कितना खतरनाक है दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण : अपंग और पागल पैदा हो सकते हैं गर्भस्थ बच्चे, पढ़िए खास खबर

नोएडा | 6 महीना पहले | Jyoti Karki

Tricity Today | जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स



Noida News : वायु प्रदूषण (Air pollution) अब हमें डराने लगा है। यह प्रदूषण धरती पर सांस ले रहे लोगों के ​अलावा गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी बेहद घातक हो सकता है। वायु प्रदूषण से गर्भस्थ शिशु अपंग, हार्ट पेशेंट, पागल और कुपोषित हो सकते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञ इस बाबत समय-समय पर हमें आगाह करते रहते हैं, लेकिन हमारी उदासीनता और नासमझी से भविष्य की जो डरावनी तस्वीर उभरकर आई है, वह भावी पीढ़ी के सामने आने वाले संकट की ओर इशारा कर रही है। इस विकट हालात से निबटने के लिए हमें हर हाल में जागरूक होना ही होगा। 

कामयाब नहीं हो रहीं कोशिशें
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक कहती हैं कि बीते कई वर्षों से दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस साल भी नोएडा वालों को दमघोंटू हवा में सांस लेना पड़ रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) की गाइडलाइंस के मुताबिक, नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) ग्रेप लागू करके प्रदूषण को कम करने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है। वह कहती हैं, आपने देखा होगा कि अक्सर प्रदूषण के कारण सांस के मरीजों को काफी तकलीफ होती है। लेकिन, आज हम जानेंगे कि इस वायु प्रदूषण से गर्भस्थ शिशु को भी बड़ी प्रॉब्लम आ सकती है।

इन परेशानियों से मां और बच्चों को जूझना पड़ता है 
सेक्टर-110 सीएचसी में तैनात डॉ. मीरा पाठक ने ट्राईसिटी टुडे से खास बातचीत में बताया कि वायु प्रदूषण गर्भवती महिलाओं के बहुत घातक होता है। उन्होंने बताया कि हवा की गुणवत्ता यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) अगर 100 से अधिक है तो प्रेगनेंट महिलाओं के लिए यह हेल्थ हैजार्ड बन सकता है। नॉर्मल लोगों के लिए एक्यूआई 200 से अधिक होने पर जो प्रॉब्लम आती है, वही प्रॉब्लम गर्भवती महिलाओं को 100 एक्यूआई से अधिक में हो जाती है। गर्भवती के स्वास्थ्य पर यह खतरा होता है कि अर्ली यानि समय पूर्व पैदा होने वाले बच्चों में जन्मजात कई गंभीर विकार पैदा होने के खतरे होते हैं। डॉ. मीरा पाठक का कहना है कि वायु प्रदूषण से गर्भस्थ शिशु यानि गर्म में पल रहे बच्चे को हार्ट और दिमाग संबंधी विकार हो सकते हैं। अधिक वायु प्रदूषण से ​कभी-कभी गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कनें रुक जाती हैं। कुछ बच्चों में ब्रेन का विकार हो जाता है। यानि बच्चा मानसिक बीमारी से पीड़ित हो सकता है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण के कारण कुछ बच्चों का गर्भ में विकास धीमी गति से या देर से होता है। कभी-कभी तो बच्चे कुपोषित या अपंग पैदा होते हैं। ऐसे बच्चों में रेस्पिरेट्री प्रॉब्लम्स शुरू हो जाती है, क्योंकि वह पेट में ही अपनी मां के द्वारा ली गई सांसों से अफेक्टेड रहते हैं। 

नेचुरल तरीके से ऐसे रख सकते हैं ध्यान
डॉ. मीरा पाठक कहती हैं कि जब एक्यूआई हाई होने लगता है, तो गर्भवती महिला को घर में रहना चाहिए। दरवाजे खिड़कियों को हो सके तो बंद रखना चाहिए। अगर बाहर निकलना जरूरी हो तो आधे घंटे से ज्यादा बाहर न रहें। प्रदूषण से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को अच्छे किस्म के मास्क लगाकर निकलना चाहिए। अगर प्रेगनेंट महिला इनडोर में रह रही है तो एयर प्यूरीफायर घर पर लगाना चाहिए और अगर वह ऐसा नहीं कर पा रही है तो अपने आसपास पेड़ पौधे लगाएं, जो नेचुरल एयर प्यूरीफायर का काम करते हैं। सीजनल सब्जियों का सेवन करना चाहिए। टमाटर, पालक, गाजर और पपीते का सेवन करना चाहिए। इनमें एंटी पोल्यूटेंट होते हैं, जो पॉल्यूशन को कम करने में मदद करते हैं। हल्दी वाले दूध का सेवन सबसे लाभदायक होता है।

अन्य खबरें