देख लीजिए! यह है गौतमबुद्ध नगर में विकास की गंगोत्री

Tricity Today | कलेक्ट्रेट, कमिश्नर ऑफिस और जिला पंचायत के पास रोड की हालत



गौतमबुद्ध नगर जिले का विकास जहां से चलता है या कहिए "विकास की गंगोत्री" और जहां दिनभर जिले के हजारों लोगों को किसी न किसी सरकारी काम से आना पड़ता है, वहां के हालात ऐसे हैं कि पांव रखना संभव नहीं है। बाकी जिले में विकास की गंगा कैसी बह रही होगी, यह अंदाजा सहज रूप से लगाया जा सकता है। जी हां! हम ग्रेटर नोएडा में सूरजपुर के पास एडमिनिस्ट्रेटिव कंपलेक्स की बात कर रहे हैं। आपको वहां के हालात से रूबरू करवा देते हैं।

सूरजपुर कस्बे के पास गौतमबुद्ध नगर जिले का प्रशासनिक केंद्र है। यहां विकास भवन, जिला एवं सत्र न्यायालय, जीएसटी डिपार्टमेंट, कलेक्ट्रेट, पुलिस कमिश्नर ऑफिस, जिला पंचायत, शिक्षा विभाग और जिला उद्योग केंद्र समेत एक दर्जन से ज्यादा प्रशासनिक विभाग काम करते हैं।

इन तमाम महकमों के दरवाजों तक आने-जाने के लिए रास्ते का हाल किसी नर्क से कम नहीं है। सूरजपुर कस्बे का पूरा कचरा यहीं फेंका जा रहा है। पूरी सड़क करीब 10 साल से टूटी पड़ी है। गर्मियों और सर्दियों के दिनों में इस पर धूल उड़ती है और बरसात के दिनों में घुटनों तक पानी भर जाता है। लोगों को कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है। कचरे के ढेर पर दिनभर आवारा पशु, कुत्ते और सूअर मंडराते रहते हैं। बदबू के कारण यहां से होकर गुजरना किसी सजा से कम नहीं है।

कौन है इस नरक के लिए जिम्मेदार

एडमिनिस्ट्रेटिव कॉम्पलेक्स के बीचोंबीच से गुजरने वाले इस रास्ते को बनाने की जिम्मेदारी ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की है। यहां ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने प्रशासनिक परिसरों को भूमि आवंटन किया था। सूरजपुर गांव में किसानों की जमीन अधिग्रहण करने के बदले इस रास्ते पर किसानों को आबादी के भूखंड भी आवंटित किए गए हैं। यह मार्ग ईकोटेक सेक्टर में पड़ता है। जिसका विकास और रखरखाव करने की जिम्मेदारी विकास प्राधिकरण की बनती है। लेकिन विकास प्राधिकरण ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। दरअसल, प्राधिकरण का कोई काम यहां पड़ता नहीं है। जिसके चलते इस ओर ध्यान देने की जरूरत भी नहीं समझी गई है।

एडीएम ने सीईओ को लिखी चिट्ठी

कलेक्ट्रेट और दूसरे विभागों में आने वाले लोगों की शिकायत पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन दिवाकर सिंह ने हाल ही में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक पत्र लिखा है। जिसमें एडीएम ने लिखा है कि यहां सारे प्रशासनिक भवन हैं। यहां के हालात जिले और राज्य में विकास की स्थिति को प्रतिबिंबित करते हैं। यहां कलेक्ट्रेट परिसर और बाहर की सारी सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। बरसात के चलते आवागमन मुश्किल हो गया है। अपर जिलाधिकारी ने विकास प्राधिकरण से इन सड़कों का जल्दी से जल्दी निर्माण करने की मांग की है।

ऐसे 50 पत्र प्राधिकरण को लिखे जा चुके हैं

कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट अतुल शर्मा का कहना है कि यहां हालात बहुत बुरे हैं। कलेक्ट्रेट से निकलकर लोगों को घरों तक पहुंचना बहुत मुश्किल है। कीचड़ से रास्ता भरा हुआ है। कलेक्ट्रेट परिसर में ही जलभराव हो गया है। पूरे सूरजपुर कस्बे का कचरा कलेक्ट्रेट के पीछे डाला जा रहा है। इससे न केवल कलेक्ट्रेट में बैठना मुश्किल है, कलेक्ट्रेट के पीछे रहने वाली आबादी का जीवन तो नरक हो गया है। वकीलों, यहां के निवासियों और जिलाधिकारी के स्तर से पिछले 10 वर्षों में 50 से ज्यादा चिट्टियां विकास प्राधिकरण को भेजी गई हैं, लेकिन विकास प्राधिकरण ने आज तक इस ओर ध्यान ही नहीं दिया है।

कलेक्ट्रेट के ठीक पीछे इस रास्ते पर विद्या मेडिकल सेंटर है। विद्या मेडिकल सेंटर के डॉ विशाल शर्मा का कहना है कि यहां बहुत बुरा हाल है और कोई सुनने वाला नहीं है। दिनभर लोग इस नरक के बीच से होकर गुजरते हैं। प्रशासनिक अधिकारियों और व्यवस्था पर हंसते हुए व उन्हें कोसते हुए चले जाते हैं। इन्हीं सरकारी दफ्तरों में बैठकर आईएएस, आईपीएस और तमाम बड़े-बड़े अधिकारी गौतमबुद्ध नगर जिले के विकास की योजनाएं बनाते हैं। लेकिन यहां खुद की दुर्दशा का सुधार करने के लिए इनके पास कोई विचार नहीं है।

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