ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में रावण जलने पर पाबंदी और बलिया में तो दशहरा पर रावण की पूजा हुई

Tricity Today | ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में रावण जलने पर पाबंदी



देशभर में जहां असत्‍य पर सत्‍य की विजय का प्रतीक दशहरा रविवार को धूमधाम से मनाया गया। वहीं, ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में रावण जलाने और दशहरा मनाने पर पाबंदी है। बलिया जिले के बांसडीह कस्‍बे में एक संगठन ने तो रावण की पूजा की गई है। अखिल भारतीय गोंडवाना महासभा ने लंकाधिपति रावण की पूजा कर दशहरा पर्व मनाया। महासभा के जिलाध्‍यक्ष अरविंद कुमार ने सोमवार को इस कार्यक्रम का वीडियो जारी किया। जारी वीडियो में महासभा के सदस्‍य व पदाधिकारी 'जय लंकेश, 'जय रावण और 'महाराजा रावण की जय आदि नारों का उद्घोष कर रहे हैं। 

अरविंद कुमार ने विश्‍वविद्यालयों में रावण संहिता पढ़ाने की मांग की है। उन्‍होंने कहा है कि रावण एक महान विद्वान होने के साथ ही वैज्ञानिक और दार्शनिक थे, इसलिए उन पर शोध होना चाहिए। रावण को गलत ढंग से भारतीय समाज के सामने पेश किया गया है। एक विद्वान व्यक्ति से समाज को सीखना चाहिए। अगर रावण इतने बुरे थे तो श्रीराम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उनके पास जाकर और पांवों के  पास खड़े होकर ज्ञान लेने के लिए क्यों भेजा था। भारतीय समाज को लंकापति रावण से सीखना चाहिए। दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिसरख गांव में भी रविवार को दशहरा का आयोजन नहीं किया गया है। 

मिथक है कि लंकापति रावण का जन्म बिसरख गांव में हुआ था। उनके पिता महर्षि विश्रवा के नाम पर ही इस गांव का नाम पड़ा था। कालांतर में चलकर गांव का नाम लोग बिसरख लेने लगे। बिसरख ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बीचोंबीच है। इस गांव की जमीन का अधिग्रहण करके विकास प्राधिकरण ने बिल्डरों को हाउसिंग सोसायटी बनाने के लिए थी। जिसके खिलाफ कई सालों तक आंदोलन चला था। गांव में महर्षि विश्रवा द्वारा स्थापित एक भगवान शिव का मंदिर है। जिसमें स्थापित शिवलिंग अद्वितीय है। देशभर में यह अपनी तरह का शिवलिंग है। माना जाता है कि रावण इसी मंदिर में भगवान शंकर की आराधना किया करते थे। 

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण और बिसरख ग्राम पंचायत ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया है। पिछले दिनों जब अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का शिलान्यास किया गया था तो रावण के मंदिर में भी भजन-कीर्तन और भंडारा आयोजित हुआ था। साथ ही मंदिर के महंत ने रावण के मंदिर का जीर्णोद्धार करवाने की मांग भी की थी। बिसरख गांव के सभी लोग रावण को बाबा कहकर संबोधित करते हैं। गांव में भगवान राम की पूजा की जाती है, लेकिन रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता है। रामलीला का आयोजन नहीं किया जाता है। बिसरख गांव के लोग रावण को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं और अपना पूर्वज मानते हैं।

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