गौतमबुद्ध नगर में किसान आंदोलन : अब 7 दिनों तक नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे जलेगा चूल्हा, सिस्टम नहीं झुका तो फिर करेंगे दिल्ली कूच

नोएडा | 3 घंटा पहले | Ashutosh Rai

Tricity Today | नोएडा में किसान आंदोलन



Noida News : किसान ना तो बंटे हैं और ना ही पीछे हटे हैं। अब 7 दिनों तक किसान नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे स्थित दलित प्रेरणा स्थल में अपना ठिकाना बनकर रहेंगे। वहीं पर सुबह की चाय और रात का खाना होगा। वहीं पर महिलाएं चूल्हा जलाकर खाना बनाएंगे। अगले 7 दिनों तक ऐसा चलता रहेगा और उसके बाद सिस्टम के खिलाफ आगे की लड़ाई लड़ी जाएगी।

"जुड़ेंगे तो जीतेंगे" और "बंटेंगे तो कटेंगे" पर चले किसान
हाल ही में राजनीतिक पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने नारा दिया था कि "बंटेंगे तो कटेंगे" और "जुड़ेंगे तो जीतेंगे" इसी नारी को लेकर किसानों ने आगे की रणनीति तैयार की है किसानों का कहना है कि हम एक साथ हैं और आगे की लड़ाई भी एक साथ लड़ी जाएगी। किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटा जाएगा और ना ही किसान अलग-अलग होंगे। अब अगले 7 दिनों तक दलित प्रेरणा स्थल में किसान रहेंगे। सात दिन बाद अधिकारियों से बातचीत की जाएगी और अगर अधिकारियों ने समाधान नहीं निकला तो सिस्टम के खिलाफ दिल्ली जाएंगे। किसानों का साफतौर पर कहना है कि अब पीछे नहीं हटने वाले, यह लड़ाई अंतिम सांस तक जाएगी।

इसलिए दिल्ली जाएंगे किसान
इस आंदोलन के बीच राकेश टिकट का बयान सामने आया है। उनका कहना है, "दिल्ली में सरकार बैठी है। सारे मंत्री दिल्ली में बैठे हैं तो क्या सकरा (बिहार का एक जिला) में जाकर किसान अपने हक को मानेंगे। दिल्ली ही तो किसान आएंगे। किसानों का समाधान सिर्फ दिल्ली से होगा। सभी किसान संगठन एक प्लेटफॉर्म पर है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसान अपनी मांगों को मांग रहे है और किसानों की मांग जायज है। पुलिस इस समय नोएडा बॉर्डर किसानों को रोकने का प्रयास कर रही है, लेकिन किसान आगे बढ़ रहे है। इसके बाद 6 दिसंबर को पंजाब के किसान दिल्ली कूच करेंगे।"

क्या हैं किसानों की मांगें?
गोरखपुर में बन रहे हाईवे के लिए 4 गुना मुआवजा दिया गया। जबकि गौतमबुद्ध नगर को चार गुना मुआवजे के लाभ से वंचित रखा गया है। इसके अलावा 10 साल से सर्किल रेट भी नहीं बढ़ा है। नए कानून के लाभ जिले में लागू करने पड़ेंगे। किसानों की प्रमुख मांगों में 10 फीसदी विकसित भूखंड, हाई पावर कमेटी की सिफारिशों और नए भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ दिया जाना शामिल है। ये सारे निर्णय शासन स्तर पर लिए जाने हैं।

 

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