ईरान में फंसे 265 भारतीयों को वापस लेकर लौटीं स्वाति रावल, जानिए कौन हैं

देश | 5 साल पहले | Tricity Reporter

Tricity Today | Swati Rawal



देश के प्रधानमंत्री से लेकर तमाम बड़े पदों पर बैठे लोग स्वाति रावल की प्रशंसा कर रहे हैं। लोग कोरोना वायरस के मरीजों के बारे में जानकर उनसे दूर भाग जाते हैं। उनके घर वालों तक से कोई संपर्क तक नहीं करना चाहत है। ऐसे में यदि कोई विदेश में फंसे 265 नागरिकों को लाने के लिए चला जाए तो ये अपने आप में बड़ी बात है। वह भी कोरोना वायरस से संक्रमित देश में, जहां रोजाना मौत हो रहीं हैं।

खासतौर पर तब ये टीम और भी अधिक खास हो जाती है, जब वह कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित देश में इस काम के लिए जा रही हो। एयर इंडिया की टीम के पायलटों ने कुछ ऐसा ही काम किया जिसकी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी तारीफ कर रहे हैं। 

इस टीम में शामिल कैप्टन स्वाति रावल की खासी तारीफ की जा रही है। स्वाति रावल 5 साल के एक बच्चे की मां हैं और वो एयर इंडिया 777 की कमांडर है। स्वाति भी उस टीम की सदस्य थीं जो इटली की राजधानी में फंसे 265 भारतीयों को बचाने के लिए गई हुई थीं। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस के चलते विदेशों में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने में एयर इंडिया के प्रयासों की सराहना की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि एयर इंडिया की टीम पर गर्व है जिसने धैर्य रखते हुए मानवता का परिचय दिया है। देश भर में उनके असाधारण प्रयास की प्रसंसा हो रही है। नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी एयर इंडिया की प्रशंसा की है। उन्होंने ट्वीट किया कि एयर इंडिया के बोइंग 777 के चालक दल ने कप्तान स्वाति रावल और राजा चौहान के नेतृत्व में कर्तव्य का निर्वहन करते हुए 263 भारतीयों की स्वदेश वापसी कराई है।

एयर इंडिया ने ईरान से वापस लौटे भारतीयों को आश्वासन दिया कि सभी सुरक्षा सावधानियों का पालन किया जा रहा है। यह कहा गया कि वे जनवरी 2020 में वापस तैयार किए गए यात्री और स्वयं की देखभाल के लिए प्रोटोकॉल दिशानिर्देशों का पालन कर रहे थे।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि स्वाति खबरों में आई हों, इससे पहले भी वो खबरों में रही हैं। साल 2010 में वो एयर इंडिया की सभी महिला क्रू का हिस्सा थी जिसने मुंबई से न्यूयॉर्क के लिए उड़ान भरी थी। वो बीते 15 सालों से विमान उड़ा रही हैं। ऐसा नहीं है कि स्वाति की शुरू से ही इच्छा एयर इंडिया के विमान को उड़ाने की रही है। 

दरअसल, उनका बचपन का सपना लड़ाकू पायलट बनना था लेकिन उस समय महिलाओं को वायु सेना में उड़ान भरने की अनुमति नहीं थी, इसलिए वो फाइटर पायलट नहीं बन पाई, इसके बाद उन्होंने एयर इंडिया ज्वाइन किया और एक वाणिज्यिक पायलट बन गईं। स्वाति का कहना है कि उनके परिवार ने उनकी पसंद के लिए उनका समर्थन किया है।

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