Tricity Today | CBI
यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में 126 करोड़ रुपये के जमीन खरीद घोटाले में सीबीआई ने अपनी जांच आगे बढ़ा दी है। इसी बीच सीबीआई को जांच के दौरान एक बड़ा सुराग पता चला है। सीबीआई ने खुलासा किया है कि प्राधिकरण के अफसरों ने एक ही वित्तीय वर्ष में तीन दरों पर जमीन खरीदी थी। अब सीबीआई यह जानना चाहती है कि तीन अलग-अलग दरों में जमीन खरीद किन नियमों के तहत की गई है।
इसको लेकर सीबीआई ने यमुना प्राधिकरण के अफसरों से संपर्क किया है। इन सवालों के अधिकारियों जवाब से मांगे हैं। यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में 2014 के दौरान मथुरा जिले में मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदी गई। यमुना प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार ने इस मामले की जांच की तो गड़बड़ी उजागर हुई थी। इसके बाद मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की गई थी।
सीबीआई ने जांच करने की सहमति दी और अपनी ओर से मुकदमा दर्ज करवा दिया। अब सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। सूत्रों का कहना है कि जांच में खुलासा हुआ है कि यह जमीन खरीद एक वित्तीय वर्ष में हुई। एक ही वित्तीय वर्ष में तीन अलग-अलग दरों पर जमीन खरीद ली गई। जबकि, विकास प्राधिकरण या प्रशासन जमीनों के दाम साल में एक बार तय करते हैं। फिर तत्कालीन अफसरों ने कैसे तीन दरों में जमीन खरीद ली। इन सवालों के जवाब सीबीआई ने यमुना प्राधिकरण से मांगे हैं। इस बार में सीबीआई ने यमुना प्राधिकरण से जवाब सवाल किए हैं।
कुछ इस तरह का किया गया है भुगतान
मथुरा जिले में 2014 में जमीन खरीदी गई। अफसरों ने मुआवजे की तय दर से अधिक का भुगतान किया। उस समय प्राधिकरण की मुआवजा दर 693 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी। कुछ जगह 1021 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी। जबकि, अधिकारियों ने तीन दरों में जमीन खरीद कर प्राधिकरण को नुकसान पहुंचाया है। उस समय 768 रुपये से लेकर 2268 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर पर जमीन खरीदी गई है।
क्या है पूरा मामला
वर्ष 2014 में मथुरा के सात गांवों मादौर, सेउपट्टी बांगर, सेउपट्टी खादर, कौलाना बांगर, कौलाना खादर, सौतीपुरा बांगर व नौहझील बांगर में 57.15 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई थी। इसके एवज में 85.49 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की दर से मुआवजे की रकम 39.86 करोड़ रुपये हो रही है।
बिना जरूरत अफसरों ने खरीद ली जमीन
इस जमीन पर प्राधिकरण की कोई परियोजना प्रस्तावित नहीं थी। अब भी यह जमीन खाली पड़ी है। इसकी शिकायत मिलने पर प्राधिकरण के चेयरमैन ने यीडा के नियोजन विभाग की महाप्रबंधक से जांच कराई। उसके बाद सीईओ से भी जांच कराई गई। जिसमें जमीन खरीदने में गड़बड़ी सामने आई। रिपोर्ट के आधार पर प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता समेत 21 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। जमीन खरीद के लिए 19 बोगस कंपनियों बनाई गई थीं।
पीसी गुप्ता समेत 14 लोग अब तक जेल गए
इस मामले में पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता समेत दर्जनभर अधिकारी-कर्मचारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। विकास प्राधिकरण में तैनात रहे तहसीलदार को तो रिश्वत देते हुए रंगे हाथों सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। वह सीबीआई जांच में अड़ंगा डालने के लिए सीबीआई के इंस्पेक्टर और सब-इंस्पेक्टर को 20 लाख रुपए की रिश्वत दे रहा था।