दिल्ली से वाराणसी तक प्रस्तावित बुलेट ट्रेन और ग्रेटर नोएडा से आगरा तक चल रहे यमुना एक्सप्रेसवे से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। अगर केंद्र सरकार की योजना सफल रही तो दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड ट्रेन ग्रेटर नोएडा से लेकर आगरा तक यमुना एक्सप्रेसवे पर फर्राटा भरेगी। आपको बता दें कि पिछले सप्ताह केंद्र सरकार ने दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए हवाई और भूमि सर्वे शुरू करवाया है। इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट केंद्र सरकार को मिल चुकी है। आपको यह भी बता दें कि भारतीय वायु सेना के फाइटर प्लेन उड़ाने और उतारने की सुविधा भी यमुना एक्सप्रेसवे पर है। मतलब, यह एक्सप्रेसवे मल्टीपरपज यूटिलिटी बनकर उभरा है।
दिल्ली-वाराणसी हाईस्पीड रेल यमुना एक्सप्रेसवे पर दौड़ सकती है। यमुना एक्सप्रेसवे के दोनों ओर की सड़कों की बीच की जगह (सेंट्रल वर्ज) में हाईस्पीड रेल का कॉरिडोर बनाया जा सकता है। यह तो पहले तय हो चुका है कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग में हाईस्पीड रेल का स्टेशन बनाया जाएगा। एयरपोर्ट की विकासकर्ता कंपनी ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी ने नेशनल हाईस्पीड रेल कारपोरेशन को पत्र भेजकर टर्मिनल बिल्डिंग में स्टेशन बनाने का आग्रह किया है। यमुना एक्सप्रेसवे के सेंट्रल वर्ज पर हाई स्पीड ट्रेन का कोरिडोर बनाने से करीब 165 किलोमीटर तक भूमि अधिग्रहण करने की आवश्यकता नहीं होगी। जिससे परियोजना की लागत भी घट जाएगी। दरअसल, ग्रेटर नोएडा में जीरो पॉइंट से आगरा शहर तक 165 किलोमीटर लंबा यमुना एक्सप्रेसवे है।
आपको बता दें कि दिल्ली-वाराणसी हाईस्पीड रेल का एलाइंमेंट तय करने के लिए हवाई सर्वे चल रहा है। एरियल लिडार और एमेजरी सेंसर की मदद से करीब 800 किलोमीटर लंबे रेल कॉरिडोर का एलाइंमेंट तय करने के लिए डाटा जुटाया जा रहा है। वहीं, अक्टूबर 2020 में परियोजना की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) रेल मंत्रालय को सौंपी जा चुकी है। इस मामले को लेकर यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि हाईस्पीड रेल कारपोरेशन एक्सप्रेसवे के सेंट्रल वर्ज पर कॉरिडोर का निर्माण करना चाहता है। इसके लिए कॉरपोरेशन और प्राधिकरण के बीच एक दौर की बातचीत हो चुकी है। इस योजना पर काम कर रहा है। हालांकि, एरियल सर्वे के बाद फाइनल एलाइंमेंट तय होगा। उससे पूरी तरह साफ होगा कि कॉरिडोर एक्सप्रेसवे के बीच में बनेगा या फिर इसके समानांतर बनाया जाएगा। एक्सप्रेसवे के बीच की जगह में कॉरिडोर के निर्माण से जमीन अधिग्रहण की पेचीदगी से बचा जा सकेगा। इसके साथ ही जमीन अधिग्रहण पर खर्च होने वाली रकम भी बच जाएगी। कॉरिडोर का निर्माण कार्य भी जल्द से जल्द शुरू हो जाएगा। हालांकि, इस दौरान यमुना एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक मैनेजमेंट बड़ी समस्या बनकर उभर सकता है।
गौतमबुद्ध नगर में दिल्ली-वाराणसी हाईस्पीड ट्रेन के 2 स्टेशन होंगे
दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड ट्रेन का सबसे ज्यादा फायदा गौतमबुद्ध नगर जिले को ही मिलने वाला है। दिल्ली से लेकर वाराणसी तक केवल गौतमबुद्ध नगर ऐसा जिला होगा, जिसके हिस्से में दो स्टेशन आएंगे। पहला स्टेशन नोएडा शहर में बनाया जाएगा। दूसरा स्टेशन जेवर में प्रस्तावित नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल बिल्डिंग में बनाने का प्रस्ताव है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की विकासकर्ता कंपनी ने टर्मिनल बिल्डिंग में हाईस्पीड रेल का स्टेशन बनाने का आग्रह किया है। इससे यहां रेल और हवाई जहाज से आने वाले यात्रियों की सीधे कनेक्टिविटी हो जाएगी और आवाजाही में लगने वाले समय की बचत होगी। अधिकारियों का कहना है कि रेल कॉरपोरेशन इस पर विचार कर रहा है। अगर हाईस्पीड रेल यमुना एक्सप्रेसवे के बीच से होकर गुजरेगी तो एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग तक पहुंचने के लिए एलाइंमेंट बदलना होगा। दरअसल, जेवर एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग यमुना एक्सप्रेसवे से करीब 500 मीटर की दूरी पर है। ऐसे में हाई स्पीड ट्रेन को यमुना एक्सप्रेसवे से उतारकर टर्मिनल बिल्डिंग तक और फिर वापस यमुना एक्सप्रेसवे पर लाना बड़ी समस्या हो सकती है।
मथुरा में यमुना एक्सप्रेसवे पर उतरते हैं वायुसेना के फाइटर प्लेन
इस विचार के आड़े एक और बड़ी समस्या है। यमुना एक्सप्रेसवे पर मथुरा क्षेत्र में भारतीय वायुसेना ने एयरस्ट्रिप की जगह चिन्हित कर रखी है। आपातकालीन परिस्थितियों में यमुना एक्सप्रेसवे को वायु सेना एयर स्ट्रीप के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। इसके लिए वायुसेना बाकायदा दो बार अभ्यास भी कर चुकी है। अगर एक्सप्रेसवे के ऊपर से बुलेट ट्रेन का कोरिडोर गुजरा तो यह आपातकालीन एयर स्ट्रीप समाप्त हो जाएगी। ऐसे में हाईस्पीड ट्रेन कॉरपोरेशन को वायु सेना से भी अनापत्ति प्रमाणपत्र हासिल करना होगा। इसी तरह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर भी भारतीय वायुसेना ने एयर स्ट्रीप विकसित की है। यह सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण भी है।
इन जगहों पर प्रस्तावित हैं हाईस्पीड रेल के स्टेशन
नोएडा
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट
मथुरा
आगरा
इटावा
लखनऊ
रायबरेली
प्रयागराज
भदोही
वाराणसी
अयोध्या
प्राइवेट कंपनी की संपत्ति है यमुना एक्सप्रेसवे
यमुना एक्सप्रेस-वे के ऊपर से हाई स्पीड ट्रेन गुजारना इतना आसान नहीं होगा। दरअसल यमुना एक्सप्रेसवे जेपी इंफ्राटेक नाम की प्राइवेट कंपनी का मालिकाना हक है। कंपनी के खिलाफ एनसीएलटी और सुप्रीम कोर्ट में इस वक्त मुकदमा लंबित है। यमुना एक्सप्रेसवे बनाने के लिए कर देने वाले बैंक कंपनी के बोर्ड में शामिल है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए यमुना एक्सप्रेसवे आठ लेन का बनाया जाएगा। जिसके लिए इसकी सेंट्रल वर्ज का ही इस्तेमाल किया जाना है। अगर यमुना एक्सप्रेसवे की सेंट्रल वर्ज के ऊपर से हाईस्पीड मेट्रो का कोरिडोर गुजरेगा, तो भविष्य में इसका विस्तार संभव नहीं हो पाएगा। अभी यमुना एक्सप्रेस वे सिक्स लाइन का है। इसे अगले 50 वर्षों की उपयोगिता को ध्यान में रखकर बनाया गया है।