Tricity Today | राहुल खट्टा और नीरज पेप्सू को लेकर टिक टॉक पर बवाल
इंस्टाग्राम पर दिल्ली-नोएडा का बॉयज लॉकर रूम अभी ठंडा भी नहीं पड़ा है कि अब टिक टॉक पर नया बवाल पैदा हो गया है। मनोरंजन के लिए टिक टॉक पर वीडियो बनाते-बनाते युवकों ने जाति-बिरादरी और एक-दूसरे पर लांछन लगाने का जरिया बना लिया है। पूरे दिल्ली-एनसीआर व वेस्ट यूपी में गुर्जर और ठाकुर बिरादरी के सैकड़ों युवक-युवतियां पिछले 10 दिनों से टिक टॉक पर एक-दूसरे की जातियों के खिलाफ वीडियो बनाकर पोस्ट कर रहे हैं। हालात जातीय संघर्ष के बनते जा रहे हैं। मामला पंचायतों और मारपीट तक पहुंच चुका है। इस पूरे मामले से अभी पुलिस और प्रशासन अनजान हैं। दूसरी ओर टिक टॉक इस पर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है।
ट्राईसिटी टुडे ने इस पूरे मामले की छानबीन की है। मामला कुछ इस तरह शुरू हुआ। बागपत के खट्टा गांव के निवासी युवक पंकज खट्टा ने करीब 10 दिन पहले टिक टॉक पर एक वीडियो बनाया। जिसकी शुरुआत में "है कोई टक्कर पर" डायलॉग लगा था। खट्टा गांव ठाकुर बाहुल्य है। इस वीडियो के खिलाफ गुर्जर बिरादरी के कई युवकों ने जवाबी वीडियो बनाकर टिक टॉक पर पोस्ट किए। दरअसल, "है कोई टक्कर पर" डायलाग नीरज पेप्सू अपने प्रोमोशन वीडियोज में बोला करता था। नीरज पेप्सू दिल्ली के फतेहपुर गांव का निवासी था। नीरज बॉडी बिल्डर था और गुर्जर समाज के युवकों में खासा लोकप्रिय था। करीब दो महीने पहले उसने आत्महत्या कर ली थी।
गुर्जर युवकों ने राहुल खट्टा पर वीडियो बनाकर पोस्ट करनी शुरू कर दीं
पंकज खट्टा के इस वीडियो को गुर्जर समाज के युवकों ने नीरज पेप्सू पर भद्दा कमेंट मान लिया। इसके बाद उन्होंने राहुल खट्टा को आधार बनाकर टिक टॉक पर वीडियो पोस्ट करनी शुरू कर दीं। राहुल खट्टा एक इनामी कुख्यात अपराधी था। राहुल खट्टा ने पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। जिसके बाद बागपत पुलिस ने उसका जून 2015 में एनकाउंटर कर दिया था। इस एनकाउंटर के बाद खट्टा गांव के लोगों ने खासा बवाल किया था। गुर्जर समाज के युवकों ने राहुल खट्टा को निशाना बनाया और धड़ाधड़ वीडियो पोस्ट करनी शुरू कर दीं।
पंकज खट्टा ने स्पष्टीकरण दिया- नीरज पेप्सू पर नहीं बनाया था वीडियो
जब टिक टॉक पर मामला तूल पकड़ गया तो पंकज खट्टा ने अपने वीडियो पर एक स्पष्टीकरण भी दिया। पंकज खट्टा को गुर्जर समाज के किसी बड़े व्यक्ति ने फोन किया था। जिसमें खट्टा ने कहा कि उसने नीरज पेप्सू को लेकर वीडियो नहीं बनाई थी। उसने तो ऐसे ही सामान्य तौर पर एक डायलॉग को आधार बनाकर वीडियो पोस्ट किया था। पूरे वीडियो में कहीं भी नीरज पेप्सू या गुर्जर बिरादरी का जिक्र नहीं है। इसे बिना वजह गुर्जर बिरादरी के युवकों ने नीरज पेप्सू के खिलाफ मानकर ठाकुर बिरादरी पर भद्दे कमेंट किए हैं। गालियां दी हैं। मेरा नीरज पेप्सू या गुर्जर समाज की भावनाओं को आहत करने का कोई उद्देश्य नहीं था।
लेकिन इससे बात नहीं बनी और मामला बेकाबू हो गया
पंकज खट्टा का यह बयान आने के बाद भी बात नहीं बनी। मामला और तेजी से आगे बढ़ता चला गया। इसके बाद गुर्जर और ठाकुर बिरादरी के सैकड़ों युवा टिक टॉक पर एक-दूसरे के खिलाफ वीडियो बनाकर पोस्ट करने लगे। यह सिलसिला लगातार चल रहा है। दोनों बिरादरी के युवक एक-दूसरे के नेताओं, अपराधियों, अफसरों, उद्योगपतियों और न जाने किस-किस को आधार बनाकर वीडियो टिक टॉक पर पोस्ट कर रहे हैं। कुछ युवकों का मकसद अपने समाज को महिमामंडित करना है तो कुछ युवक दूसरे के समाज पर लांछन और छींटाकशी कर रहे हैं। युवक अपराधियों पर ईनाम की राशि को अपनी जाति के सम्मान से जोड़ रहे हैं।
पंकज खट्टा की तलाश में उसके गांव पहुंच गए थे युवक
पंकज खट्टा के वीडियो से कुपित होकर गुर्जर बिरादरी के कुछ युवक उसे तलाश करने के लिए उसके गांव खट्टा प्रहलादपुर पहुंच गए थे। पंकज खट्टा उन्हें गांव में नहीं मिला। यह जानकारी टिक टॉक वीडियो के जरिए उन युवकों ने ही पोस्ट की है। युवकों ने कहा है कि हम लोग तुझे सुधारने के लिए तेरे गांव आए थे लेकिन तू वहां नहीं मिला। कोई बात नहीं लॉकडाउन के बाद इस पूरे मामले का हिसाब किया जाएगा। दूसरी ओर युवक गांवों में पंचायत कर रहे हैं। पंचायतों के वीडियो भी टिक टॉक पर पोस्ट किए जा रहे हैं। राहुल खट्टा पर बनाई गई रागिनी पोस्ट की जा रही हैं।
बड़ी संख्या में महिलाएं और युवतियां भी मैदान में आ डटीं
अब यह मामला युवकों तक ही सीमित नहीं रह गया है। दोनों बिरादरी की ओर से महिलाएं और युवतियां भी मैदान में आ गई हैं। बड़ी संख्या में युवतियां गाली-गलौज और कमेंट करते हुए वीडियो बनाकर टिक टॉक पर पोस्ट कर रही हैं। युवक और युवतियां एक दूसरे को देख लेने का की धमकी दे रहे हैं। कोई कह रहा है कि लॉकडाउन के बाद इस मुद्दे का फैसला होगा तो कोई लॉकडाउन के दौरान ही भुगत लेने की धमकी दे रहा है। कुल मिलाकर करीब 10 दिनों से टिक टॉक पर यही मुद्दा छाया हुआ है।
दिल्ली-एनसीआर और वेस्ट यूपी के युवक वर्चुअल वॉर में शामिल
टिक टॉक पर चल रही यह वर्चुअल वॉर अब बागपत जिले तक सीमित नहीं रह गई है। मामला तो बागपत से शुरू हुआ लेकिन गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, हापुड़ और दिल्ली-एनसीआर के तमाम हिस्सों तक पहुंच गया है। गौतम बुद्ध नगर से बड़ी संख्या में गुर्जर समाज के युवक-युवतियों ने वीडियो बनाकर टिक टॉक पर पोस्ट किए हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और दादरी क्षेत्र से गुर्जर समाज के युवक एक के बाद एक वीडियो पोस्ट कर रहे हैं। दूसरी ओर साठा चौरासी, हापुड़ और गाजियाबाद से ठाकुर बिरादरी के युवक जवाब में वीडियो पोस्ट कर रहे हैं।
पुलिस और प्रशासन अभी पूरे मामले से अनजान हैं
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिक टॉक पर चल रहे इस पूरे प्रकरण से पुलिस और प्रशासन अनजान हैं। क्योंकि, यह मामला किसी एक जिले तक सीमित नहीं रह गया है तो ट्राइसिटी टुडे ने इस मामले को लेकर मेरठ के अपर पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार से बात की। उन्हें इस पूरे मामले की जानकारी दी। प्रशांत कुमार ने कहा, "मुझे अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। लेकिन यह गंभीर मामला है। मैं इसका संज्ञान लेकर जांच करवा लूंगा। उसके बाद ही आगे की कार्यवाही के बारे में जानकारी दी जा सकती है।"
टिक टॉक इस बारे में कोई जवाब देने के लिए तैयार नहीं
ट्राइसिटी टुडे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिक टॉक से भी इस बारे में बातचीत की है। दरअसल, जिस तरह के वीडियो टिक टॉक पर युवक और युवतियों द्वारा पोस्ट किए जा रहे हैं, यह सोशल मीडिया पॉलिसी का खुला उल्लंघन है। ऐसे में टिक टॉक की जिम्मेदारी बनती है कि वह न केवल इन वीडियो को डिलीट करें बल्कि वीडियो पोस्ट करने वाले युवक और युवतियों के अकाउंट भी बंद किए जाने चाहिए। लेकिन टिक टॉक की ओर से ऐसी कोई कार्यवाही अब तक नहीं की गई है। इस बारे में ट्राईसिटी टुडे की ओर से टिक टॉक को पिछले 3 दिनों से लगातार संपर्क किया गया है। टिक टॉक को मेल भेजे गए हैं लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की ओर से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है।
कार्यवाही नहीं हुई तो बड़े जातीय संघर्ष की आशंका
यह पूरा मामला अभी सोशल मीडिया तक सीमित है। अभी कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन चल रहा है। जिसके कारण आवागमन नहीं किया जा सकता है। स्कूल और कॉलेज पूरी तरह बन्द हैं। अगर समय रहते इस मामले में पुलिस और प्रशासन ने कार्यवाही नहीं की तो आने वाले दिनों में यह मामला जातीय संघर्ष का रूप ले सकता है। दरअसल, इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें सोशल मीडिया के कारण वेस्ट यूपी में बड़े विवाद हुए हैं। गाजियाबाद के बम्हैटा गांव में यादव बिरादरी के युवकों और गौतमबुद्ध नगर के कई गांव में गुर्जर बिरादरी के युवकों के बीच इसी तरह का संघर्ष कई दिनों तक चला था। गाजियाबाद शहर और नेशनल हाइवे-91 पर सैकड़ों युवकों के बीच खूनी संघर्ष हो गया था। लोनी के विधायक नन्दकिशोर गुर्जर और दादरी के विधायक तेजपाल सिंह नागर ने भी बीचबचाव की कोशिश की थी लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला था। जिसमें बाद में पुलिस को कड़ी कार्रवाई करनी पड़ी थी। ठीक इसी तरह करीब 3 साल पहले सहारनपुर में ठाकुर और दलितों के बीच बड़ा जातीय संघर्ष हुआ था। जिसकी वजह सोशल मीडिया ही बना था। वहां तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी तक उस संघर्ष की जद में आ गए थे। बाद में पुलिस को न केवल बड़ी संख्या में लोगों को जेल भेजना पड़ा था बल्कि एनएसए तक की कार्रवाई करनी पड़ी थी।
(ट्राईसिटी टुडे के पास इस प्रकरण से जुड़े तमाम वीडियो उपलब्ध हैं लेकिन संवेदनशीलता और सामाजिक सौहार्द्र की ध्यान में रखते हुए हम उन्हें यहां पब्लिश नहीं कर रहे हैं। ऐसे कंटेंट के प्रसार पर प्रत्येक स्तर पर रोक लगना नितांत आवश्यक है।)