BIG BREAKING : ग्रेटर नोएडा के तुस्याना भूमि घोटाले में कैलाश भाटी को बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

Google Image | कैलाश भाटी



Greater Noida/Prayagraj : ग्रेटर नोएडा के तुस्याना गांव में हजारों करोड़ रुपए के सरकारी जमीन घोटाले में जेल गए कैलाश भाटी को तगड़ा झटका लगा है। कैलाश भाटी की जमानत याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने करीब 15 दिन पहले दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला रिजर्व रखा था। यह आदेश सोमवार को जारी किया गया है। जिसमें अदालत ने कैलाश भाटी को जमानत देने से इनकार कर दिया। आपको बता दें कि कैलाश भाटी पहले ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में कार्यरत थे। वह फिलहाल उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPSIDA) कार्यरत हैं। अभी गौतमबुद्ध नगर जेल में बंद हैं। कैलाश भाटी भारतीय जनता पार्टी के विधान परिषद सदस्य और पूर्व मंत्री नरेंद्र भाटी के छोटे भाई हैं।

क्या है मामला
कैलाश भाटी के वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी, एडवोकेट ईश्वर चंद्र त्यागी और कपिल त्यागी ने अदालत को बताया कि गौतमबुद्ध नगर जिले के थाना ईकोटेक-3 में सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसमें आईपीसी की धारा 406, 420, 467, 468, 471 और 120 बी लगाई गई हैं। एफआईआर में कहा गया है कि तुस्याना गांव के खसरा नंबर 987, 1104, 1105 और 1106 में 175 बीघा रकबा था। जिसे गलत तरीके से हड़प लिया गया। एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की। मामले को गंभीरता से लेते हुए यह मुकदमा स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को भेज दिया गया। गौतमबुद्ध नगर पुलिस की क्राइम ब्रांच में यह एसआईटी जांच कर रही थी। यह मुकदमा एक सामाजिक संगठन और सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से अदालत के आदेश पर दर्ज किया गया। यह 175 बीघा जमीन राजस्व रिकॉर्ड में बंजर के तौर पर दर्ज थी।

सीईओ के आदेश पर कैलाश भाटी ने रजिस्ट्री की
कैलाश भाटी के वकीलों ने अदालत को बताया कि आगे चलकर इस जमीन का भूमि अधिग्रहण कर लिया गया। जिसके लिए राजेंद्र सिंह और अन्य आरोपियों ने मुआवजा ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से उठाया है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण भूमि अधिग्रहण के सापेक्ष 6% आवासीय भूखंड का आवंटन करता है। यह आवंटन आरोपियों को किया गया। कैलाश भाटी के वकीलों ने बताया कि यह आवंटन करने का अधिकार उनके मुवक्किल को नहीं था। आवंटन प्राधिकरण के अधिकारियों के आदेश पर किया गया। जिसकी लीजडीड कैलाश भाटी ने की। यह डीड 27 नवंबर 2014 को की गई। जिस पर प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने भी अपनी संस्कृति दी। कैलाश भाटी की भूमिका केवल इतनी है कि उसने प्राधिकरण के सीईओ की ओर से मिले आदेश का अनुपालन करते हुए लीजडीड पर हस्ताक्षर किए हैं। कैलाश भाटी के वकीलों ने हाईकोर्ट को बताया कि अगर सीईओ और दूसरे उच्चाधिकारी यह आदेश नहीं देते तो कैलाश भाटी को ऐसी लीजडीड करने का कोई अधिकार नहीं है। वकीलों ने अदालत को बताया कि इस मामले में अभियुक्त राजेंद्र सिंह और 2 अन्य सह अभियुक्तों ने हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत हासिल की है।

वादी और सरकारी वकील ने जमानत का विरोध किया
दूसरी ओर इस मुकदमे के वादी और उत्तर प्रदेश सरकार के सहायक महाधिवक्ता ने कैलाश भाटी की बेल एप्लीकेशन पर आपत्ति जाहिर की। दोनों वकीलों ने कहा कि कैलाश भाटी इस मामले में मुख्य अभियुक्त हैं। जिसने दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की है। मधु सिंह पत्नी प्रभजोत सिंह पुत्री ज्ञानचंद कांबोज इस प्रोपर्टी की मालकिन हैं। कैलाश भाटी ने इस महिला के नाम, पते और फोटो में जालसाजी की है। उसके पिता का नाम बदल लिया और जाली महिला के नाम रजिस्ट्री कर दी। जिस महिला के नाम रजिस्ट्री कर दी गई, वह घोटाले में सह अभियुक्त राजेन्द्र सिंह की पुत्रवधु है। इस मामले में राजेंद्र सिंह का बेटा दीपक कुमार भी सह अभियुक्त है। दीपक कुमार की पत्नी मधु सिंह और दूसरी पुत्रवधू स्वेतना पत्नी मनोज सिंह के नाम इस प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कर दी गई। कैलाश भाटी ने जालसाजी करके मधु सिंह पत्नी दीपक कुमार पुत्री जीएस कांबोज बनाया। यह सारे जाली दस्तावेज कैलाश भाटी ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में कार्यरत रहते हुए तैयार करवाए थे।

कैलाश भाटी से शिकायत करने वालों को जान का खतरा
शिकायतकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि आरोपी बेहद ताकतवर व्यक्ति है और पूरी जांच को प्रभावित कर सकता है। इतना ही नहीं, वह इस प्रकरण के ट्रायल को भी प्रभावित कर सकता है। आरोपी शिकायतकर्ता को प्रताड़ित कर रहा है। दबाव डाल रहा है और उसे यह मुकदमा वापस लेने के लिए परेशान किया जा रहा है। अगर कैलाश भाटी को जमानत दे दी गई तो उनकी जान को भी खतरा हो सकता है। शिकायत करने वालों ने कैलाश भाटी के खिलाफ ऐसी शिकायत पुलिस को भी दी हैं।

हाईकोर्ट ने खारिज कर दी जमानत याचिका
कैलाश भाटी के वकीलों, सच सेवा समिति के सीनियर एडवोकेट केके रॉव और सहायक महाधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने आदेश में लिखा है कि कैलाश भाटी बड़े पद पर कार्यरत हैं। जिस वक्त यह जालसाजी हुई और जाली दस्तावेज तैयार किए गए, उस वक्त कैलाश भाटी उस जिम्मेदार पद पर कार्यरत थे। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि कैलाश भाटी और सह-अभियुक्तों द्वारा उपयोग में लाए गए दस्तावेज जाली हैं। इस प्रकरण में मधु सिंह पुत्री जीसी कांबोज पत्नी प्रभजोत सिंह के स्थान पर मधु सिंह पत्नी दीपक कुमार पुत्री जीसी कांबोज को खड़ा किया गया है। यह पूरी तरह जालसाजी है। लिहाजा, मुकदमे की मौजूदा स्थिति में कैलाश भाटी को जमानत देना उचित प्रतीत नहीं होता है।

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