बड़ी खबर : यमुना प्राधिकरण के अफसरों से मिले एसडीएस इंफ्राकॉन के खरीदार, बिल्डर की मनमानी और अथॉरिटी की चुप्पी पर उठाए सवाल

यमुना सिटी | 3 साल पहले |

Tricity Today | यमुना प्राधिकरण के अफसरों से मिले एसडीएस इंफ्राकॉन के खरीदार



Greater Noida : करीब एक दशक से बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे एसडीएस इंफ्राकॉन के करीब 50 खरीदारों ने आज यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण (Yamuna Expressway Authority) के एसीईओ रविंद्र सिंह से मिलकर अपनी समस्याएं दर्ज कराईं। एसीईओ ने आश्वासन दिया कि खरीदारों की समस्याओं से सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह को अवगत कराया जाएगा और उनका समाधान तलाशा जाएगा। यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway) से सटे इस सोसाइटी में अब भी बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। बायर्स लंबे समय से प्राधिकरण और बिल्डर से सुविधाएं विकसित करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

समस्याओं के हल की मांग को लेकर शुक्रवार, 24 सितंबर को करीब 50 खरीदारों ने यमुना प्राधिकरण के एसीईओ रविंद्र सिंह से भेंट की। उनके समक्ष अपनी सभी समस्याएं रखीं। खरीदारों ने बताया कि बिल्डर को 8 साल पहले ही पूरा पैसा दिया जा चुका है। लेकिन तमाम खरीदारों को पजेशन नहीं मिला है। जिन्हें पजेशन मिला है, वे बिना सुविधाओं के यहां रह नहीं सकते। अथॉरिटी यह कहकर पल्ला झाड़ लेती है कि बिल्डर पर 500 करोड़ रुपये का बकाया है। इस वजह से प्राधिकरण रजिस्ट्री भी नहीं करा सकता। लोगों का कहना है कि तमाम प्रयासों के बावजूद अथॉरिटी से कोई मदद नहीं मिल पा रही है। यमुना एक्सप्रेसवे से सटी पॉश लोकेशन पर स्थित एसडीएस एनआरआई टाउनशिप में अब तक बिजली, पानी और सेक्योरिटी जैसी मूलभूत जरूरतें उपलब्ध नहीं हो पाई हैं।

दरअसल यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway) से सटी पॉश सोसाइटी एसडीएस इंफ्राकॉन (एनआरआई सिटी) के खरीदार पिछले एक दशक से रजिस्ट्री और मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। प्राधिकरण बिल्डर पर बकाए की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाता है। जबकि बिल्डर बुनियादी सुविधाएं विकसित करने, कंपलीशन सर्टिफिकेट और खरीदारों की रजिस्ट्री कराने को तैयार नहीं हैं। मूलभूत सुविधाओं की कमी के बावजूद कुछ परिवार यहां रहने को मजबूर हैं। यहां तक कि बॉयर्स को आरटीआई के जरिए प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी जुटानी पड़ रही है। बॉयर्स का ये भी कहना है कि टॉउनशिप के लोगों ने ये निश्चय किया है कि न वो, न ही उनके करीबी-रिश्तेदार आगामी चुनावों में किसी पार्टी को वोट देंगे। पीड़ितों का कहना है कि जब कोई पार्टी उनका समाधान करना ही नहीं चाहती, तो हम किसी को वोट क्यों दें।

नहीं मिल रही सुविधाएं
सोसायटी के खरीदार प्रशांत कुलश्रेष्ठ ने बताया, उन्होंने करीब 6 साल पहले रजिस्ट्री कराई थी। लेकिन अब तक उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ है। यहां करीब 1456 घर बनने हैं। इनमें से 500 लोगों को कंडीशनल कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिले थे। लेकिन अब वह भी बेकार हो गए हैं। बिल्डर ने 5 साल पहले नक्शा पास कराया था। मगर खरीदारों का मानना है कि इस नक्शा में भी झोल है। इसमें मानकों की अनदेखी की गई थी। अब तक रजिस्ट्री नहीं होने से हालात खराब हैं। इस वजह से खरीदार अपने परिवार के साथ किराए के घर में रह रहे हैं। बड़ी बात यह है कि उन्हें बैंक की ईएमआई और घर का किराया दोनों देना पड़ रहा है।

रेरा के नोटिस का भी नहीं डर
प्रशांत ने आगे बताया, उत्तर प्रदेश भूमि नियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) एसडीएस इंफ्राकॉन बिल्डर को तीन बार नोटिस भेज चुका है। रेरा ने कहा है कि बिल्डर जल्द अपने प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन कराए। लेकिन बिल्डर की तरफ से इस पर भी कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। रजिस्ट्रेशन नहीं होने की वजह से मामले की सुनवाई भी नहीं हो पा रही। यमुना प्राधिकरण, बिल्डर पर कड़ी कार्रवाई करने से बच रहा है। इसकी वजह से खरीदार परेशान हैं। बॉयर्स का ये भी कहना है कि यहां कराए गए निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया है। नई बनी इमारतों में भी प्लास्टर गिरने और दीवारें झड़ने जैसी गड़बड़ियां कई बार बिल्डर के संज्ञान में लाई गई हैं।

सालों से चक्कर काट रहे
यहां तक कि लोगों की सहूलियत के लिए बनाए गए क्लब हाउस की दीवारें झड़ रही हैं। निवासियों ने इसकी ऑडिट के लिए अथॉरिटी और जिला प्रशासन को लिखा था। मगर इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। एक अन्य खरीदार तरुण शर्मा ने बताया, 2015 में उन्होंने यहां घर बुक कराया था। उसी वक्त घर की पूरी कीमत चुका दी थी। लेकिन 7 साल बाद तक उनकी रजिस्ट्री नहीं हो सकी है। यमुना प्राधिकरण और बिल्डर प्रबंधन दोनों की तरफ से बॉयर्स को अंधेरे में रखा जा रहा है। तरुण शर्मा ने बताया कि वह पिछले 7 साल से अथॉरिटी और बिल्डर के चक्कर लगा रहे हैं। 

दीवार चला कर कब्जा किया
बॉयर्स का कहना है कि भवन निर्माण में भी बिल्डर मानकों की अनदेखी कर रहा है। यमुना प्राधिकरण के निर्देशों के मुताबिक दो मंजिला इमारतों में दिव्यांग जनों की सुलभ पहुंच के लिए लिफ्ट लगाना अनिवार्य है। यमुना प्राधिकरण ने ने लीज डीड में इसका जिक्र किया है। बिल्डर ने भी इसके लिए हामी भरी थी। लिफ्ट लगाने के लिए जगह भी छोड़ी गई थी। लेकिन अब वहां पर दीवारें चला दी गई हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि दिव्यांगजन दूसरी मंजिल पर कैसे पहुंचेंगे। साथ ही इस सोसाइटी को जोड़ने वाली सड़क भी खस्ताहाल है। लेकिन बिल्डर कुछ करने को तैयार नहीं है।

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