Jewar Airport News : प्रबंधन शिक्षा के क्षेत्र में कई दशक लम्बा अनुभव रखने वाले बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर डॉ.हरिवंश चतुर्वेदी करीब 20 वर्षों से नोएडा और ग्रेटर नोएडा के विकास को बेहद नजदीकी से देख रहे हैं। बिमटेक ने गौतमबुद्ध नगर की विकास यात्रा के कई पड़ाव में बड़ा सहयोग भी दिया है। मसलन, सांसद आदर्श ग्राम नीमका शाहजहांपुर की कायापलट करने में इस संस्थान का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जेवर एयरपोर्ट से जुड़े कई मसलों पर इस संस्था ने अध्ययन किए हैं। अब जब जेवर एयरपोर्ट की नींव रखी जा रही है तो आने वाले वक्त में क्या बदलाव होंगे? इस पर पंकज पाराशर ने डॉक्टर हरिवंश चतुर्वेदी से खास बातचीत की। पेश हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश...
- आपने पिछले तीन दशकों के दौरान गौतमबुद्ध नगर की विकास यात्रा को बेहद नजदीक से देखा है। अब जेवर में बन रहा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा कैसे बदलाव लेकर आएगा?
जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को लेकर आर्थिक बदलावों पर विस्तृत चर्चा हो चुकी है। निश्चित रूप से रोजगार के बड़े अवसर आएंगे। मैं इससे आने वाले सामाजिक बदलावों पर बात करना चाहूंगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश कृषि प्रधान क्षेत्र है। पिछले कुछ दशकों में कृषि उत्पादन गिरा है। हमारे किसान समृद्धि की वजह है गरीबी की तरफ बढ़ते गए। अब हमारे किसानों और भूमिहीन मजदूरों को नए अवसर मिलेंगे। दूसरा सामाजिक बदलाव आर्थिक असमानता को दूर करने वाला होगा। एयरपोर्ट की बदौलत हाईटेक के साथ लो-टेक जॉब बड़ी संख्या में मिलेंगी। उत्तर प्रदेश और पूरे उत्तर भारत में महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ गई हैं। इस बात की चिंता करनी चाहिए कि इन्हें जेवर एयरपोर्ट से होने वाले विकास में हिस्सेदारी कैसे मिलेगी? अगर महिलाओं को ज्यादा काम मिलेगा तो हमारे परिवार और मजबूत होंगे। सामाजिक ताना-बाना बेहतर होगा। मैं संक्षेप में कहना चाहूंगा कि उत्तर प्रदेश करवट ले रहा है। यूपी में गौतमबुद्ध नगर सबसे आगे रहा है। अब जब गौतमबुद्ध नगर और तेजी से आगे बढ़ेगा तो इसका फायदा पूरे राज्य को मिलेगा। मैं यह बात भी मानता हूं कि इस प्रोजेक्ट में पारदर्शिता बरती गई। ठेका हासिल करने के लिए देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां दौड़ में थीं। सरकार ने एक छोटे से देश की कंपनी को यह जिम्मेदारी दी। जिसे एयरपोर्ट बनाने में महारत हासिल है। प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण शांतिपूर्ण ढंग से हुआ। जिसमें जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह की भूमिका बेहद सकारात्मक रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिवर्तनकारी लहर पैदा की है। जिसका इस राज्य को बड़ा फायदा मिलने वाला है।
- उत्तर प्रदेश भारत की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। पहले पायदान पर पहुंचने के लिए महाराष्ट्र से स्पर्धा है। हम लैंडलॉक्ड स्टेट थे। उनके पास बड़ा बंदरगाह और हवाईअड्डा पहले से है। अब जेवर एयरपोर्ट इस स्पर्धा में कितना सहयोग देगा?
आपने जिस दिशा की ओर संकेत किया है, मैं उसकी व्याख्या करना चाहूंगा। अंतर्राष्ट्रीय पूंजी चलायमान होती है। वह ऐसे देशों में निवेश होती है, जहां पर लोग पेशेवर हों, अच्छी कानून-व्यवस्था हो, अशांति ना हो, पॉलीटिकल स्टेबिलिटी हो और सामाजिक तानाबाना सौहार्दपूर्ण होना चाहिए। जब मैं उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की तुलना करता हूं तो पाता हूं कि उन लोगों ने आज से करीब 150 साल पहले सामाजिक परिवर्तन की लहर पैदा कर ली थी। मैं सावित्रीबाई फुले जी का नाम लेना चाहूंगा। उन्होंने 1848 में लड़कियों की शिक्षा पर गंभीरता से विचार किया था। विकास के लिए सामाजिक और लैंगिक समरसता बहुत जरूरी है। उत्तर प्रदेश के समाज में महिलाओं को और अधिक सम्मानजनक स्थान देना होगा। हमें गांव की लड़कियों को पढ़ने जाने के लिए साइकिले देनी होंगी। फ्री शिक्षा और सुरक्षा देनी होगी। मेरा तात्पर्य यह है कि आप समृद्धि पाएं लेकिन संस्कृति ना पाएं तो समृद्धि ज्यादा दिनों तक टिकने वाली नहीं होती है। महाराष्ट्र में संत नामदेव और तुकाजी ने ऐसे बदलावों की प्रेरणा दी थी। महाराष्ट्र औद्योगिकीकरण में इसलिए आगे बढ़ गया क्योंकि वहां मुंबई का पोर्ट तो था ही वहां कृषक भी प्रगतिशील थे। वहां कैश क्रॉप्स और हॉर्टिकल्चर बेहद समृद्ध है। नासिक में अंगूर की खेती होती है। नागपुर में संतरा पैदा होता है और वहां का चीनी उद्योग देश में सबसे बड़ा है। वहां के किसान में उद्यमशीलता है। उत्तर प्रदेश के किसानों को उद्यमी बनाना पड़ेगा। नारी शिक्षा पर जोर देना पड़ेगा। स्वास्थ्य सेवाएं गांवों में बढ़ानी पड़ेंगी। जब यह होगा तो जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से मिलने वाले लाभ समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचेंगे। अगर हम जात-पात या धर्म के झगड़े और स्त्री-पुरुष की गैर बराबरी में उलझे रहे तो इस आधुनिक प्रौद्योगिकी का पूरा लाभ नहीं उठा पाएंगे।
- जब औद्योगिकीकरण होता है तो टिकाऊ विकास और पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा उठना स्वाभाविक है। किस तरह यह संतुलन बनाया जाए?
हमारे पुरखों ने बताया है कि पर्यावरण, प्रकृति, नदियों, वृक्षों और तालाबों का सम्मान करो। इनकी हिफाजत करो और इनके साथ किसी भी तरह की गंदगी मत करो। यह सारी बातें हमारी प्राचीन संस्कृति में रही हैं। आज चेतना का अभाव है। आज दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग और जीरो कार्बन इकोनॉमी सबसे बड़ा मुद्दा बन गए हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल दुनिया का भविष्य है इसके लिए टेस्ला जैसी कंपनी काम कर रही हैं। फॉसिल फ्यूल से चलने वाले सारे काम बंद होंगे और उनकी जगह वैकल्पिक ऊर्जा का उपयोग बढ़ेगा। हमें कोयले से बनने वाली बिजली पर निर्भरता खत्म करनी होगी। सौर, वायु और जल ऊर्जा पर धीरे-धीरे निर्भरता बढ़ानी पड़ेगी। जेवर एयरपोर्ट को लेकर भी हमें दूरदर्शी बनना पड़ेगा। दरअसल, हवाई जहाज के कारण भी प्रदूषण पैदा होता है। यह पेट्रोल और गैस से चलते हैं। कार्बन छोड़ते हैं। देखिए दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय देश में उच्चतम है। वहां पोलूशन से बुरा हाल है। लोग दिल्ली छोड़ना चाहते हैं। अब हमारे तीनों बड़ी इंडस्ट्रियल अथॉरिटी (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना अथॉरिटी) को ग्रीन और क्लीन टेक्नोलॉजी की जरूरत है। कम से कम 15-20 वर्षों का एक मास्टर प्लान तैयार करके सोचना चाहिए कि कार्बन एमिशन को खत्म कैसे किया जा सकता है। ज्यादा पेड़ लगाएं। फोशल फ्यूल का कम इस्तेमाल करें। वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर दें। कम से कम गौतमबुद्ध नगर को जीरो कार्बन एमिशन डिस्ट्रिक्ट बनाया जाए।
- नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसान यहां की विकास यात्रा में खुद को उपेक्षित मानते हैं। यह भावना यमुना क्षेत्र के किसानों में ना आए, वह खुद को इस विकास का हिस्सेदार मानें, इसके लिए क्या किया जाए?
मैं कहना चाहूंगा कि डेवलपमेंट एजेंसीज, बुद्धिजीवी वर्ग और सरकार को यह सोच लेना चाहिए कि आर्थिक समृद्धि से संस्कृति पैदा नहीं होती है। आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ सांस्कृतिक और शैक्षिक परिवेश बनाने के प्रयास लगातार जारी रहने चाहिएं। जिन लोगों ने जेवर एयरपोर्ट के लिए अपनी जमीन दी है, उनके बच्चों को ऐसी एंटरप्रेन्योरशिप और स्किल्स सिखाने होंगे, जिनकी जरूरत वहां लगने वाली कंपनियों को होगी। वहां बनने वाले लॉजिस्टिक्स पार्क, टॉय पार्क, हैंडीक्राफ्ट्स उद्योग, फ़िल्म सिटी और तमाम दूसरी कंपनियों में लोगों की जरूरत होगी। हमें अपने युवाओं को इन सारे उद्योगों की जरूरतों के लायक बनाना होगा। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कम्युनिकेशन स्किल है। हमारे गांव के युवक-युवतियों की यह सबसे बड़ी परेशानी है उनके सॉफ्ट स्किल पर ध्यान नहीं दिया जाता है जिसकी वजह से वह अपना ज्ञान सामने वाले के सामने नहीं रख पाते हैं। हमें इन युवाओं को ऐसे शॉर्ट कोर्सेज ऑनलाइन और ऑफलाइन देने पड़ेंगे। एक कार्ययोजना बनानी होगी। इसमें प्राधिकरण और सरकार को निवेश करना होगा। इन गांव में प्रत्येक 5,000 की आबादी पर एक ट्रेनिंग सेंटर और कम्युनिटी बनाना होगा। इनमें लाइब्रेरी और इंटरनेट रूम होना चाहिए। इन केंद्रों में ऐसे स्किल डेवलपमेंट कोर्स शुरू किए जाएं जिनकी जरूरत वहां आसपास लगने वाले उद्योगों में रहेगी। यह ध्यान रखना होगा कि प्रत्येक 3 वर्षों में टेक्नोलॉजी बदल जाएगी। लिहाजा, लोगों को नई-नई तकनीकों का निरंतर प्रशिक्षण देना होगा। कुल मिलाकर मेरा कहना है कि अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक स्किल रेवोल्यूशन की जरूरत है। यह काम एयरपोर्ट बनने से पहले ही शुरू होना चाहिए।
- आप एजुकेशन सेक्टर से ताल्लुक रखते हैं। गौतमबुद्ध नगर में 10 विश्वविद्यालय और 200 से ज्यादा शिक्षण संस्थान हैं। यह अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा हमारे एजुकेशन सेक्टर के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा?
हमारे एजुकेशन हब में मंदी का शिकार होकर बड़ी संख्या में शिक्षण संस्थान धीरे-धीरे बंद हो रहे हैं। कुछ यूनिवर्सिटी और कॉलेज ही आगे बढ़ रहे हैं। मैंने सारे लोगों को एक विचार दिया था। "गौतमबुद्ध- ए नगर बिग डेस्टिनेशन और एजुकेशन" के रूप में एक प्रयास होना चाहिए। इस तरह का एक कैंपेन यहां के शिक्षण संस्थान सरकार के सहयोग से मिलकर चलाएं। आज पूरे हिंदुस्तान से विद्यार्थी बेंगलूर और पुणे क्यों जानना चाहते हैं? क्योंकि यह शहर एजुकेशन और टेक्नोलॉजी के ब्रांड बन गए हैं। हमारे यहां तो 100 से ज्यादा इंस्टीट्यूशंस है लेकिन कलेक्टिव विजन नहीं है। सब अपने-अपने संस्थानों को चला रहे हैं और खुश हैं। अकेले चलो और किसी को अपना राज साझा मत करो। अब जरूरत आ गई है कि उत्तर प्रदेश सरकार गौतमबुद्ध नगर को एक एजुकेशनल हब बनाने की कोशिश करें। यहां केवल देश ही नहीं विदेश के भी विद्यार्थी आएंगे। दरअसल, बेंगलुरु और पुणे के पीछे एयरपोर्ट हैं। वहां कानून-व्यवस्था अच्छी है। वहां इंडस्ट्री हैं, जहां छात्रों को आसानी से प्लेसमेंट मिल जाता है। अब यहां एयरपोर्ट होगा। यहां इंडस्ट्री है। जॉब अपॉर्चुनिटी खूब मिलेंगी। मुझे लगता है कि अब गौतमबुद्ध नगर में इंडस्ट्री के बाद सबसे ज्यादा रेवेन्यू जेनरेट करने वाला सेक्टर हायर और स्कूल एजुकेशन बन सकती है। इसके लिए दो प्रयास होने चाहिएं। एक तो सरकार, जिला प्रशासन और तीनों विकास प्राधिकरण यहां के कॉलेज-यूनिवर्सिटी कोई स्किन टैनिंग पर लगाएं। सभी गांव के युद्ध को स्किल ट्रेनिंग करने में मदद करें। इन शिक्षण संस्थानों को सीएसआर करना चाहिए। शिमला, देहरादून और मसूरी की तरह स्कूल एजुकेशन के लिए हॉस्टल बनाए जाएं। शहर के इंजीनियरिंग कॉलेज मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी को मिलकर काम करना चाहिए। ग्रेटर नोएडा में एजुकेशन एक्सपो का आयोजन किया जाए। यूपी सरकार देशभर के लोगों का आह्वान करे, "क्वालिटी एजुकेशन लेने के लिए गौतमबुद्ध नगर आइये।" जिसमें देशभर से छात्र-छात्राएं आएं। वह अपने मनपसंद के शिक्षण संस्थान में दाखिला लें। एयरपोर्ट के चारों ओर ग्रीन और क्लीन इंडस्ट्री के साथ एजुकेशन हब एक अनोखा डेस्टिनेशन बन सकता है।