Greater Noida West: उन 600 परिवारों के बारे में सोचिए जो तीन दिनों से भीषण गर्मी में बिजली के बिना तड़प रहे हैं

Tricity Today | रविवार की रात ग्रेटर नोएडा वेस्ट की पैरामाउंट इमोशन सोसयटी में बिजली नहीं आने कारण छाया अंधेरा



ग्रेटर नोएडा वेस्ट की पैरामाउंट इमोशन हाउसिंग सोसायटी के 600 परिवारों की जिंदगी नरक बन गई है। पिछले 3 दिनों से सोसाइटी में पावर ब्रेक डाउन चल रहा है। जिसके कारण लोगों का जनजीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त है। बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। भीषण गर्मी में लोग तड़प रहे हैं। लिफ्ट काम नहीं कर रही हैं। जिसके कारण जरूरी सामान तक घरों में नहीं पहुंच पा रहा है। पानी की सप्लाई भी प्रभावित हो रही है। दूसरी ओर बिल्डर समस्या का समाधान करने की बजाय बात तक करने के लिए तैयार नहीं है।

ग्रेटर नोएडा वेस्ट की पैरामाउंट इमोशन हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले अमनप्रीत ने बताया कि पिछले 3 दिनों से हाल बेहाल हो गया है। पूरी रात बिजली गुल रहती है। दिनभर बिजली नहीं आती है। लोग लॉकडाउन में बंद हैं। घर से बाहर कहीं जा नहीं सकते हैं। घर में रहना इस भीषण गर्मी में मुश्किल हो गया है। पिछले 3 दिनों से रोजाना रात को पूरी सोसाइटी में पावर कट हो जाता है। 

इसके कारणों के बारे में अमनप्रीत सिंह बताते हैं, अब तक सोसाइटी के 19 टावरों में 600 परिवारों को बिल्डर ने फ्लैट हैंड ओवर कर दिए हैं। बिल्डर ने केवल 200 किलोवाट का कनेक्शन एनपीसीएल से ले रखा है। अभी तक कोरोनावायरस के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सोसाइटी के निवासी एयर कंडीशनर नहीं चला रहे थे। पिछले चार-पांच दिनों में भीषण गर्मी पड़ी है। रोजाना टेंपरेचर 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। लिहाजा, मजबूर होकर सोसाइटी में परिवारों ने एयर कंडीशनर चलाने शुरू कर दिए हैं। 600 परिवारों के एयर कंडीशनर और बिजली पर दूसरी निर्भरता 200 किलोवाट के कनेक्शन से पूरी नहीं हो सकती। इस कारण रोजाना फॉल्ट हो जाते हैं। केबल जल जाती हैं और बिजली गुल हो जाती है। 

अमनप्रीत का कहना है, दूसरी ओर बिल्डर ने सोसाइटी में जनरेटर लगाया हुआ है। यह जनरेटर प्रोजेक्ट के लिए है। प्रोजेक्ट पर जरूरी बिजली इसी जनरेटर से सप्लाई होती है। साथ में हम लोगों को बिजली देता है। जनरेटर पर ओवरलोड होता है और उसके वायरिंग भी जल जाती है। यही हालत पिछले 3 दिनों से लगातार चल रही है।


सोसाइटी के दूसरे निवासी अजय ओझा का कहना है कि यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। हम लोग 3 साल से इस हाउसिंग सोसाइटी में रह रहे हैं। हर साल गर्मियों के मौसम में यही हालत होती है। हम लोग पिछले 3 साल से लगातार बिल्डर को हालात सुधारने के लिए कह रहे हैं। वह सुनने के लिए तैयार नहीं है। एनपीसीएल से पावर लोड नहीं बढ़वा रहा है। जनरेटर भी बड़ी क्षमता का नहीं लगाता है। हम लोगों से हर महीने मेंटेनेंस चार्ज के रूप में मोटी रकम वसूल की जा रही है। लेकिन बदले में बिजली तक नहीं मिल रही है। पिछले 3 दिनों से तो हालत खराब हो चुकी है। अब बिल्डर के मेंटेनेंस डिपार्टमेंट के तमाम लोगों ने अपने मोबाइल स्विच ऑफ कर लिए हैं। दफ्तर से भी गायब हो गए हैं। किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा है। गर्मी इतनी ज्यादा है कि घरों में बैठना मुश्किल हो गया है। बच्चों का तो रो-रोकर कर बुरा हाल है।

सोसाइटी के एक अन्य निवासी राहुल भारद्वाज का कहना है कि लॉकडाउन चल रहा है। सभी लोगों को "वर्क फ्रॉम होम" करना पड़ रहा है। बिजली नहीं मिलने के कारण लैपटॉप भी चार्ज नहीं हो पा रहे हैं। पिछले 3 दिनों से हम लोग अपना कोई कामकाज नहीं कर पा रहे हैं। शुक्रवार, शनिवार और रविवार की रात बिजली नहीं आई। पूरी रात लोगों ने जागकर काटी है। लिफ्ट नहीं चल पा रही हैं। सोमवार की सुबह पूरी सोसाइटी के घरों में दूध की आपूर्ति नहीं हो सकी। दूध देने वाले आए लेकिन लोग 17 और 20 मंजिल से नीचे नहीं पहुंच पाए। जिसके कारण घरों में दूध नहीं पहुंचा है। संकट की इस घड़ी में हम लोगों ने मदद के लिए जिलाधिकारी, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और नोएडा पुलिस को ट्वीट किए। बिसरख थाना पुलिस को फोन करके जानकारी दी। रविवार को सोसाइटी में बिसरख पुलिस आई थी। हालात का जायजा लेकर चली गई। बिल्डर के कर्मचारियों ने पुलिस को आश्वासन दे दिया कि जल्दी हालात सुधार देंगे लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं किया गया है।

वरुण गोयल और रोहित गुप्ता का कहना है कि कहीं कोई हमारी परेशानी सुनने वाला नहीं है। 600 परिवार त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहे हैं। लेकिन बिल्डर के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। वह कहते हैं कि इस भीषण गर्मी में लोग पंखे और एसी में नहीं रुक पा रहे हैं। हम लोग किस तरह से अपनी जिंदगी काट रहे होंगे, कोई इस बारे में थोड़ा अनुमान लगाकर देखें। इस वक्त लॉकडाउन के कारण बाहर निकल कर भी कुछ नहीं कर सकते। धारा 144 लगी हुई है। कोई धरना, प्रदर्शन और विरोध भी नहीं किया जा सकता है। पुलिस, प्रशासन और प्राधिकरण सोशल मीडिया के मार्फत कोई बात सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में जाएं तो कहां जाएं। सोसाइटी के तमाम घरों में बुजुर्ग भी रहते हैं। किसी को भी कोई मेडिकल इमरजेंसी हो सकती है। जरूरत पड़ने पर लोग अपने फ्लैट से नीचे भी नहीं उतर पाएंगे।

इस मुद्दे पर बात करने के लिए ट्राइसिटी टुडे की ओर से पैरामाउंट इमोशन के प्रबंधन से बात करने की कोशिश की गई। फैसिलिटी मैनेजर रोहित के मोबाइल नंबर पर फोन किया गया। उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की। उन्हें मैसेज करके पूरे प्रकरण पर संज्ञान लेने के लिए कहा गया तो उन्होंने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया है। दूसरी ओर इस बारे में विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है।

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