Afghanistan vs New Zealand Test : हम यहां फिर कभी नहीं आएंगे...बोलने वाले अफगान क्रिकेट बोर्ड के अधिकारी ग्रेटर नोएडा के कर्ज के अलावा बहुत कुछ भूले!

Tricity Today | Afghanistan vs New Zealand Test



Greater Noida News : सोशल मीडिया पर अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) के एक अधिकारी का बयान खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वह ग्रेटर नोएडा के शहीद पथिक स्पोर्ट्स कांप्लेक्स की अव्यवस्थाओं पर भड़ास निकालते नजर आते हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की बदनामी हो रही है। लेकिन वह व्यवस्थाओं पर नाराजगी जताने वाले उनके कुछ साथी यह भूल गए कि ग्रेटर नोएडा का योगदान अफगानिस्तान के क्रिकेट को संवारने में कितना बड़ा है। 

भारत संकट में खड़ा रहा साथ
जिस वक्त कोई भी देश अफगानिस्तान की क्रिकेट पर भरोसा करना तो दूर उनका मजाक उड़ाता, तब भारत और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने हर तरह से मदद की। अपने खेल मैदान दिए, काबुल और दूसरे बड़े शहरों में क्रिकेट का ढांचा खड़ा करने में मदद की। स्पागिजा घरेलू टी-20 लीग में सहयोग किया ताकि नए टेलेंट निकलकर आ सकें। लीग को भारतीय स्पांसर भेजकर बड़ी आर्थिक सहायता दी।

ग्रेटर नोएडा में सबसे ज्यादा मैच खेले
अफगानिस्तान के तमाम स्टार क्रिकेटर्स का ज्यादातर हिस्सा भारत में ही घरेलू सीरीज खेलने और तैयारी करने में बीतता है। शुरुआत में अफगान टीम ने देहरादून को होम ग्राउंड बनाया उसके बाद ग्रेटर नोएडा को। यहां अफगान टीम ने आयरलैंड के अलावा कई देशों की मेजबानी की। यहां उन्होंने सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं। इस सबकी अफगानिस्तान बोर्ड के अधिकारी और खिलाड़ी हमेशा तारीफ करते दिखते थे। अब स्टार बन चुके खिलाड़ी शहर के बाजारों में आराम से खरीदारी करते देखे जा सकते थे। इस शहर के लोगों ने हमेशा अफगानी क्रिकेटरों पर प्यार लुटाया है। 

अधिकारी ने क्या कहा था?
ACB अधिकारी,जिनका नाम सामने नहीं आया। उन्होंने कहा था, यहां अव्यवस्थाओं का अंबार है। ना ही खाना अच्छा है। हम यहां कभी नहीं आएंगे। हम तो पहले ही यहां नहीं आना चाहते थे। खिलाड़ी भी इंतजाम से खुश नहीं हैं। इसने अफगानिस्तान तक सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया। अफगान टीम के कप्तान हशमतुल्ला शाहिदी ने भी मैदान की व्यवस्थाओं पर नाखुशी जाहिर की थी लेकिन अपनी सीमाओं में रहकर।

मेजबान होने की जिम्मेदारी निभाए ACB
स्पोर्ट्स कांप्लेक्स की व्यवस्थाओं में तमाम दिक्कतें हो सकती हैं लेकिन ऐसे बयान देने से पहले अतीत को जरूर देख लेना चाहिए, अफगानिस्तान बोर्ड को अपनी व्यस्थाएं भी देखनी चाहिए। मेजबान होने के नाते मीडिया और मेहमानों की व्यवस्था करना उनका काम है। दर्शकों की व्यवस्था भी उन्हीं के जिम्मे है पर माना जा सकता है कि इसमें स्थानीय प्रशासन की भूमिका है। तो दोनों संयुक्त रूप से जिम्मेदार हैं।

मीडिया को मूल सुविधाएं भी नहीं
मीडिया बॉक्स हमेशा पेवेलियन बिल्डिंग में दूसरे फ्लोर पर रखा जाता रहा है। इसी बिल्डिंग में ड्रेसिंग रूम है। लेकिन यह पहली बार अस्थायी तंबू में दर्शक दीर्घा वाली जगह पर मीडिया के बैठने की  जगह बना दी गई। जहां शुरू में न तो बिजली का कनेक्शन था और न पीने का पानी। बाहर से आए कई संवाददाता तो पेड़ के नीचे से झुककर बॉक्स तक पहुंचने के बाद  हैरान रह गए थे। चाय या खाने की बात तो छोड़ दीजिए। टॉयलेट के लिए संवादताओं को भटकना पड़ा। सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं को हुई। पीने का पानी और खाने के पैकेट पहले दिन का खेल रद्द होने से कुछ देर पहले ही मीडियाकर्मियों को मिल सके थे।

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