Greater Noida News : कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना (Anil Dujana) करीब 23 वर्षों से आपराधिक दुनिया में सक्रिय था। उसके खिलाफ केवल गौतमबुद्ध नगर में ही 50 मुकदमे दर्ज हैं। अनिल दुजाना के खिलाफ अब तक 65 मुकदमे दर्ज किए जा चुके थे। मेरठ के जानी थाने में उसकी मौत के बाद 66वां मुकदमा दर्ज किया गया है। जिसमें अनिल दुजाना और उसके साथियों पर यूपी एसटीएफ ने मुकदमा दर्ज करवाया है। उस पर कातिलाना हमला करने का आरोप है। अनिल दुजाना गौतमबुद्ध नगर का ऐसा इकलौता अपराधी था, जिस पर 10 बार गैंगस्टर एक्ट लगाया गया।
मेरठ में आज दर्ज हुआ 66वां मुकदमा
अनिल दुजाना पर गौतमबुद्ध नगर के नोएडा थाना सेक्टर-20, बादलपुर, ईकोटेक-3, दादरी, जारचा, बिसरख, सूरजपुर, ईकोटेक-1, कासना और बीटा-2 में 50 मुकदमे दर्ज हैं। गाजियाबाद के मोदीनगर, साहिबाबाद और कवि नगर थानों में 4 मुकदमे दर्ज हैं। मुजफ्फरनगर के छपार थाने में 10 मुकदमे दर्ज हैं। दिल्ली के छतरपुर, नन्द नगरी और शकूरबस्ती थाने में अनिल दुजाना के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए गए। बुलंदशहर के सिकंदराबाद थाने में उसके खिलाफ दो मुकदमे चल रहे हैं। कुल मिलाकर अनिल दुजाना के खिलाफ अब तक 65 मुकदमे दर्ज किए गए। उसके खिलाफ 66वां मुकदमा गुरुवार की रात मेरठ के जानी खुर्द थाने में दर्ज किया गया है।
सभी 65 मुकदमों में जमानत मिल चुकी
अनिल दुजाना पर 10 बार गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई। उस पर सबसे पहले गौतमबुद्ध नगर के कासना थाने में गैंगस्टर अधिनियम का मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद दादरी, बादलपुर और जारचा थानों में गैंगस्टर अधिनियम के मुकदमे दर्ज किए गए। दादरी थाना पुलिस ने अनिल दुजाना पर तीन बार गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की। मुजफ्फरनगर के छपार थाने में भी दो बार अनिल दुजाना पर गैंगेस्टर अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया था। खास बात यह है कि इन सभी 65 मुकदमों में अनिल दुजाना को जमानत मिल चुकी थी। वह फिलहाल जेल से बाहर था।
17 साल जेलों में काटे, 17 लोगों की हत्याएं कीं
अनिल दुजाना के साथ एक और दिलचस्प तथ्य जुड़ा हुआ है। आपराधिक दुनिया के 23 में से करीब 17 साल उसने जिलों में बिताए हैं। वर्ष 2002 से लेकर अब तक अनिल दुजाना ने 17 लोगों की हत्या की हैं। उसके खिलाफ यूपी गुंडा एक्ट के तहत 5 बार और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत एक बार कार्यवाही की गई। अनिल दुजाना पर एनएसए की कार्यवाही मुजफ्फरनगर पुलिस ने की थी। जिसकी फाइल गुम हो गई। उस फाइल को पुलिस कभी ढूंढ नहीं पाई।