ग्रेटर नोएडा वेस्ट की ला रेजीडेंशिया सोसायटी में सुरक्षाकर्मियों ने स्ट्राइक की, तीन महीनों से सैलेरी नहीं मिली

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ग्रेटर नोएडा वेस्ट की ला रेजिडेंशिया हाउसिंग सोसायटी के सुरक्षाकर्मी सोमवार की दोपहर स्ट्राइक पर चले गए। सुरक्षाकर्मियों की ओर से बिसरख कोतवाली पुलिस को भी इस बारे में सूचना दी गई। बिसरख कोतवाली से पुलिस मौके पर पहुंची और सुरक्षाकर्मियों से बातचीत की। गार्ड्स ने बताया कि उन्हें पिछले 3 महीनों से सैलरी नहीं दी गई है। जबकि वह दिन रात मेहनत करके लॉकडाउन पीरियड में काम करते रहे हैं।

इसके बाद पुलिस ने बिल्डर के कंपनी मैनेजमेंट को बुलाया। मैनेजमेंट ने जल्दी सैलरी का भुगतान करने का आश्वासन दिया है। करीब 1 घंटे बाद सभी सुरक्षाकर्मी काम पर वापस लौट आए। हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले सुमिल जलोटा का कहना है, "सोसाइटी का प्रत्येक घर हर महीने सही समय पर मेंटेनेंस चार्ज का भुगतान कर रहा है। लॉकडाउन पीरियड के दौरान भी किसी निवासी ने मेंटेनेंस चार्ज नहीं रोका। सवाल यह उठता है कि जब हम समय पर बिल्डर को मेंटेनेंस चार्ज दे रहे हैं तो सुरक्षाकर्मियों को सैलरी क्यों नहीं मिल रही है। पिछले 3 महीनों से हमारी हाउसिंग सोसायटी के सुरक्षाकर्मियों को सैलरी नहीं मिली है।"

लॉकडाउन पीरियड के दौरान भी सुरक्षाकर्मियों ने स्ट्राइक की थी। तब भी पुलिस के सामने कम्पनी ने जल्दी सैलरी देने का वादा किया था। सुनील जलोटा बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान कई सुरक्षाकर्मियों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई थी। ऐसे में सोसाइटी के निवासियों ने अपने स्तर पर इन कर्मचारियों को राशन दिया था। जब सोसाइटी का हर घर समय पर मेंटेनेंस चार्ज दे रहा है तो ऐसे में यह सब समस्याएं पैदा नहीं होनी चाहिए। सुमिल जलोटा का कहना है कि सोमवार को सुरक्षाकर्मियों ने हड़ताल की। मैनेजमेंट ने एक बार फिर उन्हें आश्वासन दे दिया है। हालांकि ऐसे आश्वासन पहले भी कई बार दिए जा चुके हैं। 

दूसरी ओर सुरक्षा कर्मियों का कहना है, "हम लोगों के लिए यहां काम करना मजबूरी बन गई है। दरअसल हमारा 3 महीने का वेतन कंपनी के ऊपर बकाया है। अगर हम नौकरी छोड़कर जाते हैं तो हमें यह 3 महीने का वेतन नहीं मिलेगा। हमारी इसी कमजोरी का फायदा कम्पनी वाले उठा रहे हैं। जब हम लोग इस स्ट्राइक करते हैं तो पुलिस आती है। वह कंपनी पर सैलरी देने के लिए कोई खास दबाव नहीं बनाते हैं। हम लोगों को ही काम पर वापस लौट जाने की नसीहत देकर पुलिस भी वापस लौट जाती है।

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