नोएडा के सरकारी स्कूलों का बुरा हाल : 40 प्रतिशत छात्रों को घटाना और 37 प्रतिशत को नहीं आता भाग देना 

नोएडा | 1 महीना पहले | Lokesh Chauhan

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Noida News : पिछले तीन साल से भारत सरकार की ओर से चलाए जा रहे निपुण भारत अभियान का नोएडा में कोई विशेष असर दिखाई नहीं दे रहा है। इस अभियान के तहत कक्षा एक और दो के छात्रों को भाषा और गणित में पारंगत किया जा रहा है। हालांकि जमीनी स्तर पर यह अभियान पूरी तरह से फ्लॉप साबित हो रहा है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर का इंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गणित में 40 प्रतिशत छात्रों को घटाना तक नहीं आता है। वहीं 37 प्रतिशत छात्र ऐसे हैं, जो भाग नहीं कर पाते हैं।

हर साल करोड़ों रुपये हो रहे बर्बाद 
निपुण भारत अभियान के तहत शिक्षकों की ट्रेनिंग पर हर साल लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। उसके बाद भी शिक्षा के स्तर में कोई सुधार नहीं हो रहा है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को गुणा, भाग, जोड़ और घटाना जैसी मूलभूत गणितीय जानकारी भी नहीं है। असर (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) 2022 की जिलावार रिपोर्ट में यह चिंताजनक आंकड़े सामने आ रहे हैं, जो हैरत में डालने के साथ ही शिक्षा और शिक्षण व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

प्रदेश के शो विंडो का बुरा हाल आया सामने 
जनवरी में जारी की गई जिलेवार रिपोर्ट में शिक्षा विभाग की स्थिति सामने आई है। उत्तर प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले गौतमबुद्ध नगर के सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से 8 में पढ़ने वाले 37 प्रतिशत छात्रों को भाग करना नहीं आता है। वहीं, 14.7 प्रतिशत छात्र दूसरे स्तर के वाक्यों को पढ़ना तक नहीं जानते हैं। वहीं कक्षा 3 से 5 में पढ़ने वाले करीब 40 प्रतिशत छात्रों को घटाना तक नहीं आता है।

23 प्रतिशत छात्र ही सरकारी स्कूलों में कर रहे पढ़ाई 
गौतमबुद्ध नगर के 6 से 14 वर्ष तक की उम्र के 23.3 प्रतिशत छात्रों के अभिभावकों को ही सरकारी स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता पर भरोसा है। जबकि 76.7 प्रतिशत अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाई के लिए भेजते है। वहीं 1.9 प्रतिशत छात्र स्कूलों ही नहीं जाते है। बेसिक शिक्षा परिषद की और से शारदा अभियान के तहत ड्रॉप आउट छात्रों को स्कूलों से जोड़ा जा रहा है, लेकिन यह अभियान जिले में अब तक सिर्फ फाइलों में चल रहा है।

26 और 25 अक्टूबर को फिर होगा सर्वे 
असर का सर्वे जिले की 30 ग्राम सभाओं में किया गया है। ग्राम सभाओं में पढ़ने वाले हर पांचवें घर में सर्वे किया गया था। सर्वे में कई सवालों के जवाब लिए गए थे। हर दूसरे साल यह सर्वे होता है। साल 2024 के लिए यह सर्वे 26 और 27 अक्टूबर को होगा। करीब एक साल तक चलने वाले सर्वे के बाद यह जानकारी साझा की जाती है।


मेरठ मंडल के जिलों की स्थिति चिंताजनक 
मेरठ मंडल में शामिल जिलों में से हापुड़ इस सर्वे में शामिल नहीं हुआ था। जबकि अन्य जिलों की हालत काफी खराब है। मेरठ में 49 प्रतिशत छात्र घटाना और 37 प्रतिशत छात्रों को भाग करना नहीं आता है। गाजियाबाद में 43 प्रतिशत छात्रों को घटाना और 51 प्रतिशत छात्रों को भाग करना नहीं आता। बुलंदशहर में  54 प्रतिशत को घटाना और 50 प्रतिशत को भाग देना नहीं आता। वहीं बागपत में 53 प्रतिशत को घटाना और 55 प्रतिशत छात्रों को भाग देना नहीं आता है।

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