नोएडा में श्रद्धा के नाम पर धंधा : छठ घाट में पूजा करने के लिए देने पड़ रहे पैसे, कट रही पर्ची

नोएडा | 11 महीना पहले | Jyoti Karki

Tricity Today | Symbolic



Noida News : सूर्य उपासना का महापर्व छठ (Chhath Puja) पूरे उत्तर भारत में श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। इस पर्व को लेकर एक बड़ी और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली खबर आ रही है। नोएडा के सेक्टर-110 में इस पूजा के नाम पर वसूली का मामला सामने आ रहा है। यहां पर आयोजित पूजा स्थल पर पूजा करने के लिए 500 से 2000 रुपए तक की पर्चियां काटी जा रही हैं। ये पर्चियां दो-तीन दिन पहले से ही कटनी शुरू हो गई है। मुख्य आयोजक का कहना है कि समय सीमा पूरी होने के बाद पर्चियों का रेट और अधिक बढ़ा दिया जाएगा। 

कई सालों से लोगों को बना रहे निशाना 
आपको बता दें कि सेक्टर-110 लाल बिल्डिंग में हर साल छठ पूजा पर्व के दौरान पूजा स्थल बनाया जाता है। इस पर आने वाले भक्तों को हर साल पर्ची कटवानी पड़ती है। यह जमीन नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) की है। इसके बावजूद आयोजक करता लोगों से लाखों रुपए हड़प रहे हैं। हर साल ऐसे ही किया जाता है, बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं होती है। छठ पूजा में पानी में खड़े होकर महिलाएं पूजा अर्चना करती हैं। इसके लिए उन्हें दो-तीन दिन पहले से ही पर्ची कटवानी होती है। इसका मतलब यह होता है कि जो लोग गरीब हैं, वह यहां पर पूजा नहीं कर सकते हैं। सेक्टर-110 में महिलाएं सलारपुर, भंगेल और आसपास के इलाकों से आकर पूजा करती हैं। ऐसे में यहां के आयोजकों ने उनकी आस्था को पैसे कमाने का जरिया बना दिया है। 

नोएडा अथॉरिटी की नाक के नीचे हो रहा काम 
मुख्य आयोजक जेपी मंडल का कहना है कि उन्होंने नोएडा अथॉरिटी से परमिशन ली है। साथ ही अथॉरिटी को उन्होंने बकायदा फीस भी दी है। उन्होंने यहां पर एक तालाब और टंकी जैसा गड्ढा खोदा है, जिसमें उन्होंने पेंट कराया है। टेंट लगवाया है। पूरे खर्च की बात करें तो ज्यादा से ज्यादा यहां पर एक लाख तक का खर्चा आया होगा। वह चंदा के नाम पर किसी से हजार तो किसी से 2 हजार तक ले रहे हैं। उनका कहना है कि यह सारा पैसा इस पूरे आयोजन को करने में लगाया गया है।  इस हिसाब से पता चलता है कि यहां कोई धार्मिक आयोजन नहीं, यह पैसा कमाने का धंधा है। शर्म की बात यह है कि भक्ति के नाम पर भी पैसा ऐंठा जा रहा है।

क्यों मनाया जाता है छठ महापर्व
छठ पूजा का व्रत करने वाली महिलाएं 36 घंटे के करीब निर्जला उपवास करती हैं, जो शनिवार को खरना के साथ शुरू हुआ। सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन होगा। मुख्य रूप से यह पर्व सूर्य उपासना के लिए किया जाता है, ताकि पूरे परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहे। साथ ही यह व्रत संतान के सुखद भविष्य के लिए भी किया जाता है। मान्यता है कि छठ का व्रत करने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यह महापर्व चार दिन का होता है और छठ माई के लिए व्रत रखा जाता है। जिसमें पहला दिन नहाय खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

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