गिरा नहीं पाएंगे। अभी भी जोगिंदर अवाना मजबूती के साथ अशोक गहलोत के साथ खड़े हुए हैं। जानकारी यह भी मिली है कि सचिन पायलट से गुर्जर विधायकों को अलग रखने में जोगिंदर अवाना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

यहां एक बात और उल्लेखनीय है कि जोगिंदर अवाना मूल रूप से कांग्रेसी हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस में की थी। वह गौतमबुद्ध नगर और खासकर नोएडा में कांग्रेस में सक्रिय रहे। पार्टी में जिला और प्रदेश स्तर तक कई पदों पर रह चुके हैं। जोगिंदर सिंह अवाना को यूपी कांग्रेस में कोई खास स्थान नहीं मिल पाया। जिसकी वजह से उन्होंने अपने राजनीतिक वजूद की तलाश राजस्थान जाकर की और वह कामयाब भी रहे हैं। एक तरह से बसपा को छोड़कर कांग्रेस में उनकी घर वापसी है। कांग्रेस में शामिल होने के बाद खुद जोगिंदर सिंह अवाना ने यही बात कही थी।

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