नोएडा में सरदार से मिला सरदार : घोटाले का आधार हुआ तैयार, अब आए ईडी के रडार पर

नोएडा | 3 घंटा पहले | Lokesh Chauhan

Tricity Today | कौन है दूसरा सरदार?



Noida News : नोएडा अथॉरिटी में बिल्डरों से सांग-गांठ करके करोड़ों रुपये का घोटाला करने वाले पूर्व सीईओ और सेवानिवृत्त आईएएस मोहिंदर सिंह ने अकेले इस मामले का अंजाम नहीं दिया, बल्कि एक और सरदार के साथ मिलकर इसकी नींव रखी थी। प्रवर्तन निदेशालय ED ने मोहिंदर सिंह को अपने मुख्यालय में तलब किया है। नोएडा में तैनाती के दौरान मोहिंदर सिंह का सबसे पहला सूत्रधार एक और सरदार बना, जो नोएडा के रियल एस्टेट उद्योग में सक्रिय है। थ्री सी के नाम से कंपनी चलाने वाले दूसरे सरदार का नाम निर्मल सिंह है।

दो सरदार बने घोटाले के आधार  
नोएडामें थ्री सी बिल्डर के नाम से कंपनी चलाने वाले निर्मल सिंह और नोएडा अथॉरिटी के पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह के गठजोड़ का मामला सामने आया है। सूत्रों का दावा है कि सरदार निर्मल सिंह ही मोहिंदर सिंह के हजारों करोड़ रुपये के घोटाले का पहला पार्टनर बना था। ईडी ने हाल ही में हैसिंडा कंपनी के जिस प्रोजेक्ट की जांच को आगे बढ़ाया है, उस कंपनी का असली मालिक भी सरदार निर्मल सिंह ही है। निर्मल सिंह ने सुरजीत सूरी तथा विदुर भारद्वाज के साथ मिलकर थ्री सी, हैसिंडा सहित कई कंपनियां बनाकर रियल स्टेट के नाम पर खूब माल कमाया। निर्मल सिंह ने नोएडा के सेक्टर-100 में लोटस वुडस, नोएडा के सेक्टर-110 में लोटस पनास, सेक्टर-110 में ही लोटस जिंग, नोएडा के सेक्टर-78 में अरीना के नाम से प्रोजेक्ट घोषित करके खूब पैसे कमाए। नोएडा के सेक्टर-126 में स्थित लोटस वैली स्कूल भी निर्मल सिंह तथा उसके रिश्तेदारों द्वारा चलाया जाता है। नोएडा के सेक्टर-78 का अरीना प्रोजेक्टस आज तक अधर में लटका हुआ है। इसी निर्मल सिंह ने सबसे पहले नोएडा के तत्कालीन CEO मोहिंदर सिंह को नोएडा में मोटी कमाई करने का रास्ता बताया था। 

आम्रपाली सबसे बड़ा बकाएदार 
नोएडा प्राधिकरण के इस बकाये की रकम9  हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की है। नोएडा प्राधिकरण का सबसे बड़ा बकाएदार आम्रपाली बिल्डर है। दिवालिया हो चुके आम्रपाली बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण के 4500 करोड़ रुपये बकाया है। इस कड़ी में दूसरा नाम सुपरटेक का है। सुपरटेक पर नोएडा प्राधिकरण के 3062 करोड़ रुपये बकाया है। लॉजिक्स बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण के 1113 करोड़ रुपये बकाया है। इसी कड़ी में थ्रीसी बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण के 600 करोड़ रुपये बकाया है। ये सभी बिल्डर अपने नोएडा के प्रोजेक्ट के लिए दिवालिया घोषित हो चुके हैं। 

बसपा सरकार का सबसे रसूखदार अधिकारी 
मोहिंदर सिंह तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की सरकार में सबसे पसंदीदा अधिकारी था। सरदार मोहिंदर सिंह 14 दिसंबर 2010 से लेकर 20 मार्च 2012 तक नोएडा प्राधिकरण में सीईओ तथा चेयरमैन के पद पर तैनात रहा है। उसी तैनाती के दौरान मोहिंदर सिंह ने बिल्डरों को कौड़ियों के भाव नोएडा अथॉरिटी की सारी जमीन बेच डाली थी।

10 प्रतिशत धनराशि के आवंटन पर हुआ खेल 
मोहिंदर सिंह के नोएडा प्राधिकरण में आते ही निर्मल सिंह के जरिये राजनैतिक आका तैयार कर लिए थे। उन्हें खुश करने के साथ करोड़ों रुपये कमाने का मौका देने के लिए खेल शुरू किया था। इसमें नोएडा अथॉरिटी की हजारों करोड़ रुपये की जमीन मात्र 10 प्रतिशत धनराशि जमा कराकर कोई भी बिल्डर आवंटित करा सकता था। शर्त यह थी कि जमीन की कीमत का 25 प्रतिशत अधिकारी और नेताओं को नकदी के रूप में पहुंचाना होता था। इसी खेल में नोएडा प्राधिकरण के कई डिफाल्टर बिल्डरों ने 10 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की जमीन आवंटित की गई थी। बिल्डरों ने इस आवंटन के बदले हजारों करोड़ रुपये रिश्वत के तौर पर तो दिए, लेकिन प्राधिकरण का बकाया नहीं चुकाया। 

एक घोटाले ने बर्बाद कर दिया नोएडा में रियल एस्टेट
सरदार मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में नोएडा अथॉरिटी की सैकड़ों करोड़ रुपये की जमीन आवंटित कराने वाले एक दर्जन बिल्डर कंगाल हो गए। नोएडा में सक्रिय इन बिल्डरों ने अपनी नोएडा की कंपनियों को दिवालिया घोषित कर दिया है। दिवालिया होने वाले बिल्डरों के ऊपर नोएडा प्राधिकरण के नौ हजार करोड़ से भी अधिक रुपये बकाया है। दिवालिया हो जाने के कारण इन बिल्डरों से अब रिकवरी की उम्मीद ना के बराकर रह गयी है। रिकवरी ना होने के कारा अथॉरिटी का पूरा बकाया डूब गया।

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