जिम्स ग्रेटर नोएडा में कोरोना मरीजों का इलाज कर रही नर्सों ने प्रदर्शन किया, कई चौंकाने वाले खुलासे किए

Tricity Today | जिम्स ग्रेटर नोएडा में कोरोना मरीजों का इलाज कर रही नर्सों ने प्रदर्शन किया



ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (GIMS) से बड़ी खबर सामने आ रही है। जिम्स में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे नर्सिंग स्टाफ ने काम करने से इंकार कर दिया है। नर्सिंग स्टाफ ने सोमवार की देर रात भी जिम्स परिसर में प्रदर्शन किया था। मंगलवार की सुबह से नर्स दोबारा जिम्स के गेट पर प्रदर्शन कर रही हैं। इतना ही नहीं नर्सों ने जो जानकारी दी हैं, वह बेहद चौंकाने वाली हैं। नर्सों ने जिम्स प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

नर्सों की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र भेजा गया है। जिसमें उन्होंने लिखा है, "हम लोग पिछले करीब डेढ़ महीने से कोरोना से बीमार मरीजों का इलाज कर रहे हैं। ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हम अस्थाई कर्मचारी हैं। हमें केवल ₹20 हजार महीना वेतन मिल रहा है। इसके बावजूद हम लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर दिन-रात काम कर रहे हैं। जिसकी बदौलत जिम्स ने अब तक कोरोना के खिलाफ शानदार काम किया है। इसके बावजूद यहां हम लोगों को परेशान किया जा रहा है।"

तीन दिनों तक पहनना पड़ रहा है एक ही चश्मा, फेस कवर नहीं मिल रहा
नर्सों ने मुख्यमंत्री को बताया है कि उन्हें बेहद घटिया पीपीई किट दी जा रही हैं। ग्लब्स, चश्मा और पीपीई किट नहीं मिलती हैं। चश्मा 3 दिनों तक इस्तेमाल करना पड़ता है। जो पीपीई किट दी जा रही हैं, उनकी हालत बहुत ज्यादा खराब है। यही वजह है कि अब तक 4 नर्स कोरोनावायरस से पॉजिटिव हो चुकी हैं। एक सहायक भी कोरोनावायरस की चपेट में है।

नर्सों ने कहा- हमारी जान खतरे में है, हमारे परिवारों का भविष्य सुरक्षित करें
नर्सों ने मुख्यमंत्री से कहा है कि उनकी जान खतरे में है। मांग की है कि सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की तरह उनका भी जीवन बीमा किया जाना चाहिए। हमारे परिवारों का भविष्य सरकार सुरक्षित करे। एक नर्स ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर ट्राइसिटी टुडे को से फोन पर पूरी बातचीत की। उसने बताया कि जिम्स में बहुत बुरे हालात हैं। आईसीयू में कोरोनावायरस और सस्पेक्टेड कोरोना पेशेंट को एक साथ रखा जा रहा है। नर्स जीबीयू के मुंशी प्रेमचंद हॉस्टल में रह रही थीं। वहां के हालात बहुत बुरे थे। सोशल डिस्टेंसिंग का कोई ख्याल नहीं रखा जा रहा था। अस्पताल से काम करने के बाद नर्सों को हॉस्टल में जाकर अपने सारे काम खुद करने पड़ते हैं। साफ सफाई का बहुत बुरा हाल है। एक ही स्वीपर सभी कमरों में सफाई करता था। वही कोरोना से पॉजिटिव पाया गया है।

स्वास्थ्यकर्मियों के हॉस्टल का बुरा हाल, खाना खराब और सफाई नहीं
नर्स ने कहा, ऐसे में हम सबको अब एक होटल में क्वॉरेंटाइन करके रखा गया है। हॉस्टल में मिलने वाला खाना बेहद घटिया था। सभी लोग एक ही मेज पर एक साथ बैठकर खाना खाते थे, जो सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों के बिल्कुल विपरीत है। नर्स ने बताया कि उन लोगों का वेतन मनमानी ढंग से काटा जा रहा है। महज ₹20 हजार के वेतन में से भी जिम्स प्रबंधन कटौती कर रहा है। इसके पीछे का मकसद हम लोगों पर गलत तरीके से दबाव बनाकर काम पर बुलाना है। लगातार ड्यूटी करने के लिए बाध्य करना है।

डॉक्टर्स कोविड-19 वार्ड में जाकर नहीं फटकते, व्हाट्सएप से मरीज देख रहे डॉक्टर
नर्स ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जिम्स के स्पेशलिस्ट और सीनियर डॉक्टर आइसोलेशन वार्ड में कभी नहीं गए। वह लोग फोन पर ही सारा काम करते हैं। व्हाट्सएप ग्रुप बना रखे हैं, उन्हीं पर इलाज के बारे में जानकारी दी जाती है। अगर किसी मरीज को समस्या होती है तो उसका वीडियो बनाकर भेजने के लिए कहा जाता है। नर्स का कहना है कि हम लोग मरीजों का इलाज करें या वीडियो बना बना कर भेजते रहें। जिम्स प्रशासन की ओर से बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप पर हर वक्त तरह-तरह के सवाल पूछे जाते हैं। जिनका जवाब देना हम लोगों के लिए जरूरी होता है। यह सब स्पेशलिस्ट और सीनियर डॉक्टर आइसोलेशन वार्ड में आने से बचने के लिए करते हैं।

डेथ डिक्लेरेशन भी डॉक्टर करने नहीं आ रहे, नर्सों से करवाया जा रहा
नर्स ने बताया कि हालात ऐसे हैं कि जिम्स में अगर लोगों की डेथ हो रही है तो उसको डिक्लेअर करने के लिए भी डॉक्टर नहीं आ रहे हैं। डेथ डिक्लेरेशन भी नर्सिंग स्टाफ से ही करवाया जा रहा है। नर्स ने कहा कि पिछले डेढ़ महीने में जब हम लोग पूरी तरह से परेशान हो गए तो अब मजबूर होकर सोमवार की रात प्रदर्शन किया है। अब अस्पताल प्रबंधन की ओर से हम लोगों को बर्खास्त करने और अनिवार्य ड्यूटी नहीं करने के आरोप में एफआईआर दर्ज करवाने की धमकी दी जा रही हैं।

जिम्स प्रशासन सवालों के जवाब नहीं दे रहा है, निदेशक ने फोन नहीं उठाया
इस पूरे मामले में जिम्स के डायरेक्टर डॉ आर के गुप्ता से बात करने के लिए कई बार फोन किया गया उन्होंने फोन पर कोई जवाब नहीं दिया ट्राइसिटी टुडे की ओर से नर्सों के सवाल और आरोपों की जानकारी उन्हें मैसेज के द्वारा भेजी गई लेकिन डायरेक्टर की ओर से मैसेज का भी कोई जवाब नहीं दिया गया है पूरे मामले पर जींस प्रशासन पूरी तरह चुप्पी साध कर बैठा हुआ है।

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