गाजियाबाद में ईडी की बड़ी कार्यवाही : बिल्डर की 15 करोड़ की संपत्तियां जब्त, फॅर्जीवाड़े से लोन मामले में बैंककर्मी भी रडार पर

गाजियाबाद | 2 महीना पहले | Dhiraj Dhillon

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Ghaziabad News : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 11 अप्रैल, 2020 को सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में बड़ी कार्यवाही की है। गाजियाबाद के साईं कंस्ट्रक्शन एंड बिल्डर्स की 14.89 करोड़ की सपित्तियों को ईडी ने जब्त कर लिया है। सीबीआई गाजियाबाद की एंटी करप्शन ब्रांच में यूनियन बैंक की ओर से फ्रॉड करके करोड़ों रुपये का कर्ज लेने का मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया था। साढ़े चार साल पर पहले दर्ज इस मामले के आधार पर ईडी ने मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू की थी।

ये है जब्त की गई संपत्तियों की जानकारी
साईं कंस्ट्रक्शन एवं बिल्डर्स और उसकी सहयोगी कंपनियों पर यूनियन बैंक ने गिरवीं रखी गई संपत्तियों पर 22.29 करोड़ रुपये का ऋण लेकर हड़पने का आरोप लगाया था। मामले में ईडी के द्वारा जब्त की गई संपत्तियों ने साईं कंस्ट्रक्शन के मालिक राजीव त्यागी, कंपनी में पार्टनर पत्नी मीनू त्यागी के अलावा एसकेटी गारमेंट्स लिमिटेड और एसके एंटरप्राईजेज के संचालक राजीव व मोनू त्यागी के बेटे अमर्त्य राज त्यागी और कनिष्क राज त्यागी की संपत्तियां शामिल ‌हैं। जब्त की गई सपंत्तियों में इंडस्ट्रियल व रेजीडेंसियल प्लॉट, दुकान, आफिस और फ्लैट शामिल हैं।

डिफाल्डर घोषित होने पर हुआ फ्रॉड का खुलासा
बिल्डर राजीव त्यागी ने पहले से गिरवीं रखी सपंत्तियों पर 22.29 रुपये का कर्ज लेकर कुछ दिन तक जमा करने के बाद किश्त देनी बंद कर दी। लगातार किश्त न आने पर यूनियन बैंक ने बिल्डर को ‌डिफाल्टर घोषित कर गिरवीं रखी हुई सपंत्तियों पर कब्जा लेने की कार्यवाही शुरू की तो पता चला कि संपत्तियां पहले से ही गिरवीं रखी हुई थीं। यूनियन बैंक ने इस पर सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा- गाजियाबाद में बिल्डर के खिलाफ फ्रॉड का मुकदमा दर्ज कराया था।

बैंककर्मी और गारंटर आए रडार पर
ईडी का मानना है कि इतना बड़ा फ्रॉड बैंककर्मियों से मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता। इसलिए ईडी ने इस एंगल पर भी जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा कर्ज लेते समय बैंक को गारंटी देने वाले भी ईडी के रडार पर हैं। सूत्र बताते हैं कि ईडी ने गारंटर्स के बारे में काफी जानकारी जुटा भी ली है। ईडी को इस बात की जानकारी भी मिली है कि गारंटी दे समय वे यह जानते थे कि जो संपत्तियां कर्ज के लिए गिरवीं रखी जा रही हैं वह पहले से दूसरे बैंक के पास गिरवीं रखी हुई हैं।
 

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