Google Image | प्रतीकात्मक फोटो
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अगले दो दिनों के भीतर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सर्कुलर को चुनौती देने और कोविड-19 के मद्देनजर अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई है।
न्यायमूर्ति नागेश्वर राव की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की याचिका के बाद यह मामला न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए भेज दिया है। दरअसल, 18 जुलाई को न्यायमूर्ति भूषण की अगुवाई वाली पीठ ने पहले ही इसी तरह की एक याचिका को खारिज कर दिया था।
भारत भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 31 छात्रों ने 6 जुलाई को यूजीसी के परिपत्र को खारिज करने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को 30 सितंबर से पहले अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने को कहा है।
छात्रों ने अपनी याचिका में आग्रह किया कि परीक्षा रद्द कर दी जानी चाहिए और ऐसे छात्रों के परिणामों की गणना उनके आंतरिक मूल्यांकन या पिछले प्रदर्शन के आधार पर की जानी चाहिए। देश के 13 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के छात्रों द्वारा दायर याचिका में अनुरोध किया गया है कि छात्रों की मार्कशीट 31 जुलाई से पहले जारी कर दी जाए।
31 याचिकाकर्ताओं में से एक ने कोविड-19 के लिए अपनी सकारात्मक परीक्षण रिपोर्ट भी दी है। याचिका में यूजीसी को भी सीबीएसई मॉडल अपनाने के निर्देश देने की मांग की है। जो छात्र बिना परीक्षा दिए परिणाम नहीं चाहते हैं, उनके लिए बाद में परीक्षा आयोजित करवाने का सुझाव दिया गया है।
याचिका में कहा गया है कि छात्रों के लिए न्याय हित में नियोजित परीक्षाओं को रद्द कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि कोविड-19 मामलों की संख्या बढ़ रही है। छात्रों का कहना है कि ऐसे समय में अगर कॉलेजों में छात्रों को बुलाकर परीक्षा का आयोजन करवाया गया तो यह खतरनाक साबित हो सकता है।
दूसरी और यूजीसी के अनुसार, 818 विश्वविद्यालयों (121 डीम्ड विश्वविद्यालयों, 291 निजी विश्वविद्यालयों, 51 केंद्रीय विश्वविद्यालयों और 355 राज्य विश्वविद्यालयों) से परीक्षाओं पर प्रतिक्रिया लेने के लिए संपर्क किया गया था। देश के 818 विश्वविद्यालयों में से 603 ने या तो परीक्षा आयोजित की है या आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।
इस बीच 209 अन्य यूनिवर्सिटी ने पहले ही परीक्षा (ऑन-लाइन या ऑफ-लाइन) आयोजित की है। 394 अगस्त या सितंबर में परीक्षा (ऑन-लाइन, ऑफ-लाइन या मिश्रित मोड) आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। आयोग ने यह भी कहा है कि 35 विश्वविद्यालयों के लिए, जिनमें से 27 निजी, सात राज्य-संचालित और एक डीम्ड विश्वविद्यालय हैं, पहला बैच अभी तक अंतिम परीक्षा के लिए योग्य नहीं है।
इस मुद्दे पर एक अन्य याचिका, अंतिम वर्ष के छात्र यश दुबे द्वारा शीर्ष अदालत में दायर की गई, जिसमें अनिवार्य अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने की भी मांग की गई। शिवसेना के युवा नेता आदित्य ठाकरे ने भी बढ़ते कोविड-19 मामलों के मद्देनजर अनिवार्य अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के खिलाफ शिवसेना की युवा शाखा युवा सेना की ओर से शीर्ष अदालत का रुख किया है।