NOIDA: कोरोना से मरे व्यक्ति को दफनाने से पत्नी और बेटे ने किया इनकार, हिन्दू डॉक्टर और फार्मासिस्ट ने किया दफन

नोएडा | 4 साल पहले | Tricity Reporter

Tricity Today | कोरोना वायरस के कारण मरे व्यक्ति का अंतिम संस्कार करते हुए डॉक्टर



कहते हैं कि जब बुरा वक्त आता है तो अपना साया भी साथ छोड़ देता है। कोरोनावायरस भी कुछ ऐसा ही बुरा वक्त लेकर आया है। इस बुरे बुरे वक्त का असर देखिए ताउम्र साथ निभाने का वादा करने वाली पत्नी और जान से भी ज्यादा प्यारे बेटे ने कोरोना संक्रमण के कारण मरे बुजुर्ग को दफनाने से भी इंकार कर दिया। वह इस कदर डर गए कि लाश को हाथ तक नहीं लगाया। आखिर में दो हिंदू डॉक्टर और एक फार्मासिस्ट ने जनाजे का अंतिम संस्कार किया। फातिहा पढ़ने के लिए आए मौलवी भी 5 गज दूर खड़े होकर अंतिम संस्कार की रस्में पूरी करवाते रहे।

 

नोएडा में सेक्टर-66 के 60 वर्षीय व्यक्ति कि शनिवार को कोरोनावायरस के कारण ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में मौत हो गई थी। लाश को दफनाने से पत्नी और बेटे ने भी इंकार कर दिया। जब इन दोनों ने लाश को छुआ तक नहीं तो मजबूर होकर दो डॉक्टर और एक फार्मेसिस्ट ने पीपीई किट पहनकर जनाजे का अंतिम संस्कार किया।

अयोध्या के रहने वाले 60 वर्षीय शमी मोहम्मद का परिवार फिलहाल नोएडा के सेक्टर-66 में रहता है। शमी मोहम्मद को कोरोनावायरस का संक्रमण हो गया था। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। परिवार ने नोएडा के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया था। अस्पताल ने उनका कोरोनावायरस टेस्ट करवाया, जो पॉजिटिव निकला था। इसके बाद समी मोहम्मद को शुक्रवार की रात ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती किया गया था। शनिवार की सुबह उनका देहांत हो गया। उनके पत्नी और बेटी को भी स्वास्थ्य विभाग ने क्वारंटाइन करके रखा है। शनिवार की देर रात लाश को दफनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम पत्नी और बेटे को साथ लेकर कब्रिस्तान पहुंची। पत्नी और बेटे ने लाश को छूने से इंकार कर दिया। 

जब काफी देर हो गई तो डॉक्टर और फार्मासिस्ट सामने आए। दोनों लोगों ने पीपीई किट पहनकर जनाजे का अंतिम संस्कार किया। जनाजे पर फातिहा पढ़ने के लिए आए मौलवी ने भी नजदीक जाने से इनकार कर दिया था।

मां ने इकलौते बेटे को बाप के जनाजे को छूने तक नहीं दिया

मां ने अपने इकलौते बेटे को उसके कोरोना पॉजिटिव पिता के जनाजे तक को हाथ नहीं लगाने दिया। शमी मोहम्मद के रिश्तेदार भी कोरोना वायरस के डर से शव को एंबुलेंस से कब्र तक लेकर नहीं आए। अंततः ऐसे डॉक्टरों और फार्मासिस्ट ने आगे आकर जनाजे को दफनाने का जिम्मा लिया। मेडिकल टीम ने पीपीई किट पहनी। मौके पर मौजूद मुस्लिम धर्म गुरू के बताए मुताबिक जनाजे को दफनाने की प्रक्रिया पूरी की।

परिवार के सारे सदस्य क्वारंटाइन हो गए, अंतिम संस्कार करने की समस्या हो गई

सेक्टर-66 ममूरा में रहने वाले और एक निजी कंपनी में नौकरी करने वाले शमी मोहम्मद विगत शुक्रवार को कोरोनावायरस से पॉजिटिव हो गए थे। जिसके बाद देर रात उन्हें एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती किया गया था वहां उनका को रोना टेस्ट करवाया गया, जो पॉजिटिव निकला। इसके बाद उन्हें ग्रेटर नोएडा के राज्य के आयुर्विज्ञान संस्थान रेफर कर दिया गया था। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में शनिवार की सुबह उनका कार्डियो रेस्पिरेट्री सिस्टम फेल हो गया और उनकी मौत हो गई थी। मोहम्मद शमी की पत्नी, बेटा, बेटी और नाती को भी स्वास्थ्य विभाग ने क्वारंटीन कर दिया।

जिसके चलते कोई संगा संबंधी नहीं आने के कारण शनिवार देर शाम तक उनके जनाजे को दफनाया नहीं जा सका। मृतक मोहम्मद शमी का बेटा लखनऊ के एक कॉलेज से आयुर्वेद में बीएएमएस की पढ़ाई कर रहा है।

अंत मे दो डॉक्टर और एक फार्मासिस्ट को दी गई जिम्मेदारी

जब परिजन पीछे हट गए तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने शव को दफनाने की जिम्मेदारी जिला क्वारंटीन प्रभारी और एसीएमओ डॉ वीबी ढ़ाका, दादरी सीएचसी के प्रभारी डॉ अमित चौधरी, फार्मासिस्ट और कर्मचारी नेता कपिल चौधरी को सौंपी। शमी मोहम्मद के परिवार से बात कर उन्हें साथ लेकर प्रोटोकॉल के तहत शव को दफनाने में मदद करें। जिसके बाद जिम्स से शनिवार की रात 10 बजे बुजुर्ग के शव को नोएडा के ककराला गांव स्थित कब्रिस्तान पहुंचाया गया। वहीं, मृतक की पत्नी, बेटे और बेटी समेत सभी परिवार के सदस्यों को भी गलगोटिया यूनिवर्सिटी क्वारंटीन सेंटर से कब्रिस्तान लाया गया।

परिवार के लोगों ने किया हाथ लगाने से इंकार

जहां जनाजे को दफनाने की सारी तैयारियां पूरी होने पर एंबुलेंस में बैठी मृतक की पत्नी, बेटे और बेटी से जनाजे को शव वाहन से निकालकर कब्र तक पहुंचाकर क्रियाकर्म की कार्रवाई पूरी करने के लिए कहा गया। लेकिन पति की मौत का गम झेल रही पत्नी ने अपने बेटे और बेटी को कोरोना के डर से अंत समय में उनके पिता के जनाजे को हाथ लगाने से भी रोक दिया। जिनका कहना था कि कोविड-19 ने उनके पति के जीवन को लील लिया है, अब वो अपने बच्चों को नहीं खोना चाहतीं। इस संबंध में जब ग्रेनो मीडिया ने बीएएमएस की पढ़ाई कर रहे उनके बेटे से बात की तो उन्होंने बताया कि वो पिता के अंत समय में अपना बेटा होने का फर्ज अदा करना चाहते थे। लेकिन मां की आंखों के आंसूओं ने उन्हें रोक दिया। जिसके चलते दो डॉक्टरों व फार्मासिस्ट ने ही उनके पिता का क्रियाकर्म की प्रक्रिया को उनकी मौजूदगी में पूरा किया।

फातिहा पढ़ने आए धर्म गुरूओं ने भी किए हाथ खड़े

मृतक मोहम्मद शमी के धर्म को भी ध्यान में रखा गया। जिसके चलते दो धर्म गुरूओं को निवेदन कर कब्रिस्तान बुलाया गया था। जिससे जाने अनजाने में कोई धार्मिक भावना आहत ना हो जाए। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मौके पर मौजूद धर्म गुरूओं से पीपीई किट पहनकर जनाजे को दफनाने के लिए निवेदन किया। लेकिन, उन्होंने भी कोरोना के कहर से डरकर हाथ लगाने से मना कर दिया। जिसके बाद जिला क्वारंटीन प्रभारी एसीएमओ डॉक्टर वीबी ढ़ाका, गलगोटिया कैंपस में बने क्वारंटीन सेंटर के प्रभारी डॉक्टर अमित चौधरी और राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के जिला संयोजक व फार्मासिस्ट कपिल चौधरी खुद आगे आए और तीनों लोगों ने पीपीई किट पहनकर जनाजे को दफनाने की प्रक्रिया को पूरा किया। यह प्रक्रिया देर रात करीब 12 बजे समाप्त हुई।

यह अंतिम संस्कार का प्रोटोकॉल

एसीएमओ डॉक्टर वीबी ढ़ाका ने बताया कि लोगों में काफी भ्रम फैला है। जिसके चलते इस तरह की दिक्कतें आ रही हैं। यह बात सही है कि यह वायरस एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि नियमों का पालन करने के बावजूद भी यह किसी को संक्रमित कर सकता है। इसलिए पीपीई किट पहनकर लोग कोरोना संक्रमण से मौत के मामलों में शव का अंतिम संस्कार कर सकते हैं।

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