नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) को जेपी इंफ्राटेक का अधिग्रहण करने की मंजूरी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने दी है लेकिन इस आदेश से यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को बड़ा नुकसान हुआ है। यमुना प्राधिकरण ने एनसीएलटी में दावा पेश किया था लेकिन एनसीएलटी ने उसके दावों को स्वीकार नहीं किया। इससे प्राधिकरण को करीब 1,200 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है। हालांकि, किसानों से जुड़े दावों को स्वीकार कर लेने से विकास प्राधिकरण ने राहत की सांस ली है।
यमुना एक्सप्रेस वे का निर्माण करने की एवज में जेपी इंफ्राटेक को उत्तर प्रदेश सरकार ने पांच जगहों पर 500-500 हेक्टेयर जमीन लैंड फॉर डेवलपमेंट (एलएफडी) के लिए देने का वादा किया था। इस जमीन पर जेपी समूह की कंपनियां टाउनशिप बसा रही थीं। एग्रीमेंट के मुताबिक यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने एक एलएफडी नोएडा शहर में, दो यमुना प्राधिकरण के क्षेत्र (गौतमबुद्ध नगर जिला) में, एक टप्पल (अलीगढ़) में और एक आगरा में दी गई हैं। एलएफडी के चारों ओर विकास करने की जिम्मेदारी यमुना प्राधिकरण की थी।
एग्रीमेंट के तहत इन पांचों टाउनशिप तक रास्ते, बिजली, पानी और दूसरे जरूरी संसाधन प्राधिकरण को विकसित करने थे। हालांकि, इसके लिए विकास शुल्क का भुगतान जेपी इंफ्राटेक कंपनी को करना था। इसमें गौतमबुद्ध नगर में यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के एलएफडी-दो का विकास शुल्क 244 करोड़ रुपये, एलएफडी-तीन का 380 करोड़ रुपये, टप्पल की एलएफडी का 285 करोड़ रुपये और आगरा एलएफडी का 288 करोड़ रुपये बकाया हैं। प्राधिकरण को इसमें से किसी का विकास शुल्क नहीं दिया गया है।
प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डा. अरुणवीर सिंह ने बताया कि यह धनराशि लेने के लिए प्राधिकरण ने एनसीएलटी में दावा पेश किया था, जिसे उसने अस्वीकार कर दिया है। इसके अलावा यमुना एक्सप्रेस वे की सलाहकार एजेंसी नियुक्त करने पर खर्च हुए 10.42 करोड़ और लीज रेंट के 26 करोड़ रुपये का दावा भी एनसीएलटी ने अस्वीकार कर दिया है। हालांकि, अधिग्रहीत की गई जमीन के प्रभावित किसानों को 64.7 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा दिलाने के लिए कोर्ट जाने का सुझाव एनसीएलटी ने दिया है। यह रकम करीब 541 करोड़ रुपये है।
दूसरी राहत एनसीएलटी ने यह दी कि एलएफडी के प्रभावित किसानों को अतिरिक्त मुआवजा देने के यमुना प्राधिकरण के दावे को स्वीकार कर लिया है। यह धनराशि करीब 1,689 करोड़ रुपये है। एनसीएलटी ने आदेश दिया है कि जो भी कंपनी एनबीसीसी से एलएफडी की जमीन खरीदेगी, उसे अतिरिक्त मुआवजे का पैसा प्राधिकरण को देना होगा। इससे प्राधिकरण ने राहत की सांस ली है।