हादसे के बाद जागता प्रशासन और मुआवजा बांटती है सरकार

गौतमबुद्ध नगर में अवैध कॉलोनियों की भरमार : हादसे के बाद जागता प्रशासन और मुआवजा बांटती है सरकार

हादसे के बाद जागता प्रशासन और मुआवजा बांटती है सरकार

Google Image | बहलोलपुर हादसे की फोटो

Noida News : गौतमबुद्ध नगर के हिंडन के बाढ़ क्षेत्र में अवैध निर्माण चल रहा है। बहलोलपुर गांव में सोमवार को हुए हादसे के बाद एक बार फिर अवैध निर्माण का मुद्दा गरमा गया है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेनो वेस्ट में इस तरह कई हादसे भी हो चुके हैं। लेकिन प्राधिकरण और प्रशासन सिर्फ चेतावनी तक ही सीमित है। बताया जाता है कि छिजारसी से मोमनाथल तक बड़ी संख्या में मकान बने हैं। वहीं, बाढ़ क्षेत्र में भी अवैध निर्माण जारी है।

हादसे के बाद खुलती है नींद 
बहलोलपुर हादसे के बाद कुंभकरण की नींद में सोए प्रशासनिक अधिकारी एक बार फिर जाग गए हैं। प्रशासन के अधिकारी भी इस हादसे के बाद मौके पर पहुंचे हैं और छानबीन कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि हादसे में मारे गए युवक के परिजनों को सहायता राशि दी जाएगी। इसके अलावा घायलों का भी बेहतर इलाज किया जाएगा। बताया जाता है कि नोएडा छिजारसी, चोटपुर, ग्रेटर नोएडा वेस्ट के यूसुफपुर चकशाहबेरी, बहलोलपुर, गढ़ी चौखंडी, हैबतपुर, पर्थला खंजरपुर, सोरखा जाहिदाबाद, ककराला, अलीवर्दीपुर, जलपुरा, हल्दोनी, कुलेसरा और हिंडन के तटबंध के पास अवैध निर्माण चल रहा है। इन जगहों पर बहलोलपुर वाला हादसा कभी भी हो सकता है।  

ग्रेटर नोएडा में भी हो सकता है हादसा 
वहीं, ग्रेटर नोएडा में इलाहाबास, कुलेसरा, सुथ्याना, शाहदरा, लखनावली, बेगमपुर, मुबारकपुर, गुर्जरपुर, झट्टा, बदौली बांगर, तुगलकपुर, कोंडली बांगर, सफीपुर, चूहड़पुर और मोमनाथल गांव हैं। जबकि यमुना नदी के किनारे मोतीपुर, तिलवाड़ा, मोमनाथल, गढ़ी समस्तीपुर, बडौली खादर, कोंडली खादर, कामबक्शपुर, दोस्तपुर मंगरौली, छपरौली और असदुल्लापुर (हरियाणा की ओर), औरंगाबाद, गुलावली, दलेलपुर, याकूतपुर में अवैध निर्माण चल रहा है। यहां भी किसी भी समय बहलोलपुर वाला हादसा हो सकता है। 

प्रशासन चेतावनी तक सीमित
प्रशासन अवैध निर्माण पर चेतावनी तक सीमित है। पिछले साल भी बाढ़ ने काफ़ी नुकसान पहुंचाया था हजारों घर जलमग्न हो गए थे। तब भी प्रशासन ने चेतावनी जारी की थी। प्राधिकरण और प्रशासन ने मिलकर अवैध निर्माण रोकने की कार्ययोजना शुरू की थी, लेकिन हालात सामान्य होने के बाद डूब क्षेत्र में फिर से अवैध निर्माण शुरू हो गया है। प्रशासन व प्राधिकरण के अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं।

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