BIG NEWS: फरवरी तक ग्रेटर नोएडा और ग्रेनो वेस्ट के लोगों को गंगाजल मिलेगा, सतीश महाना ने विकास योजनाओं की समीक्षा की

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ग्रेटर नोएडा की गंगाजल परियोजना अगले साल फरवरी तक पूरी हो जाएगी। ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट के घरों में आपूर्ति गंगा जल की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण अपने क्षेत्र में उद्योगों को बढ़ावा देगा और 40 प्रतिशत जमीन उद्योगों के लिए रहेगी। किसानों और प्राधिकरण के बीच लैंड पूलिंग हो सकेगी। इससे किसानों को फायदा मिलेगा। सरकार ने तीनों प्राधिकरणों से इसमें सुझाव मांगे हैं।

प्राधिकरणों में रुके हुए काम जल्द शुरू हो जाएंगे। बुधवार को गौतमबुद्ध विश्विद्यालय में सूबे के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने लंबित कामों को शीघ्र पूरा करने के लिए कहा है। सतीश महाना ने तीनों विकास प्राधिकरणों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के साथ समीक्षा की है।

औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने बुधवार को गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की। महाना ने तीनों प्राधिकरणों से औद्योगिक निवेश का ब्योरा मांगा और उसकी प्रगति रिपोर्ट भी जानी। तीनों प्राधिकरणों के सीईओ ने प्रजेंटेशन के जरिये अपनी बात रखी और बताया कि किस तरह से काम चल रहा है। वर्षों से लंबित चल रही 210 एमएलडी क्षमता की गंगाजल परियोजना को फरवरी तक पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि तिथि तय होने के बाद समय पर काम पूरा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 28 फरवरी को गंगाजल परियोजना का लोर्कापण हो जाए ताकि लोगों को पानी मिल सके। लोगों को इस योजना का इंतजार है।

गांवों के लिए पानी की आपूर्ति सुधारें
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण ने बताया कि लॉकडाउन में किस तरह से काम कर रहे हैं। उन्होंने ईआरपी, यातायात प्रबंधन, जीआईएस सर्वे आदि के लिए सलाहकार एजेंसी तय हो चुकी हैं। उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया है। प्राधिकरण के कामों को ऑनलाइन कर दिया है। जो बचे हैं, उन पर काम चल रहा है। बैठक में मौजूद जिले के विधायकों ने कहा कि गांवों में सीवर और पानी की सप्लाई जैसे काम नहीं हुए हैं। मंत्री इन कामों को कराने के आदेश दिए।

महायोजना 2041 में उद्योगों के लिए 40 प्रतिशत जमीन
यमुना प्राधिकरण की ओर से सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने कहा कि यह औद्योगिक प्राधिकरण है, इसलिए यहां पर उद्योगों को प्राथमिकता दी जाएगी। प्राधिकरण महायोजना 2041 में 40 प्रतिशत उद्येागों के लिए जमीन आरक्षित करेगी। इसके लिए चोला, मथुरा, अलीगढ़ और आगरा तक विकास किया जाएगा। पहले चरण में उद्योगों के लिए 13 प्रतिशत जमीन आरक्षित थी। दूसरे चरण में इसे बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया। उद्योगों के लिए 40 प्रतिशत जमीन करके यह यह प्राधिकरण औद्योगिक होने की बात सिद्ध करेगी। हालांकि नोएडा व ग्रेटर नोएडा में में ग्रुप हाउसिंग में फोकस रहा है।

एक साल में 515 उद्योगों को जमीन दी गई
सीईओ ने बताया कि यमुना प्राधिकरण ने एक साल में 515 उद्योगों को जमीन आवंटित की है। लॉकडाउन की अवधि में 22 कंपनियों को उद्योग लगाने के लिए जमीन दी गई है। यहां पर उद्योग लगाने वालों की रुचि बढ़ी है।

लैंड पूलिंग योजना पर सरकार सहमत
समीक्षा बैठक में मंत्री सतीश महाना ने बताया कि किसानों के साथ लैंड पूलिंग योजना पर सरकार सहमत हो गई है। अब प्राधिकरणों को अपनी रिपोर्ट देनी है। इस योजना में किसानों से प्राधिकरण जमीन लेगा। इस जमीन के बदले पैसा नहीं मिलेगा। बल्कि उसे विकसित जमीन (इसका प्रतिशत तय होगा) दी जाएगी। इस जमीन पर वह उद्योगों और ग्रुप हाउसिंग के लिए बेच सकेंगे।

जेवर एयरपोर्ट तक पहुंचने के विकल्पों पर भी चर्चा
जेवर एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई। इसको लेकर यमुना प्राधिकरण ने अपनी योजनाओं को साझा किया। प्रस्तावित जेवर मेट्रो को एफएनजी के समानान्तर बनने वाले मेट्रो कॉरिडोर से जोड़ने का प्रस्ताव दिया गया। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के और यमुना एक्सप्रेस वे को जोड़ने के लिए मंत्री को जानकारी दी गई। दोनों एक्सप्रेस वे जुड़ने से जेवर एयरपोर्ट जुड़ जाएगा।

नोएडा ने भी साझा की विकास योजनाएं
बैठक में नोएडा की सीईओ ऋतु माहेश्वरी ने भी अपनी विकास योजनाओं को साझा किया। बताया कि किस तरह से लॉकडाउन में काम किए गए। जरूरतमंदों तक सामान पहुंचाया गया। मंत्री महाना ने यूपीएसआईडीसी क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करने के निर्देश दिए हैं।

यूपीएसआईडीसी का क्षेत्र प्राधिकरण में शामिल होना चाहिए
जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने औद्योगिक विकास मंत्री को एक प्रस्ताव दिया। विधायक ने कहा कि ग्रेटर नोएडा के यूपीएसआईडीसी के क्षेत्र को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में शामिल कर दिया जाए। यूपीएसआईडीसी के क्षेत्र में विकास का अभाव है। लोग परेशान रहते हैं। इसलिए इस क्षेत्र को प्राधिकरण में शामिल कर दिया जाए ताकि यहां पर विकास हो सके।

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