BREAKING: प्राइवेट अस्पतालों में जांच की मांग करने पर धीरेंद्र सिंह के खिलाफ आईएमए में रोष, आम आदमी ने कहा- 'विधायक का कदम बिलकुल सही'

यमुना सिटी | 3 साल पहले |

Tricity Today | जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह



NOIDA : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) नोएडा ने जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह द्वारा निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के लिए लिखे गए पत्र पर कड़ी आपत्ति जताई है। वहीं दूसरी तरफ जिले के सीएमओ दीपक ओहरी ने जेवर विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह के लिखे पत्र पर संज्ञान लेते हुए सभी निजी अस्पतालों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। स्पष्टीकरण के लिए सभी अस्पतालों को 3 दिन का समय दिया गया है। दूसरी ओर आईएमए के खिलाफ जिले के लोगों में रोष है। फेसबुक और ट्वीटर पर लोग आईएमए से सवाल कर रहे हैं कि उनकी संस्था डॉक्टरों की है, कॉर्पोरेट अस्पतालों की नहीं है। विधायक ने सही पत्र लिखा है। प्राइवेट अस्पतालों ने लोगों को बहुत परेशान किया है।

आईएमए ने पत्र लिखते हुए कहा है कि विधायक के आरोप से चिकित्सक हतोत्साहित है और उनका मनोबल गिरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि कोरोना संकटकाल के दौरान निजी अस्पतालों के डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर अपनी जान की परवाह न करते हुए दिन रात मरीजों की जान बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। जनपद गौतमबुद्ध नगर में निजी अस्पताल चिकित्सा व्यवस्था का करीब 80 प्रतिशत भार अपने कंधों पर संभाले हुए हैं और शासन प्रशासन के अलावा मरीजों की हर संभव मदद कर रहे हैं। 

मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष एनके शर्मा ने पत्र में लिखा है कि जिले में गत दिनों ऑक्सीजन की काफी कमी होने पर निजी अस्पतालों ने दिन-रात एक करके ऑक्सीजन की व्यवस्था की और किसी भी मरीज को ऑक्सीजन से वंचित नहीं रहने दिया। एसोसिएशन ने विधायक के इस आरोप को भी निराधार बताया कि प्राइवेट अस्पतालों के पास ऑक्सीजन होते हुए भी उसकी कमी बताई जा रही थी। 

निजी अस्पतालों की निष्ठुरता के खिलाफ धीरेंद्र सिंह ने लिखा था पत्र
आपको बता दें कि गौतमबुद्ध नगर के जेवर विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने 19 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मार्मिक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कोरोना वायरस के इस भयावह कालखंड में निजी अस्पतालों की निष्ठुरता पर प्रहार किया। विधायक ने लिखा है कि यह ऐसा वक्त है, जब निजी अस्पतालों को उनके कर्तव्यों का बोध कराया जाए। इसके लिए सरकार का सहयोग भी जरूरी है। इस पत्र के जरिए उन्होंने निजी अस्पतालों की कार्यशैली और उनके जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाही पर ध्यान आकर्षित किया है। 

दरअसल, कोरोना वायरस महामारी की दूसरे लहर में पूरे देश भर से प्राइवेट हॉस्पिटल्स के मनमाने रवैयों के मामले जगजाहिर हुए हैं। निजी अस्पतालों ने खूब लूट-खसोट की है। यूपी की शान और आर्थिक राजधानी गौतमबुद्ध नगर के कई बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल्स पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। जबकि इन अस्पतालों ने जनकल्याण के कार्यों में बिल्कुल भी रुचि नहीं दिखाई है। कोई ऐसा वाकया सामने नहीं आया है, जिसमें यह पता चला हो कि किसी प्राइवेट हॉस्पिटल ने किसी लाचार और मजदूर वर्ग के मरीज का निशुल्क या कम पैसे में इलाज किया हो।

सभी निजी अस्पतालों का ऑडिट होना चाहिए
अस्पतालों पर सवाल उठाते हुए विधायक ने कहा है, “मुझे नहीं लगता कि मेरे जनपद और प्रदेश में कोई निजी अस्पताल अपने सामाजिक जिम्मेदारी के लक्ष्यों पर अमल कर रहा हो? इसलिए इनका सामाजिक दायित्व निर्धारण किए जाने का और उस पर प्रभावी पर्यवेक्षण करने की जरूरत है। साथ ही मैं यह भी प्रार्थना करता हूं कि जिस तरीके से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के निजी अस्पतालों द्वारा गरीब और लाचार जनता का इस आपदा के समय शोषण किया गया है, उस पर एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाते हुए इन सभी निजी अस्पतालों का ऑडिट होना चाहिए। यह निर्धारण होना चाहिए कि भविष्य में यह अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन लाते हुए समाज के प्रति अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करें और नैतिकता को भी समाज के सम्मुख रखें। प्रदेश व देश में अनेक ऐसे सरकारी अस्पताल हैं, जहां पर्याप्त मात्रा में इमारत बनी हुई है। लेकिन जरूरत है उसमें नर्सिंग व अन्य मेडिकल स्टाफ की।”

 

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