Babri Masjid Case : मस्जिद ढहाई नहीं होती तो आज वहां मंदिर का शिलान्यास न होता लेकिन अब उस घटना को हमें भूलना होगा, जानिए किसने दिया यह बयान

देश | 4 साल पहले | Anika Gupta

Google Image | बाबरी मस्जिद



अयोध्या में अगर बाबरी मस्जिद ढहाई नहीं होती तो आज वहां मंदिर का शिलान्यास न होता लेकिन अब उस घटना को हमें भूलना होगा। शिवसेना सांसद संजय राउत ने बुधवार को कहा कि राम जन्मभूमि मालिकाना हक वाद में 2019 में उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले ने अपनी प्रासंगिकता खो दी थी। राउत ने यह बात बाबरी मस्जिद वि मामले में सभी 32 आरोपियों को विशेष अदालत द्वारा बरी करने के फैसले का स्वागत करते हुए कही। 

राउत ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के प्रकरण को अब भुला देने की जरूरत है। लखनऊ में विशेष सीबीआई अदालत ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सहित मामले के आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले। राउत ने कहा, ''राम मंदिर पर उच्चतम न्यायालय के फैसले और इस साल (अगस्त में) प्रधानमंत्री द्वारा मंदिर का भूमि पूजन किये जाने के बाद विशेष अदालत में इस मामले ने अपनी प्रासंगिकता खो दी थी।

उन्होंने कहा, ''यह फैसला अपेक्षित था। मैं शिवसेना और पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की ओर से अदालत के इस फैसले का स्वागत करता हूं। राउत ने यह भी कहा कि यदि बाबरी मस्जिद ढहायी नहीं गई होती तो अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन संभव नहीं होता।उन्होंने कहा, ''..हमें उस प्रकरण को भुलाना है। उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या मामले में पिछले वर्ष नौ नवम्बर को सुनाये अपने अंतिम फैसले में आदेश दिया था कि विवादित भूमि राम मंदिर निर्माण के लिए एक न्यास को सौंप दी जाए। 

शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि सरकार उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को एक मस्जिद निर्माण के लिए किसी अन्य स्थान पर पांच एकड़ जमीन दे।

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