Tricity Today | Amrapali
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर से जुड़े मामले में फिर सुनवाई की। अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए चार बड़े आदेश दिए हैं। बुधवार की सुनवाई में केंद्र सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि वह आम्रपाली के थमे पड़े प्रोजेक्ट को रफ्तार देने के लिए पैसा देगी। यह पैसा एसबीआई कैपिटल को रियल एस्टेट स्ट्रेस फंड से देना है। इसके अलावा नोएडा, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण, जेपी मॉर्गन, फ्लैट बायर्स और एनबीसीसी को भी कई महत्वपूर्ण निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट अगले बुधवार को इस मामले में फिर सुनवाई करेगा।
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने आम्रपाली मामले में बुधवार को फिर सुनवाई की। कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में केंद्र के एएसजी को रिसीवर वेंकटरमनी के नोट पर निर्देश लेने को कहा था। इसी बीच जेपी मोर्गन के लिए मुकुल रोहतगी ने कहा, "मैं यहां जेपी इंडिया के लिए आया कल, कल ईडी ने आपके निर्देशों के अनुसार 187 करोड़ की राशि वसूलने के लिए खाता अटैच किया है।" उन्होंने आगे कहा, "मैं प्रस्तुत करना चाहता हूं कि यह अटैचमेंट पूरी तरह अवैध है, क्योंकि जेपी इंडिया के पास आम्रपाली में एक पैसे का मूल्य नहीं है।"
इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा, "हम जेपी मॉर्गन को लेकर चिंतित हैं। पूरी दुनिया में इसकी शाखाएं हैं और जब आपके पास दुनिया भर की शाखाएं हैं तो हमें इसे ध्यान में रखना होगा।" रोहतगी ने आगे कहा, "मेरा आम्रपाली से कोई लेना-देना नहीं है। मैं स्वतंत्र हूं और आम्रपाली में निवेश नहीं किया है।"
हरीश साल्वे एसबीआई कैपिटल के लिए हाजिर हुए, जस्टिस मिश्रा ने मुकुल रोहतगी को रोकते हुए कहा कि पहले उन्हें सुनते हैं। इसके बाद साल्वे ने कहा, वह अपने क्लाइंट को निर्माण कार्य शुरू करने के लिए धन जारी करने के लिए बोलेंगे। मैं निर्देश चाहता हूं और उनसे (केंद्र सरकार) कुछ पैसा जारी करने का आग्रह करता हूं। साल्वे ने बेंच से तब तक कोई आदेश पारित नहीं करने के लिए कहा।
ईडी ने बताया कि जेपी मोर्गन की प्रॉपर्टी अटैच कर दी है
ईडी ने अदालत को सूचित किया कि उसने अदालत के पिछली सुनवाई के आदेश के अनुपालन में जेपी मॉर्गन इंडिया की संपत्तियों को अटैच किया है। इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा- "हम जेपी मॉर्गन से चिंतित हैं। पूरी दुनिया में इसकी शाखाएं हैं और जब आपके पास दुनियाभर की शाखाएं हैं तो हमें इसे ध्यान में रखना होगा। अटैचमेंट पूरा हो गया है। हमें यह तय करने की आवश्यकता है कि इस आवेदन को खारिज किया जाए या नहीं।"
केंद्र ने कहा, एसबीआई कैपिटल स्ट्रेस फंड से पैसा दे
इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे एसबीआई कैपिटल के लिए एकबार फिर कहते हैं, "मैं निर्माण कार्य शुरू करने के लिए फंड जारी करने के लिए एसबीआई कैप से बात करूंगा।" इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा, "हम इस पर अगले सप्ताह फिर से सुनवाई करेंगे।" केंद्र ने 2 जजों की बेंच को सूचित किया कि यह एसबीआई कैपिटल पर है कि वह केंद्र द्वारा बनाए गए रियल एस्टेट स्ट्रेस फंड में से आम्रपाली परियोजनाओं के लिए धनराशि जारी करे। आधिकारिक रूप से यह एसबीआई द्वारा प्रबंधित किया जाए।
एनबीसीसी अगले 3 महीनों में फंड की जरूरतों के बारे में बताए
न्यायमूर्ति यूयू ललित ने अग्रिम सुनवाई पर सिद्धार्थ दवे को अगले 2-3 महीनों के लिए अपनी योजनाओं पर एक प्रवाह चार्ट प्रस्तुत करने के लिए एनबीसीसी का प्रतिनिधित्व करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा, "हम जानना चाहते हैं कि आपके पास कितने फंड उपलब्ध हैं, आपको अगले 3 महीनों में कितने पैसे की आवश्यकता होगी और यदि आपको अधिक फंड की आवश्यकता है तो उसे कैसे बढ़ाएं।" जस्टिस ललित ने एनबीसीसी से कहा, "आप अगले कुछ महीनों के लिए अपनी वित्तीय गतिविधियों की योजना कैसे बनाते हैं? यदि अनसोल्ड इन्वेंटरी हैं तो यह आदर्श होगा कि उन्हें बेचा जा सकता है। यदि बिकने वाली इकाइयों को बेचने की आवश्यकता है तो दो तरीके हैं। या तो आप इसे स्वयं बेच सकते हैं या हम एक एजेंसी से पूछते हैं।"
प्राधिकरण ब्याज दरों पर सख्ती बरत रहे हैं, सेक्टर डूब जाएगा
इसके बाद जस्टिस मिश्रा ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों से कहा, "ब्याज दर को अधिक समायोजित करने की जरूरत है। अगर आप कठोर बने रहेंगे तो यह सेक्टर मर जाएगा। आपको कुछ छूट देनी होगी। एक भी परियोजना के गड़बड़ाने से सभी परियोजनाएं गिर जाएंगी।"
खरीदारों को भी कदमताल करके सबके साथ चलना पड़ेगा
खरीदारों के वकील एमएल लाहोटी कुछ इनपुट्स के साथ बताते हैं तो जस्टिस मिश्रा कहते हैं कि कुछ ठोस कार्रवाई की जाए। पहले हम व्यावहारिक समाधान देख रहे हैं। लाहोटी ने स्वीकार किया कि निर्माण के प्रति होम बॉयर्स को इस बिंदु पर भुगतान करने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए। कोर्ट ने निर्माण समयबद्ध तरीके से करने को कहा था। नहीं होता है तो ख़रीदार मुआवजे का हकदार होगा।
इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा, होमबॉयर्स को इस धारणा के तहत नहीं होना चाहिए कि भुगतान किए बिना उन्हें संपत्ति का लाभ मिलेगा। आइए हम कुछ समझदारी के साथ कदमताल करें। आप हमारे क्रोध को आमंत्रित नहीं करें। इसके बाद एमएल लाहोटी ने कहा, किसी भी बिंदु पर मैंने यह सुझाव नहीं दिया कि होमबॉयर्स भुगतान किए बिना आनंद लेंगे।
अब सुप्रीम कोर्ट अगले बुधवार को जेपी मॉर्गन के मुद्दे पर रोहतगी की सुनवाई करेगा। उसी दिन वह हरीश साल्वे को भी सुनेंगे, जब तक वह एसबीआई कैप से निर्देश ले लेंगे। सुनवाई के दौरान खरीदारों के वकील ने एमएल लाहोटी ने कहा, मैं कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित हूं। मैं नहीं जानता कि इस तकनीक (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग) का उपयोग कैसे करना है, लेकिन किसी तरह मैं प्रबंधन कर रहा हूं। इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा, आप आज सबसे अधिक श्रव्य वकील हैं। यह काफी समय के लिए रहने वाला है, इसलिए इस तरह की आपत्तियां न उठाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने बैंक वित्तपोषण और एफएआर (चाहे अधिशेष एफएआर बेचा जाए या प्राधिकरणों को वापस कर दिया जाए) के मुद्दों पर आदेश जारी किए हैं।