अनिल दुजाना ने जेलों को बनाया रिक्रूटमेंट सेंटर : जेल गया तो और मजबूत होकर निकला, पूर्वांचल के माफियाओं तक से दोस्ती की

Tricity Today | अनिल दुजाना



Greater Noida News : अनिल दुजाना कुख्यात गैंगस्टर सुंदर भाटी के लिए एक मामूली से प्यादे के तौर पर अपराध की दुनिया में शामिल हुआ था। फिर उसने धीरे-धीरे खुद को स्थापित किया और एक वक्त आया जब वह अपने गुरु सुंदर भाटी पर ही भारी पड़ गया। यूपी एसटीएफ ने गुरुवार की दोपहर गैंगस्टर अनिल दुजाना को मेरठ में मार गिराया है। एसटीएफ ने अनिल दुजाना की हिस्ट्री जारी की है। जिसमें कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। अनिल दुजाना जब-जब जेल गया तब तब वह और मजबूत होकर बाहर निकला। गौतमबुद्ध नगर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, एनसीआर और फिर पूर्वांचल तक उसने अपराध की दुनिया में मुकाम हासिल कर लिया था। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली -एनसीआर और पूर्वांचल के कुख्यात माफिया उसके दोस्त बन गए थे।

मुजफ्फरनगर से हुई शुरुआत
इस सिलसिले की शुरुआत मुजफ्फरनगर से हुई थी। अनिल दुजाना वर्ष 2012 में मुजफ्फरनगर की छपार थाना पुलिस ने पकड़ा था। उसे मुजफ्फरनगर जिला जेल में बंद कर दिया गया। वहां उसकी मुलाकात रोबिन त्यागी से हुई। रोबिन त्यागी और विक्की त्यागी के बीच झगड़ा हो गया था। जिससे विक्की त्यागी से अनिल दुजाना की भी दुश्मनी हो गई। इसी दुश्मनी के चलते वर्ष 2014 में रोबिन त्यागी पर हमला किया गया। उसे पेशी पर ले जाते समय मंसूरपुर में रुचिन जाट और विक्की त्यागी के गैंग ने हमला किया था। यह हमला एके-47 से किया गया था, लेकिन रोबिन त्यागी किसी तरह बच गया था। विक्की त्यागी की सुरक्षा में लगे दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी।

शहजाद मामा ने बहुत मदद की
अनिल दुजाना का साथी कृष्ण बुलंदशहर में मूढ़ी बकापुर गांव का रहने वाला था। जिसके जरिए अनिल दुजाना ने साल 2008 में शहजाद उर्फ मामा से मुलाकात की थी। शहजाद मामा बुलंदशहर में अगौता थाना क्षेत्र के जमालपुर गांव का रहने वाला था। शहजाद मामा केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय में ड्राइवर की नौकरी करता था। इसके बाद रणदीप भाटी के जीजा देवेंद्र से मुलाकात हुई। देवेंद्र गाजियाबाद के अगरौला गांव का रहने वाला था और दिल्ली पुलिस में सिपाही था। दिल्ली पुलिस के सब इंस्पेक्टर राजेंद्र पहलवान से भी अनिल दुजाना की दोस्ती हुई। इन सभी लोगों ने अनिल दुजाना को भरपूर सहयोग दिया। जबकि सब लोग जानते थे कि अनिल दुजाना शातिर किस्म का अपराधी है। 

तिहाड़ में मिले कई कुख्यात
जब अनिल दुजाना तिहाड़ जेल पहुंचा तो उसकी मुलाकात लोनी के रहने वाले उमेश पंडित से हुई। तिहाड़ जेल में ही सहारनपुर के कुख्यात बदमाश मुकीम काला गैंग के कुछ गुर्गे बंद थे। उनके जरिए अनिल दुजाना मुकीम काला के संपर्क में आया। इस तरह अनिल दुजाना, मुकीम काला, सादर तीतरों, साबिर जंधेड़ी और महताब काना संपर्क में आ गया। इनके साथ मिलकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ और गाजियाबाद में आपराधिक वारदातों को अंजाम देने लगा। 

मुकीम काला गैंग नोएडा में दाखिल हुआ
अनिल दुजाना गैंग का अनित तोता और भभोकरा गांव का रहने वाला सुंदर भी मुकीम काला गैंग में शामिल हो गए थे। मुकीम काला गैंग दिल्ली में शहजाद मामा और रणदीप भाटी गैंग की शरण हासिल करता था। वर्ष 2014 में मुखबिरी के शक में काला गैंग के सदस्य हैदर के पिता मेहताब की हत्या अनिल दुजाना और अनित तोता ने सहारनपुर में कर दी थी। इसके बाद अनिल दुजाना का एक विवादित प्रॉपर्टी को लेकर बादलपुर के रहने वाले हरेंद्र से विवाद हुआ। अनिल दुजाना के कहने पर तोता, सुंदर भभोकरा और मुकीम काला गैंग ने हरेंद्र की हत्या की।

वेस्ट यूपी के हर जिले में बनाई पकड़
मुजफ्फरनगर जेल में बंद रहने के दौरान अनिल दुजाना ने परीक्षितगढ़ मेरठ के रहने वाले कर्नल गिरी, शाहपुर मुजफ्फरनगर के रहने वाले नीरज और हस्तिनापुर मोरना के रहने वाले मोनू गुर्जर को अपने गैंग में शामिल किया था। इस तरह अनिल दुजाना का गैंग गौतमबुद्ध नगर से निकलकर मुजफ्फरनगर और मेरठ तक फैल गया। अनिल दुजाना ने बागपत के ज्ञानेंद्र ढाका को अपना सहयोगी बनाया। जिससे बागपत जिले में अनिल दुजाना गैंग की पकड़ बढ़ गई। सहारनपुर और शामली जिलों में मुकीम काला गैंग के जरिए अनिल दुजाना ने पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना प्रभाव बना लिया।

हर अवैध धंधे में हाथ आजमाए
अनिल दुजाना गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में अवैध खनन, स्क्रैप और अवैध सरिया चोरी जैसे धंधों का संचालन कर रहा था।  बुलंदशहर में प्रभाव स्थापित करने के लिए बलराम ठाकुर, कृष्ण मूढ़ी और माया जाट सहयोग कर रहे थे। मुजफ्फरनगर में रोबिन त्यागी और माया त्यागी से मेलजोल के कारण उसका कार्यक्षेत्र फैल गया था। अनिल दुजाना के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने वर्ष 2015 में जेल में रहते हुए ही जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से एकतरफा जीत हासिल की थी। हालांकि, सरकार ने गौतमबुद्ध नगर के पंचायत चुनाव निरस्त कर दिए थे। वह जिला पंचायत अध्यक्ष बनना चाहता था। 

वेस्ट यूपी के बाद पूर्वांचल का रुख किया
पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दबदबा कायम करने के बाद अनिल दुजाना ने पूर्वांचल का रुख किया। जब वह इटावा जेल में बंद रहा तो उसके संपर्क में अमित इटावा नाम का कुख्यात बदमाश आया। अमित इटावा उसके लिए मध्य प्रदेश से असलहा लाकर दे रहा था। इसी तरह बांदा जेल में रहते हुए अनिल दुजाना ने मोहित राठी से दोस्ती की। जमानत के बाद अनिल दुजाना और मोहित राठी गौतमबुद्ध नगर व गाजियाबाद से लेकर मुजफ्फरनगर और सहारनपुर तक व्यापारियों से अवैध उगाही करने लगे।

मुन्ना बजरंगी ने रेलवे के ठेके दिलाए
यूपी एसटीएफ ने बताया कि अनिल दुजाना गैंग का संपर्क पूर्वांचल के कई कुख्यात अपराधियों से रहा है। फैजाबाद के रहने वाले अजय गैंग सिपाही से अनिल दुजाना से संपर्क बना। अजय सिपाही का संपर्क अमित कसाना और रणदीप भाटी से हुआ। यह लोग चुनाव में गाड़ियां और लड़के भेजते थे। बुलंदशहर जेल में बंद रहने के दौरान अनिल दुजाना ने उमेश पंडित और विक्की सुनहरा अपने गैंग में शामिल किया। विक्की ने अनिल दुजाना और उमेश पंडित का मुन्ना बजरंगी से मेलजोल करवाया था। मुन्ना बजरंगी के कहने पर संजीव उर्फ जीवा ने मैनपुरी जेल में मुकीम काला गैंग की मदद की थी। मुन्साद पुलिस हिरासत से मैनपुरी से भाग गया था। मुन्ना बजरंगी की दोस्ती के कारण ही संजय राव और मोनू सरदार के जरिए अनिल दुजाना ने दिल्ली में रेलवे की ठेकेदारी में दखल देना शुरू कर दिया था।

मुन्ना बजरंगी ने रेलवे के ठेके दिलाए
यूपी एसटीएफ ने बताया कि अनिल दुजाना गैंग का संपर्क पूर्वांचल के कई कुख्यात अपराधियों से रहा है। फैजाबाद के रहने वाले अजय गैंग सिपाही से अनिल दुजाना से संपर्क बना। अजय सिपाही का संपर्क अमित कसाना और रणदीप भाटी से हुआ। यह लोग चुनाव में गाड़ियां और लड़के भेजते थे। बुलंदशहर जेल में बंद रहने के दौरान अनिल दुजाना ने उमेश पंडित और विक्की सुनहरा अपने गैंग में शामिल किया। विक्की ने अनिल दुजाना और उमेश पंडित का मुन्ना बजरंगी से मेलजोल करवाया था। मुन्ना बजरंगी के कहने पर संजीव उर्फ जीवा ने मैनपुरी जेल में मुकीम काला गैंग की मदद की थी। मुन्साद पुलिस हिरासत से मैनपुरी से भाग गया था। मुन्ना बजरंगी की दोस्ती के कारण ही संजय राव और मोनू सरदार के जरिए अनिल दुजाना ने दिल्ली में रेलवे की ठेकेदारी में दखल देना शुरू कर दिया था।

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