BIG BREAKING : ग्रेटर नोएडा के द्रोणाचार्य मंदिर में हो रहा था अवैध निर्माण, पुरातत्व विभाग ने दर्ज करवाई एफआईआर, जानिए पूरा मामला

Tricity Today | Dronacharya Temple



Dronacharya Mandir Dankaur : ग्रेटर नोएडा के दनकौर कस्बे में महाभारतकालीन द्रोणाचार्य मंदिर में अवैध निर्माण किया जा रहा था। यह मंदिर भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (Archiological Survey of India) की निगरानी में है। निर्माण करवाने के लिए एएसआई से जरूरी मंजूरी नहीं ली गई। अब एएसआई की ओर से 7 लोगों के खिलाफ पुलिस को शिकायत दी गई है। इससे मंदिर की मैनेजमेंट कमेटी के सदस्यों में गहमागहमी मची हुई है।

दनकौर से मिली जानकारी के मुताबिक पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने मंदिर में चल रहा निर्माण कार्य तत्काल प्रभाव से रुकवा दिया है। मंदिर के आसपास बिना अनुमति प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण करने वाले 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया है। जानकारी मिली है कि 50 से ज्यादा लोगों को नोटिस भेजे जाएंगे। आपको बता दें कि जब गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ.महेश शर्मा केंद्रीय संस्कृति मंत्री थे तो दनकौर कस्बे के प्राचीन तालाब और मंदिर को पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने संरक्षित स्थान घोषित किया था। तब एएसआई के कार्य विभाजन में यह इलाका आगरा मंडल में था लेकिन अब यह मेरठ मंडल में शामिल कर दिया है।

राज्य सरकार ने दिया था पैसा
जेवर के विधायक धीरेन्द्र सिंह ने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए राज्य सरकार से बजट स्वीकृत करवाया था। केंद्र सरकार का पर्यटन विभाग मंदिर परिसर में निर्माण कर रहा है। यह मंदिर महाभारत सर्किट में भी शामिल है। निर्माण की जानकारी पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को मिली। मंगलवार को मेरठ से टीम द्रोणाचार्य मंदिर पहुंची। मंदिर का निरीक्षण किया। एएसआई के नियमों के तहत आसपास के प्रतिबंधित क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों को टीम ने देखा और रुकवा दिया है।

एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी
एएसआई की टीम के सदस्य सोमेंद्र कुमार ने बताया कि अवैध रूप से बिना अनुमति प्रतिबंधित और संरक्षित क्षेत्र में निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है और 50 से अधिक लोगों को नोटिस भेजे जा रहे हैं। इन लोगों ने अवैध रूप से राष्ट्रीय महत्व के ऐतिहासिक स्थल, संरक्षित और प्रतिबंधित क्षेत्र में अवैध रूप से निर्माण किया है। द्रोण मंदिर परिसर में चल रहे निर्माण रुकवा दिया है।

गौशाला समिति का सरोकार नहीं
द्रोण गौशाला समिति के प्रबंधक रजनीकांत अग्रवाल ने बताया कि पुरातत्व विभाग की सूचना के बाद मंदिर में निर्माण कार्य रुकवा दिया गया है। गौशाला समिति का मंदिर में हो रहे जीर्णोद्धार कार्य से कोई लेना-देना नहीं है। सरकारी योजना के तहत निर्माण कार्य चल रहा था।

100 मीटर दायरे में निर्माण पर पाबंदी
पुरातत्व विभाग के उप निरीक्षक सोमेंद्र कुमार ने बताया कि मंदिर और तालाब परिसर की बाउंड्री से 100 मीटर में किसी भी प्रकार का निर्माण प्रतिबंधित है। वहीं, 200 मीटर का क्षेत्र संरक्षित एरिया घोषित है। उन्होंने बताया कि पुरातत्व विभाग अपने स्तर से मंदिर और तालाब का जीर्णोद्धार करेगा। पार्क आदि का निर्माण और अन्य आवश्यक निर्माण की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए टेंडर निकाला जा रहा है।

वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की
पुरातत्व विभाग की टीम के अधिकारियों ने बताया कि अनुमति के बिना कोई भी निर्माण या जीर्णोद्धार कार्य नहीं हो सकता है। आसपास के परिसर में व्यक्तिगत जमीन पर भी लोग बिना अनुमति के निर्माण कार्य नहीं कर सकते हैं। द्रोणाचार्य मंदिर और तालाब परिसर के आसपास बनी दुकानों को भी पुरातत्व विभाग ने अवैध माना है। इस कार्रवाई के बाद दुकानदारों, व्यापारियों, गौशाला समिति और आसपास निर्माण कर रहे लोगों में हड़कंप मच गया है। पुरातत्व विभाग यहां चल रहे सभी निर्माण जांच-पड़ताल कर रहा है। वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाई जा रही है।

झूठे आरोप लगाने लगे नेता
जब पुरातत्व विभाग की टीम मंदिर परिसर में अवैध निर्माण की जांच करने पहुंची तो वहां कुछ लोगों ने एएसआई वालों पर अनर्गल आरोप लगाए। महिलाओं से छेड़छाड़ करने का मनगढ़ंत आरोप लगाया। इसके बाद एएसआई के अधिकारी ने पुलिस कमिश्नरेट के अफसरों को मामले की जानकारी दी। जांच में मामला झूठा पाया गया। इसके बाद वहां नेतागिरी कर रहे लोग पतली गली से खिसक गए।

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