आने वाली 15 जून तक यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway) पर फास्टैग टोल सिस्टम (FASTag system) चालू हो जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि शुरुआत में ग्रेटर नोएडा और आगरा के बीच 165 किमी लंबे हाई-स्पीड कॉरिडोर में तीनों टोल प्लाजा पर प्रत्येक तरफ दो लेन फास्टैग वाहनों के लिए आरक्षित होंगी। शेष लेन पर नकद या डिजिटल भुगतान से टोल लिया जाएगा।
आपको बता दें कि फास्टैग टोल सिस्टम एक वाहन से जुड़ा एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) स्टिकर है। टोल बूथ के पास आरएफआईडी रीडर राशि काटता और वाहनों को गुजरने देता है। मैन्युअल रूप से कर एकत्र करने में लगने वाले समय को कम करता है और यातायात की आवाजाही को आसान बनाता है। कोविड से पहले एक अनुमान के अनुसार 40,000 से अधिक वाहन प्रतिदिन छह लेन की इस सड़क का उपयोग करते हैं। यहां अभी यह इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली नहीं है। जिसकी वजह से अक्सर टोल प्लाजा पर वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं।
अधिकारियों के अनुसार एक्सप्रेसवे की सब्सिडरी ने तीन टोल प्लाजा पर फास्टैग प्रणाली को लागू करने के लिए यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। कम्पनी जेपी इंफ्राटेक यमुना एक्सप्रेसवे पर इलेक्ट्रॉनिक टोल सिस्टम स्थापित करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा समर्थित कंपनी भारतीय राजमार्ग प्रबंधन लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करेगी।
यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवेलपमेंट अथॉरिटी के सीईओ अरुणवीर सिंह ने कहा, “सिस्टम को चालू होने में अधिकतम एक पखवाड़े का समय नहीं लगना चाहिए। हमारी ओर से सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। रियायतग्राही एक ऐसे सिस्टम इंटीग्रेटर की तलाश में है, जो हाइब्रिड इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम स्थापित कर सके और 15 जून तक फास्टैग वाले कार मालिक बिना किसी रुकावट के गुजर सकें।"
जेपी इंफ्राटेक के अफसरों ने कहा कि उनका प्लाजा एनएचएआई के दायरे में नहीं आता है और निजी तौर पर विकसित किया गया था। इसलिए राजस्व का संग्रह सुनिश्चित करना भी एक चिंता का विषय था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इकट्ठा किया गया पैसा कंपनी के खाते में आएगा और इसके लिए एनएचएआई द्वारा गठित कंपनी के साथ इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना होगा।"