ग्रेटर नोएडा: देश का पहला मेडिकल डिवाइस पार्क खास ढंग से बनाएगा यमुना प्राधिकरण, सीईओ समेत अफसरों ने इस शहर का किया दौरा

Social Media | विशाखापट्टनम में अधिकारियों के साथ डॉ अरुण वीर सिंह



यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण उत्तर प्रदेश में पहला मेडिकल डिवाइस पार्क और बल्क ड्रग्स पार्क बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके लिए यमुना सिटी में फ्लैटेड फैक्ट्री योजना लॉन्च की जाएगी। एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के चेयरमैन डॉ अरुण वीर सिंह की अगुवाई में अथॉरिटी के अधिकारियों का एक दल विशाखापट्टनम गया हुआ है। दरअसल फ्लैटेड फैक्ट्री योजना में पहले से संचालित हो रही है। अधिकारियों की टीम इसके लाभ-हानि की समीक्षा करेगी और यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र में इसे लागू करने की योजना पर अमल किया जाएगा। 

वहां से लौटने के बाद अथॉरिटी के सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह की अध्यक्षता में बैठक कर इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने करीब 6 महीने पहले मेडिकल डिवाइस पार्क और बल्क ड्रग्स पार्क के लिए यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को नोडल एजेंसी नियुक्त किया था। यमुना प्राधिकरण के विशेष कार्याधिकारी शैलेंद्र भाटिया ने करीब दो महीने पहले हुए बिडिंग प्रक्रिया में भाग लिया था। शैलेंद्र भाटिया का कहना है कि अगले जल्दी ही मेडिकल डिवाइस पार्क और बल्क ड्रग पार्क को लेकर फैसला हो जाएगा। इस परियोजना के लिए सेक्टर-28 में करीब 250 एकड़ जमीन चिह्नित की गई है।

विदेशी कॉन्सेप्ट है
फ्लैटेड फैक्ट्री की परिकल्पना विदेशी है। इसके तहत फ्लैटनुमा बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जाता है। इनमें जूता सिलाई, रेडीमेड गारमेंट, इलेक्ट्रॉनिक-इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट, हैंडीक्राफ्ट, फैशन डिजाइन, आईटी सेक्टर से जुड़े केपीओ, बीपीओ, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, डिजाइनिंग, असेंबलिंग की छोटी फैक्ट्रियां स्थापित होती हैं। इन फ्लैटेड फैक्ट्रियों में अन्य जरुरी संसाधन पहले से ही स्थापित होंगे।

कम पूंजी वालों के लिए है
दरअसल फ्लैटेड फैक्ट्री कॉन्सेप्ट ऐसे उद्यमियों के लिए है, जो कम पूंजी में व्यवसाय करने के इच्छुक हैं। जिनके पास जमीन खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं, वे इन सोसाइटी में किराये पर जगह लेकर कारोबार शुरू कर सकते हैं। फ्लैटेड फैक्ट्री में प्रोजेक्ट की जरुरत के मुताबिक स्थान आवंटित किया जाता है।

हेल्थ सेक्टर को मजबूत करना चाहती है सरकार
कोरोना महामारी में स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने और चीन पर निभर्रता कम करने के लिए कवायद तेज हो गई है। इसको लेकर मेडिकल उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में मेडिकल उपकरणों का निर्माण करने के लिए मेडिटेक पार्क की डीपीआर कलाम  ऑफ हेल्थ टेक्नोलॉजी (केआईएचटी) हैदराबाद बना रहा है। इस मेडिटेक पार्क में करीब 2 हजार करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है। करीब 60 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

80 प्रतिशत मेडिकल उपकरण होते हैं आयात
भारत में अभी 20 प्रतिशत मेडिकल उपकरण बनाए जाते हैं। बाकी 80 प्रतिशत आयात किए जाते हैं। इस निभर्रता को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने यह पहल की है। यहां पर मेडिकल उपकरण बनने से कीमतों में भी कमी आने की उम्मीद है।

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