यमुना प्राधिकरण के लिए यह साल बेहतरी का रहा है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बाद अब यमुना प्राधिकरण को भी आयकर में बड़ी राहत मिल गई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने यमुना प्राधिकरण को गैर वाणिज्यिक संस्था मान लिया है। बोर्ड ने प्राधिकरण को आयकर और बैंक में जमा रकम पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस के छूट की मंजूरी दे दी है। इस फैसले के बाद प्राधिकरण को बैंकों में जमा अपनी रकम पर मिलने वाले ब्याज पर इनकम टैक्स विभाग को टीडीएस नहीं देना पड़ेगा। आयकर विभाग ने यमुना प्राधिकरण को 200 करोड़ रुपये का आयकर जमा कराने का नोटिस दिया था।
बताते चलें कि यमुना प्राधिकरण ने आयकर अधिनियम-1961 का हवाला दिया था। प्राधिकरण ने इस अधिनियम के तहत बैंकों में जमा रकम पर टैक्स से छूट के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और केंद्र सरकार को छह हफ्ते के अंदर फैसला लेने के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार, यमुना प्राधिकरण को वाणिज्यिक संस्थान मानती है, तो ही प्राधिकरण से 200 करोड़ रुपये के आयकर की मांग कर सकती है। पर अगर केंद्र सरकार, यमुना प्राधिकरण को गैर वाणिज्यिक संस्था मान ले, तो यह रकम शहर के विकास पर खर्च किया जा सकेगा।
केंद्र सरकार और आयकर विभाग ने इस पर फैसला लेते हुए यमुना प्राधिकरण को गैर वाणिज्यिक संस्था माना है। इसलिए अब प्राधिकरण को दो अरब रुपये का आयकर नहीं चुकाना होगा। इस पैसे का उपयोग प्राधिकरण विकास के दूसरे कार्यों में करेगा। इस तरह छह साल पुराने मामले में यमुना प्राधिकरण को राहत मिल गई है। इस फैसले के बारे में प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस फैसले से प्राधिकरण को बहुत लाभ होगा। हम आयकर से बची धनराशि को शहर के दूसरे विकास कार्यों में खर्च करेंगे। इस फैसले से प्राधिकरण आर्थिक तौर पर और मजबूत होगा।
छह साल से चल रहा था मामला : यमुना प्राधिकरण ने 2014 में आयकर में छूट देने की की थी। आयकर का नोटिस मिलने के बाद प्राधिकरण ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के समक्ष अपनी दलील पेश की थी। प्राधिकरण ने कहा था कि वह गैर वाणिज्यिक संस्था है। इसलिए कानून के तहत आयकर और दूसरे करों में स्थानीय निकायों की तर्ज पर छूट मिलनी चाहिए। प्राधिकरण ने अपनी दलील में वर्ष 2018 के उच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला दिया था। इस फैसले में हाईकोर्ट ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को गैर वाणिज्यिक संस्थान माना था।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण भी लड़ चुका है केस : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण भी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और केंद्र सरकार से 10 साल तक मुकदमा लड़ चुका है। इसके बाद प्राधिकरण को आयकर में छूट हासिल हुई थी। इससे प्राधिकरण को तकरीबन 250 करोड़ रुपये का लाभ मिला था। इसी आधार पर यमुना प्राधिकरण को भी छूट दी गई है।