ग्रेटर नोएडा वेस्ट: नेशनल हाइवे के पास वाली कॉलोनियों में बुरा हाल, रास्तों पर कीचड़ और गड्ढों से जीवन नरक हुआ

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ग्रेटर नोएडा वेस्ट में नेशनल हाईवे-91 चिपयाना बुजुर्ग गांव के आसपास तमाम कालोनियों का बुरा हाल है। इन प्राइवेट कॉलोनी को कॉलोनाइजर और बिल्डर बसाकर चंपत हो गए हैं। यहां बरसों से रह रहे लोग जन सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। बरसात के चलते रास्तों पर कीचड़ भरा है। पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं है। आवागमन के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कोई सुविधा नहीं है। श्री हाईट्स रेजिडेन्सी में रहने वाले रोबिन शर्मा का कहना है कि हर बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव में नेता बड़े-बड़े वायदे करके वोट तो ले लेते हैं, लेकिन फिर 5 साल तक दर्शन देने नहीं आते हैं।

हर्ष विहार के निवासी तरुण शर्मा ने बताया कि, चिपयाना बुजुर्ग के पास कुछ प्राईवेट कालोनिया हैं। इनमें पिछले कई वर्षों से हजारों परिवार रह रहे हैं। यहां हर्ष विहार, जीआर गार्डन, राजपुरम, खाटु श्याम एनक्लेव, श्री हाईट्स रेजिडेन्सी जैसी कॉलोनियों में करीब 15,000 परीवार रहते हैं। यहां के निवासियों का कहना है कि यहां की जर्जर, घटिया और गड्ढे वाली सड़क पर से रोजाना आवागमन करते हैं। यह सड़क इन सभी लोगों के लिये मुख्य मार्ग है। इस खराब सड़क की वजह से लोगों को काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस नाममात्र की सड़क पर कोई पब्लिक कन्वेन्स जैसे ओला, उबर, रिक्शा, आटो रिक्शा नहीं मिलता है।
 
राजपुरम कालोनी के निवासी अनुप मिश्रा का कहना है कि बारिश के समय तो ये रास्ता ओर भी बदहाल हो जाता है। कीचड़ भरा है। रास्ते के दोनों ओर नालियां नहीं बनी हैं। सड़क पर पानी भर जाता है। इस वजह से काफ़ी लोग आकस्मिक दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। रात समय के समय में तो स्थिति ओर भी भयानक हो जाती है। क्योंकि इस गड्ढे वाली सड़क पर कोई लाईट की व्यवस्था नहीं है। रात 8 बजे से ही इस सड़क पर घनघोर अंधेरा और सन्नाटा छा जाता है। जिससे अपराधिक वारदातों को अंजाम देने वालों को मौका मिलता है।

खाटु श्याम एन्क्लेव निवासी कमल ने बताया कि सभी कॉलोनियां दादरी विधानसभा क्षेत्र में आती हैं। यहां के सभी निवासियों ने बढ़ चढ़कर मतदान किया। नेताओं ने सड़क बनाने और तमाम दूसरी सुविधाएं दिलाने के झूठे वादे किए। हर साल झूठे वादे किये जाते हैं। लेकिन आज भी सड़क वैसी की वैसी है। गड्ढे वाली नाम की सड़क है। सड़क के अलावा तमाम दूसरी मूलभूत सुविधाएं भी यहां उपलब्ध नहीं हैं। सरकारी स्कूल नहीं है। अस्पताल नहीं है। बिजली की कटौती बहुत ज्यादा होती है। पीने के लिए पानी नहीं है। बिजली की लाइनें जर्जर पड़ी हुई हैं।

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