Ghaziabad News : गाजियाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार अतुल गर्ग 3 लाख वोटों से चुनाव जीत गए हैं। इस चुनाव में कांग्रेस की डॉली शर्मा दूसरे नंबर पर रहीं। भाजपा ने इस सीट से लगातार चौथी बार जीत दर्ज की है। इससे पहले मंगलवार सुबह मतगणना शुरू होते ही अतुल गर्ग ने बढ़त बना ली थी, जो जीत तक जारी रही।
वीके सिंह की जगह अतुल पर किया था भरोसा
गाजियाबाद लोकसभा सीट पर कुल 14 उम्मीदवार मैदान में थे। बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद वीके सिंह का टिकट काटकर अतुल गर्ग पर भरोसा जताया था। कांग्रेस से डॉली शर्मा और बहुजन समाज पार्टी ने नंदकिशोर पुंडीर पर दांव लगाया था। लेकिन मंगलवार सुबह से चल रही मतगणना में अतुल गर्ग ने शुरुआत से ही बढ़त बनाए रखी और 3 लाख वोटों के अच्छे अंतर से जीत हासिल की। जीत के बाद मतगणना स्थल पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने जमकर डांस किया। लगातार भाजपा जिंदाबाद, मोदी-योगी जिंदाबाद के नारे लगते रहे। अतुल गर्ग ने जीत के बाद गाजियाबाद की जनता का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि यह गाजियाबाद के लोगों की जीत है।
2009 से सीट पर है भाजपा का कब्जा
बता दें कि 2009 के आम चुनाव से लेकर 2019 के आम चुनाव तक ये सीट बीजेपी के पास रही है। 2009 में इस लोकसभा सीट पर बीजेपी के राजनाथ ने जीत दर्ज की थी। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के जनरल वीके सिंह ने जीत दर्ज की थी। 2019 में बीजेपी के जनरल वीके सिंह को कुल 944503 वोट मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के सुरेश बंसल को 443003 वोट मिले थे। इस तरह से उनके बीच जीत-हार के वोटों का अंतर 501500 रहा था।
जानिए कौन हैं अतुल गर्ग
अतुल गर्ग संघ परिवार की पसंद कहे जाते हैं। वह 2017 और 2022 में गाजियाबाद सीट से विधान सभा चुनाव जीत चुके हैं। 2017 में उन्हें स्वास्थ्य राज्यमंत्री बनाया गया था। 2022 में उनकी जीत पहली से बड़ी थी लेकिन मंत्री नहीं बनाया गया। कविनगर निवासी 62 वर्षीय अतुल गर्ग के कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थान हैं। अतुल गर्ग का जन्म 26 अगस्त 1957 को गाजियाबाद में हुआ। जो उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री हैं। वे उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य हैं, जो गाजियाबाद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। गर्ग भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। उन्होंने 2012 में उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों के लिए प्रचार किया था। लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाए थे। लेकिन 2017 के चुनाव के बाद वे विधानसभा में शामिल हो गए। वे खाद्य और नागरिक आपूर्ति, खाद्य सुरक्षा, किराया नियंत्रण और उपभोक्ता संरक्षण के लिए जिम्मेदार राज्य मंत्री हैं।