Tricity Today | 6000 करोड़ रुपये से विकसित होगी फिल्म सिटी
कोरोना का कहर कम होने के साथ ही फिल्म सिटी के प्रोजेक्ट को लेकर हलचल तेज हो गई है। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में फिल्म सिटी को विकसित करने के लिए तीन मॉडलों पर विचार किया जा रहा है। सेक्टर-21 में 1000 एकड़ में विकसित होने वाली फ़िल्म सिटी की डीपीआर 7 जून को मिल जाएगी। सेक्टर में जितनी जमीन का इस्तेमाल मास्टर प्लान में दर्ज है, उसी के अनुरूप वहां पर काम किया जाएगा। आगामी 6 महीनों में फिल्म सिटी को विकसित करने के लिए कंपनी का चयन करने का लक्ष्य रखा गया है।
यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के सेक्टर 21 में 1000 एकड़ में फिल्म सिटी विकसित की जानी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ग्रीन प्रोजेक्ट में से यह एक है। फिल्म सिटी की डीपीआर बनाने के लिए विदेशी कंपनी को जिम्मा दिया गया है। फिल्म सिटी की प्रारंभिक रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी जा चुकी है। कंपनी अब 7 जून को फाइनल डीपीआर यमुना प्राधिकरण को सौंप देगी। इसके बाद यह रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। ताकि इस पर आगे की कार्रवाई की जा सके।
पीपीपी मॉडल पर विकसित होगी
फिल्म सिटी को पीपीपी मॉडल पर विकसित किया जाना है। इसके लिए तीन मॉडल पर विचार किया जा रहा है। इन तीनों में से एक मॉडल को फिल्म सिटी के विकास में अपनाया जाएगा। फिल्म सिटी प्रोजेक्ट को पूरा करने में 6000 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च आएगा। प्रारंभिक रिपोर्ट बताती है कि इस योजना से पैसा वापस निकालने में 40 से 60 वर्ष तक का समय लग सकता है। इसलिए विकासकर्ता कंपनी को 40 से 60 साल के बीच का समय दिया जाएगा। यानी विकासकर्ता कंपनी परियोजना पर पूरा पैसा खर्च करेगी। इसी से अपनी लागत निकालेगी। इस लागत के साथ ही यमुना प्राधिकरण को भी पैसा मिलेगा। इसके विकास और लाइसेंस फीस लेने के लिए तीन मॉडल तैयार किए गए हैं।
पहला मॉडल
इस मॉडल के मुताबिक विकासकर्ता कंपनी एक निश्चित किराया प्राधिकरण को हर साल दे। लेकिन शुरुआती 4 साल में कंपनी कोई पैसा प्राधिकरण को नहीं देगी। पांचवें साल से प्राधिकरण को वार्षिक प्रीमियम मिलेगा।
दूसरा मॉडल
इस मॉडल के अनुसार जो भी आमदनी इस परियोजना से होगी, उसमें कंपनी और प्राधिकरण की हिस्सेदारी तय हो जाएगी। कंपनी प्राधिकरण को हिस्सेदारी देगी। यह हिस्सेदारी कितनी होगी यह निविदा में बताया जाएगा।
तीसरा मॉडल
डीपीआर बनाने वाली कंपनी ने तीसरे मॉडल का नाम हाइब्रिड मॉडल दिया है। इसमें वार्षिक किराया और आमदनी में हिस्सेदारी दोनों को रखा गया है। लेकिन इसमें वार्षिक प्रीमियम कंपनी 10 साल के बाद देगी। जबकि लाभ में हिस्सेदारी जल्दी मिलनी शुरू हो जाएगी। इस मॉडल में प्राधिकरण को किराया और लाभांश दोनों में हिस्सा मिलेगा।
नहीं बदलना होगा प्लान
यमुना प्राधिकरण के मास्टर प्लान में सेक्टर 21 का भू उपयोग दर्ज है। इस परियोजना को मूर्त रूप देते समय इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि जो क्षेत्र जिस भू उपयोग के लिए तय है, उसका उसी में इस्तेमाल किया जाएगा। ताकि इसका भू उपयोग बदलने की जरूरत ना पड़े। योजना की डीपीआर बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया है।
कुछ इस तरह होगी फिल्म सिटी -
व्यवसायिक-40 एकड़
एम्यूजमेंट पार्क-120 एकड़
होटल रेस्टोरेंट- 21 एकड़
फिल्म फैसिलिटी-740 एकड़
रिटेल-34 एकड़
आवासीय-40 एकड़
फिल्म इंस्टीट्यूट-40 एकड़
किस पर कितना पैसा खर्च किया जाएगा (करोड़ रुपए में) -
स्टूडियो - 1513
रिटेल मॉल - 989
फिल्म इंस्टीट्यूट - 914
इंफ्रास्ट्रक्चर विकास - 842
होटल रेस्टोरेंट - 532
बैकलॉट सेट - 393
एम्यूजमेंट पार्क - 378
आवासीय मकान - 307
ऑफिस - 227
बैकलॉट वर्कशॉप - 214
बैकलॉट ओपन एरिया - 149
यमुना प्राधिकरण के सेक्टर 21 में विकसित होने वाली फिल्म सिटी की डीपीआर 7 जून को मिल जाएगी। यह डीपीआर शासन को भेजी जाएगी ताकि आगामी कार्रवाई की जा सके। -डॉ. अरुण वीर सिंह, सीईओ यमुना प्राधिकरण