पर्यावरण के लिए मुसीबत बनी पराली से किसानों को निजात दिलाने के लिए भारत की सबसे बड़ी बिजली निर्माण कंपनी एनटीपीसी (National Thermal Power Corporation) ने बड़ी पहल की है। एनटीपीसी ने बिजली बनाने में ईंधन के रूप में पराली का उपयोग करने की तैयारी कर ली है।
एनटीपीसी ऊंचाहार के एजीएम (ईंधन प्रबंधन) सीएस मिश्रा ने बताया, “पांच प्रतिशत ईंधन के रूप में हम बायोमास पेलेट का उपयोग करेंगे। बायोमास पेलेट का निर्माण पराली से किया जाएगा। अभी 150 टन बायोमास पेलेट प्रतिदिन का ऑर्डर दे दिया गया है और इसकी आपूर्ति शुरू हो गई है। ट्रायल के आधार पर हमने परिचालन में इसके परिणाम देख लिए हैं और हम सफल रहे हैं।”
उन्होंने बताया, “आगे बायोमास पेलेट की आपूर्ति बढ़ाकर लगभग 640 टन प्रतिदिन करने की हमारी योजना है। बायोमास पेलेट के आपूर्तिकर्ताओं को नियमित आधार पर इसकी आपूर्ति करने को कहा गया है।” मिश्रा ने बताया कि विनिर्माता खेतों से पराली लाकर उसका चूरा बनाते हैं और फिर उसका पेस्ट बनाकर उसमें बाइंडर मिलाते हैं जिससे वह ढेले का रूप ले ले। एक ढेले का आकार 35 मिमी तक का होता है। उत्तर भारत में बिजली बनाने में पराली का उपयोग करने वाली यह पहली इकाई होगी।
सार्वजनिक क्षेत्र के विद्युत उपक्रम के अधिकारी मिश्रा ने बताया कि बिजली संयंत्र में बायोमास पेलेट के उपयोग से कोयले की खपत में 5 प्रतिशत की कमी होगी। वास्तव में बायोमास पेलेट को कोयले के साथ मिलाकर भट्टी में डाला जाएगा क्योंकि इसकी हीट वैल्यू कोयले के समान है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बहराईच, मध्य प्रदेश में इंदौर और राजस्थान तथा पंजाब के आपूर्तिकर्ता बायोमास पेलेट की आपूर्ति कर रहे हैं।
कंपनी की मानव संसाधन प्रमुख वंदना चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में यदि बायोमास पेलेट के विनिर्माण को प्रोत्साहन दिया जाए तो निश्चित तौर पर प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस दिशा में कंपनी कंपनी सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के माध्यम से अपना तकनीकी ज्ञान उपलब्ध कराना चाहेगी। इस बीच, एनटीपीसी ऊंचाहार के मुख्य महाप्रबंधक भोला नाथ ने बताया कि लॉकडाउन की पूरी अवधि में इस संयंत्र ने निर्बाध रूप से बिजली का उत्पादन और वितरण जारी रखा और इस दौरान लोगों को सीएसआर के जरिए आवश्यक वस्तुएं वितरित कीं।