मोदी सरकार ने लिया बड़ा फैसला, गाड़ियों में अब एक्स्ट्रा टायर नहीं रखना होगा

देश | 4 साल पहले | Anika Gupta

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो



केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय लगातार यातायात और परिवहन से जुड़े नियम-कायदों में बदलाव कर रहा है। इसके शानदार नतीजे भी सामने आए हैं। पिछले दिनों यातायात नियमों को तोड़ने से जुड़ी सजा और जुर्माना बढ़ाया गया था। अब नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। जिससे कारों और दूसरी गाड़ियों में अतिरिक्त टायर रखने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।

भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक गाइडलाइन जारी की है। यह गाइडलाइन वाहनों में टायर रखने और टायरों में हवा के स्तर से जुड़ी है। गुरुवार को मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स में संशोधन कर दिया गया है। अब नए नियम के मुताबिक अधिकतम 3.5 टन वजन तक के वाहनों के टायरों में प्रेशर मॉनिटरिंग करने के लिए सिस्टम लगाया जाएगा।

कैसे काम करता है यह सिस्टम 

ऑटो इंडस्ट्री के जानकार लोगों का कहना है कि इस सिस्टम में सेंसर लगे होते हैं। जिनके जरिए ड्राइवर को यह जानकारी मिल जाती है कि गाड़ी के किस टायर में हवा की स्थिति क्या है। हवा कम होने पर गाड़ी के डेस बोर्ड पर ड्राइवर को अलर्ट मिल जाता है। इस सिस्टम को कारों और वाहनों में लगाने से सड़क सुरक्षा में बढ़ोतरी हो जाएगी। इसके अलावा भूतल परिवहन मंत्रालय ने टायर मरम्मत किट रखने की भी सिफारिश की है। इसमें टायर पंक्चर होने पर रिपेयर किट के उपयोग से सिलेंट को टायर ट्रेड में पंक्चर हुए स्थान पर एयरसील के साथ डाला जाता है। यह व्यवस्था ट्यूबलेस टायरों में बड़ी उपयोगी साबित होती है।

कार में स्टैपनी रखने की जरूरत खत्म हो जाएगी 

ऑटो इंडस्ट्री से ताल्लुक रखने वाले लोगों का कहना है कि अगर कारों में टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम लगा दिया जाए और टायर रिपेयर किट उपलब्ध हो, जिसके जरिए आसानी से पंक्चर होने पर टायर की मरम्मत की जा सकती है, तो कारों में अतिरिक्त टायर स्टैपनी रखने की जरूरत नहीं रह जाएगी। अभी कार में पांचवा टायर रखने से बड़ा स्पेस भर जाता है। जिससे डिग्गी का ज्यादा उपयोग कार मालिक नहीं कर पाते हैं। नई तकनीक इस समस्या का समाधान कर सकती है।

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